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नेहरू हुए थे भावुक: जब सुना प्रदीप का ये शानदार गीत, पढ़ें ये दिलचस्प किस्सा
‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ से वह घर-घर मशहूर हो गए थे। इस गाने को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 26 जनवरी को तत्कालीन PM जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में गाया था। इस गाने को सुन उस वक्त जवाहरलाल नेहरू भावुक हो गए और उनकी आंखें भर गई थीं
लखनऊ: ऐ मेरे वतन के लोगों जरा याद करो कर्बानी ... देशभक्ति के इस गाने को लता मंगेशकर ने गाकर मानो एक जान सी डाल दी। ये गाना आज भी लोगों के आंखों में आंसू लाने का काम करता है। इसकी एक-एक लाइन, एक-एक शब्द एक अलग ही जज्बा पैदा करता है। लेकिन क्या आप इस गाने को लिखने वाले लेखक के बारे में जानते हैं। इन गाने के बोल जिन्होंने दिए हैं, उन्हें कवि प्रदीप (Kavi Pradeep) के नाम से जाना जाता है।
6 फरवरी 1915 को उज्जैन में जन्में भारतीय कवि और प्रसिद्ध गीतकार कवि प्रदीप की आज जयंती है। आपको बता दें कि कवि प्रदीप का पूरा नाम रामचरण द्विवेदी था। बचपन से ही प्रदीप को हिंदी कविता लिखने का शौक था। कवि प्रदीप ने अपने करियर में करीब 1700 गाने लिखे। साथ ही फिल्मी गीतों सहित राष्ट्रवादी कविताएं भी लिखीं।
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जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखा ये गीत
कवि प्रदीप को खासतौर से देशभक्ति गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ के लिए जाना जाता है। यह गीत उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए लिखा था। दरअसल, जब चीन से भारत युद्ध हारा तो उसके बाद भारतीय जवानों में निराशा भर गई थी, जिसके बाद कवि प्रदीप ने अपनी कलम को उठाया और एक ऐतिहासिक गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ लिख नौजवानों को श्रद्धांजलि दी।
(फोटो- सोशल मीडिया)
जब भावुक हो गए थे प्रधानमंत्री नेहरू
‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ से वह घर-घर मशहूर हो गए थे। इस गाने को स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में गाया था। इसका सीधा प्रसारण आकाशवाणी ने किया था। इस गाने को सुन उस वक्त जवाहरलाल नेहरू भावुक हो गए और उनकी आंखें भर गई थीं। बाद में नेहरू ने कवि प्रदीप को इस गीत के लिए बधाई दी थी। बाद में कवि प्रदीप ने भी ये गाना जवाहरलाल नेहरू के सामने गाया था।
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इस गाने को सुनकर आज भी लोग की आंखें नम हो जाती हैं। यह गाना हर किसी के रोम रोम में बसा है। बता दें कि कवि प्रदीप ने कई फिल्मों के लिए देशभक्ति गीत लिखे थे। उन्हें पहचान 1940 में आई फिल्म बंधन के लिए लिखे गए देशभक्ति गीतों से मिली। इन गानों ने सभी में देशभक्ति का जज्बा भरने का काम किया। इस फिल्म से जुड़ा एक किस्सा बहुत ज्यादा फेमस है।
कवि प्रदीप को होना पड़ा था अंडरग्राउंड
दरअसल, इस फिल्म के रिलीज होते ही कवि प्रदीप को तुरंत अंडरग्राउंड होना पड़ा था ताकि ब्रटिश हुकूमत उन्हें गिरफ्तार न कर सके। ब्रिटिश सरकार ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। इसलिए वो अंडरग्राउंड हो गए थे। उनके लिखे ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की', 'दे दी हमे आजादी' गाने भी काफी हिट हुए थे। कवि प्रदीप को साल 1997 में सिनेमा में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस महान हस्ती ने 11 दिसंबर 1998 को मुंबई में अंतिम सांस ली थी।
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