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नई शिक्षा नीति: नहीं होगा विद्यार्थियों का नुकसान, जाने पूरी जानकारी

देश के विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। अगर किसी विद्यार्थी को किसी कारणवश अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है और कुछ समय बाद वह फिर से अपनी पढ़ाई जारी करना चाहता है तो उसे फिर से शुरूआत करने की जरूरत नहीं होगी।

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Published on: 30 July 2020 1:41 PM IST
नई शिक्षा नीति: नहीं होगा विद्यार्थियों का नुकसान, जाने पूरी जानकारी
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लखनऊ: देश के विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। अगर किसी विद्यार्थी को किसी कारणवश अपनी पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है और कुछ समय बाद वह फिर से अपनी पढ़ाई जारी करना चाहता है तो उसे फिर से शुरूआत करने की जरूरत नहीं होगी। उसने जहां से पढ़ाई छोड़ी होगी वहीं से वह फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेगा।

जी हां देश में लागू होने वाली नई शिक्षा नीति में मल्टीपल इंट्री और मल्टीपल एग्जिट प्रणाली के तहत यह सुविधा दी जायेगी। नई शिक्षा नीति के अगले शिक्षा सत्र से पूरे देश में लागू किए जाने की संभावना हैं। इसके अलावा मल्टीपल इंट्री और मल्टीपल एग्जिट प्रणाली के तहत तीन और चार साल के दो अलग-अलग तरह के डिग्री कोर्स भी शुरू किए जा रहे हैं। इनमें नौकरी करने वाले लोगों के लिए तीन साल का कोर्स होगा, जबकि रिसर्च में रुचि रखने वाले लोगों को चार साल का डिग्री कोर्स करना होगा।

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बीच साल में कर सकते है दुबारा से पढ़ाई

मौजूदा शिक्षा नीति के मुताबिक अगर चार साल का बीटेक या इंजीनियरिंग का कोर्स करने वाला विद्यार्थी एक, दो या तीन साल के बाद किसी कारण अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख पाता है तो उसकी पिछली एक, दो या तीन साल की मेहनत और समय खराब हो जाती है। लेकिन भारत सरकार की नई शिक्षा नीति में दिए गए मल्टीपल इंट्री और एग्जिट सिस्टम में अब विद्यार्थी को एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद एडवांस डिप्लोमा, तीन साल के बाद डिग्री और चार साल के बाद शोध के साथ डिग्री मिल सकेगी। इससे उस विद्यार्थी का समय और मेहनत दोनों ही नहीं खराब होंगे।

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इसके अलावा नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के तहत स्नातक स्तर पर तीन और चार साल के पाठ्यक्रम लागू किए जायेंगे। इसमे तीन साल के बाद स्नातक की डिग्री मिल जायेगी लेकिन जो विद्यार्थी शोध के क्षेत्र में जाना चाहते है, उन्हे चार साल में डिग्री मिलेगी। इस चार साल की डिग्री के बाद विद्याथी एक साल की स्नाकोत्तर डिग्री ले कर पीएचडी कर सकते है। इसके अलावा नई नीति में शोध पर बहुत जोर दिया गया है और इसके लिए एक राष्ट्रीय शोध फाउंडेशन भी बनाने की बात कही गई है।

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