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72वां कान्स फिल्म फेस्टिवल आज से, पहली बार मुकाबले में कोई भारतीय फिल्म नहीं

72वां कान्स फिल्म फेस्टिवल आज से, 9 साल में पहली बार कोई भारतीय फिल्म मुकाबले में नहीं 1946 से शुरू हुए मशहूर कान्स फिल्म फेस्टिवल को इस साल 72 साल पूरे हो गए हैं। इस बार यह 14 मई से शुरू होकर 25 मई तक चलेगा और इसमें दुनियाभर की 21 फिल्मों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी।

Vidushi Mishra
Published on: 14 May 2019 4:27 AM GMT
72वां कान्स फिल्म फेस्टिवल आज से, पहली बार मुकाबले में कोई भारतीय फिल्म नहीं
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मुम्बई: 72वां कान्स फिल्म फेस्टिवल आज से, 9 साल में पहली बार कोई भारतीय फिल्म मुकाबले में नहीं 1946 से शुरू हुए मशहूर कान्स फिल्म फेस्टिवल को इस साल 72 साल पूरे हो गए हैं। इस बार यह 14 मई से शुरू होकर 25 मई तक चलेगा और इसमें दुनियाभर की 21 फिल्मों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी।

दुनिया की श्रेष्ठ फिल्मों और सितारों के इस जमावड़े में बॉलीवुड एक्ट्रेस के साथ फिल्मों की दावेदारी हर साल बढ़ती रही है। लेकिन 9 साल में यह पहला मौका है जब कोई भी भारतीय फिल्म कान्स फेस्टिवल में किसी भी केटेगरी के मुकाबले के लिए न चुनी गई हो।

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कान्स 2019 में ऐसी होगी भारत की मौजूदगी

इंडियन पैवेलियन के अलावा इस बार भी कई बॉलीवुड एक्ट्रेस फैशन ब्रांड्स का प्रमोशन करने कान्स पहुंचेंगी। जिनमें ऐश्वर्या राय, दीपिका पादुकोण, सोनम कपूर, कंगना रनोट, हुमा कुरैशी शामिल होंगी। वहीं हिना खान रेड कार्पेट पर डेब्यू करने वाली हैं। दीपिका 16 मई को, ऐश्वर्या के 19 मई को पहुंचने की संभावना है। सोनम 20 और 21 मई को जाएंगी। वहीं हुमा भी 19-20 मई को कांस में शिरकत करेंगी।

इस बार भारत की कोई फिल्म नहीं

पाम डी ओर, अन सर्टेन रिगार्ड, कैमरा डी ओर, शॉर्ट फिल्म जैसी केटेगरीज में कोई भी भारतीय फिल्म नहीं पहुंच सकी है। नौ साल में यह पहला मौका होगा जब रेड कार्पेट पर बॉलीवुड सेलेब्स तो होंगे, लेकिन कॉम्पीटिशन में भारतीय फिल्में नहीं होंगी।

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हालांकि, सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट कोलकाता के तीन पूर्व छात्रों की शॉर्ट फिल्म, इंडियन अमेरिकन शेफ विकास खन्ना की फिल्म द लास्ट कलर भारत की मौजूदगी बनाए रखेंगे।

नागपुरी फिल्म फुलमनिया और लोहरदगा की स्क्रीनिंग 15 मई को कान फिल्म फेस्टिवल में होगी। मेकर लाल विजय शाहदेव 13 मई को फ्रांस पहुंचेंगे।

इससे पहले ये फिल्में पहुंचीं

2010 में उड़ान अन सर्टेन (रिगार्ड कैटेगरी में)

2011 में द ग्रेटेस्ट लव स्टोरी एवर टोल्ड

2012 में मिस लवली अन सर्टेन (रिगार्ड कैटेगरी में)

2013 में मानसून शूटआउट (आउट ऑफ कॉम्पीटिशन में)

2013 में बॉम्बे टॉकीज (स्पेशल स्क्रीनिंग में)

2014 में तितली अन सर्टेन (रिगार्ड कैटेगरी में)

2015 में मसान और चौथी कूट अन सर्टेन (रिगार्ड कैटेगरी में)

2016 में गूढ़ (सिने फंडेशन में)

2016 में द सिनेमा ट्रेवलर्स (कान्स क्लासिक में)

2017 में आफ्टरनून क्लाउड्स (सिने फंडेशन में)

2018 में मंटो अन सर्टेन (रिगार्ड कैटेगरी में)

53 फिल्में प्रदर्शित होंगी

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14 मई को फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म अमेरिकन जॉम्बी कॉमेडी 'द डेड डोन्ट डाई' से हो रही है। इसका डायरेक्शन जिम जार्मुश ने किया है। जबकि आखिरी फिल्म जिसका प्रीमियर 25 मई को होगा वह फ्रैंच कॉमेडी फिल्म 'द स्पेशल' होगी। जिसका डायरेक्शन ओलिवियर नकैशे और एरिक टोलेडानो ने किया है। इस बार फेस्टिवल में 21 फिल्मों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी। 18 फिल्में 'अन सर्टेन रिगार्ड' के लिए और 14 शॉर्ट फिल्मों के बीच मुकाबला होगा।

कान्स के ऑफिशियल अवॉर्ड्स

कान्स में इस साल दिए जा रहे ऑफिशियल अवॉर्ड्स भी खास है। मानद पाम डी ओर अवॉर्ड फ्रैंच एक्टर एलेन डेलन को दिया जा रहा है। स्वतंत्र अवॉर्ड केटेगरी का डायरेक्टर्स फोर्टनाइट अवॉर्ड कैरेस डी ओर अमेरिकन फिल्म मेकर जॉन कार्पेन्टर को दिया जाएगा। वहीं पियरे एन्जेनेक्स एक्सीलेंस इन सिनेमेटोग्राफी के लिए ब्रूनो डेलबोनल को चुना गया है।

सेलेब्रिटी शेफ से फिल्म मेकर बने भारतीय मूल के विकास खन्ना भी कान्स फिल्म फेस्टिवल में पहले ही दिन रेड कार्पेट पर नजर आएंगे। विकास 2015 से लगातार कान्स फेस्टिवल में शिरकत कर रहे हैं। वे ऑस्कर विजेता जूलियाने मूर के साथ 'लाइफ थ्रू अ डिफरेंट लेंस' विषय पर मास्टर क्लास लेंगे। कान्स में विकास की डायरेक्टर के तौर पर डेब्यू फिल्म 'द लास्ट कलर' की स्क्रीनिंग है। जो 16 मई को मर्चे डू फिल्म सेक्शन में होगी।

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दिलचस्प: इसलिए 'रेड' होता है कार्पेट

रेड कार्पेट थ्योरी की शुरुआत 1922 में सिड ग्रौमेन ने की थी। मूवी प्रीमियर के लिए शुरू हुआ रेड कार्पेट बिछाने का सिलसिला आज तक जारी है। माना जाता है कि पहले कलर कॉम्बिनेशन जैसी चीज प्रचलित नहीं थी, केवल लाल रंग ही आसानी से मिलता था। इसलिए कार्पेट को लाल रंग दिया गया।

एक दूसरी घटना के अनुसार 458 B.C. में हुए टोजन वॉर के बाद जब सैनिक घर वापस लौटे, तब परिजन ने रेड कार्पेट बिछाया। इसी कार्पेट पर चलकर आए सैनिकों का सम्मान किया गया। इसलिए कार्पेट में लाल रंग का महत्व ज्यादा है।

Vidushi Mishra

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