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UP Board Result Correction 2023: मार्कशीट में गलती सुधारने के लिए यूपी बोर्ड लगाएगा कैंप
UP Board Result Correction 2023: गलतियों में उनकी मार्कशीट में नाम, जन्म तिथि और माता-पिता का नाम शामिल है।
UP Board Result Correction 2023: उत्तर प्रदेश बोर्ड की कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 18 मार्च से 31 मार्च के बीच कराई गई थीं और हाल ही में रिजल्ट अनाउंस किए गए थे। रिपोर्टों के अनुसार, छात्रों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और गलतियों के कारण उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के कार्यालय का चक्कर लगाते रहे हैं, जिन गलतियों में उनकी मार्कशीट में नाम, जन्म तिथि और माता-पिता का नाम शामिल है।
कैंप को अधिकारियों के देख रेख में रखा जायेगा,
इस स्थिति को देखते हुए यूपी बोर्ड ने जिला स्तर पर कैंप लगाकर रिजल्ट के गलतियों को जल्द सही करवाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में बोर्ड ने सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश जारी कर दिए हैं। क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों(Officers), डीआईओएस(DIOS:District Inspector of Schools) एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों(District Basic Education Officers) की देखरेख में जिला स्तर पर कैंप आयोजित किये जायेंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्कशीट में गलतियों को सुधारने के लिए 12 जून से 30 जून तक कैंप लगाए जाएंगे। हालांकि कैंप की तारीखों की पुष्टि जल्द ही परिषद के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा प्रेस विज्ञप्ति जारी करके की जाएगी।
करेक्शन को लेकर 40 हजार के ऊपर शिकायत दर्ज
कैंप के आयोजन की जिम्मेदारी जिला विद्यालय निरीक्षक(District School Inspector) की होगी। उन्हें पूरी व्यवस्था करने और छात्रों की समस्याओं का समाधान करने की आवश्यकता है। कैंप जिला मुख्यालय स्तर पर एक स्कूल में आयोजित किये जायेंगे जहां पीने के पानी और बैठने की समुचित व्यवस्था होगी। रिपोर्टों के अनुसार, नाम, जन्मतिथि और अन्य मुद्दों में वर्तनी की गलतियों के बारे में 40,000 शिकायतें दर्ज की गई हैं।
डीजी (School Education) ने यूपी बोर्ड के प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय के लिए एक अतिरिक्त सचिव भी आवंटित किया है। मीडिया से बात कर जानकारी देते हुए, उन्होंने बताया कि यह पहल कई शिकायतों के बाद शुरू की गई है, जिसमें छात्रों या उनके माता-पिता के नाम, उपनाम, आवंटित अंकों आदि से संबंधित मार्कशीट में मिस्टेक थीं और माता-पिता को समस्याओं के समाधान के लिए बार–बार बोर्ड मुख्यालय संपर्क करना पड़ रहा था।