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ऋषि कपूर का हवेली को लेकर अधूरा रह गया सपना, अब पाकिस्तान ने दिया ये जवाब

पाकिस्तान के पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में उनका पुश्तैनी घर है जिसको 'कपूर हवेली' कहा जाता है। इस हवेली को लेकर 2018 में ऋषि कपूर ने पाकिस्तान सरकार से कहा था कि वह उनकी 'कपूर हवेली' को म्यूजियम में बदल दिया जाए।

Ashiki
Published on: 2 May 2020 6:05 PM GMT
ऋषि कपूर का हवेली को लेकर अधूरा रह गया सपना, अब पाकिस्तान ने दिया ये जवाब
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नई दिल्ली: अभिनेता ऋषि कपूर के निधान की खबर से उनके फैंस काफी दुखी हैं। 30 अप्रैल को कैंसर से जंग लड़ते हुए उनका निधन ह गया। जिसके बाद कई कलाकारों ने भी सोशल मीडिया के जरिए उनके निधन पर शोक जताया। इस बीच पाकिस्तान में स्थिति ऋषि कपूर के पुश्तैनी घर को लेकर बड़ी खबर सामने आई है।

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'कपूर हवेली' को म्यूजियम में बदलने के लिए किया था अनुरोध

दरअसल पाकिस्तान के पेशावर के किस्सा ख्वानी बाजार में उनका पुश्तैनी घर है जिसको 'कपूर हवेली' कहा जाता है। इस हवेली को लेकर 2018 में ऋषि कपूर ने पाकिस्तान सरकार से कहा था कि वह उनकी 'कपूर हवेली' को म्यूजियम में बदल दिया जाए। उस समय ऋषि कपूर के अनुरोध को पाकिस्तान ने स्वीकार करते हुए 'कपूर हवेली' को म्यूजियम बनाने का फैसला किया था। लेकिन अब खबर आ रही है कि पाकिस्तान ने इस हवेली को म्यूजियम बनाने से इंकार कर दिया है।

आर्थिक तंगी के कारण 'कपूर हवेली' को नहीं बनाया जा सकता म्यूजियम

एक न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक पाकिस्तान में आर्थिक परेशानियों के चलते अब 'कपूर हवेली' को म्यूजियम नहीं बनाया जा सकता। सूत्रों के अनुसार सरकार की हवेली को लेकर योजना थी कि इसके बाहरी हिस्से को संरक्षित किया जाएगा जबकि अंदर के हिस्से की मरम्मत की जाएगी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण अब ऐसा नहीं होगा।

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बता दें कि ऋषि कपूर के दादा और दिग्गज अभिनेता पृथ्वीराज कपूर का जन्म 'कपूर हवेली' में हुआ था। इसी हवेली में ऋषि कपूर के पिता राज कपूर का भी जन्म हुआ। इस हवेली का निर्माण 1918-1922 के बीच किया गया। पृथ्वीराज कपूर के पिता बशेश्वरनाथ ने इसे बनवाया था। करीब 40-50 कमरों वाली यह 'कपूर हवेली' एक वक्त पर बेहद आलीशान दिखती थी, लेकिन अब इसकी हालत काफी जर्जर हो गई है।

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यह हवेली पहले पांच मंजिल की थी। भूकंप के कारण इसमें दरारें पड़ गयीं थी, जिसकी वजह से इसके ऊपरी तीन मंजिलों को ध्वस्त कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक 1990 में ऋषि इसको देखने पेशावर गए थे तब वहां से वो इसकी मिट्टी अपने साथ लेकर आए थे।

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