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ग्राहकों के हक में नहीं है IUC पर ट्राई का कंसल्टेशन पेपर: रिलायंस जियो

ट्राई के ढुलमुल रवैये की वजह से अगर IUC को समाप्त करने में देरी की गई तो यह फ्री वॉयस कॉलिंग व्यवस्था को खत्म कर देगा। जो ग्राहक के हक में नही होगा।

Shivakant Shukla
Published on: 20 Oct 2019 1:24 PM GMT
ग्राहकों के हक में नहीं है IUC पर ट्राई का कंसल्टेशन पेपर: रिलायंस जियो
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नई दिल्ली: रिलायंस जियो ने कहा है कि ट्राई द्वारा IUC पर जारी कंसल्टेशन पेपर प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को तोड़ने वाला है। जियो ने IUC को खत्म करने की समयसीमा से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को मनमाना, प्रौद्योगिकी विरोधी, कानूनी रूप से कमजोर, अनुचित, और गरीब विरोधी करार दिया। ट्राई पर निशाना साधते हुए जियो ने कहा कि IUC पर ट्राई के मनमाने रवैये से रेगुलेटर की विश्वसनियता पर असर पड़ेगा। साथ ही टेलीकॉम क्षेत्र में निवेशकों के भरोसे पर भी चोट लगेगी। गौरतलब है कि जियो अब तक IUC के लिए 13 हजार 500 करोड़ रू से ज्यादा दूसरी कंपनियों को दे चुकी है।

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प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपने को कर देगा चकनाचूर

रिलायंस जियो ने कहा कि प्रधानमंत्री के विज़न के मुताबिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर देश के हर नागरिक का हक है। पर IUC को बनाए रखने की इच्छा प्रधानमंत्री के इस विज़न को चकनाचूर कर दिया है। कुछ टेलीकॉम ऑपरेटर चाहते है कि पुराना पड़ चुका 2जी का नेटवर्क सदा बना रहे। और देश के 47 करोड़ से ज्यादा ग्राहक जो 2जी नेटवर्क से जुड़े हैं डिजिटल क्रांति के फलों से वंचित रह जाएं। कंसल्टेशन पेपर जारी कर ट्राई इन टेलीकॉम ऑपरेटरों के निहित स्वार्थ को बचाए रखना चाहती है।

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ट्राई को अपने जबाव में रिलायंस जियो ने कहा कि कुछ ऑपरेटरों के पास 2जी नेटवर्क से 4जी में अपग्रेड ना करने के अनेकों बहाने हैं। लगता है वे जानबूझ कर ऐसा नही करना चाहते। वे अपने 2जी ग्राहकों का विभिन्न तरीकों से शोषण कर रहे हैं। ये ऑपरेटर 2जी ग्राहकों से वॉयस कॉलिंग के पैसे वसूलते हैं। जबकि जियो के 4जी नेटवर्क पर यह फ्री है। खराब क्वालिटी और ऊंची कीमतों के डेटा की वजह से यह 2ग्राहक डिजिटल सोसाइटी का हिस्सा भी नही बन पाते। साथ ही प्रधानमंत्री के सपने ‘ईज ऑफ लिविंग’ यानी आराम से जीने के हक भी इससे बाधित होता है। IUC पर ट्राई के कंसल्टेशन पेपर से उन ऑपरेटर्स को बल मिलेगा जो 2जी से 4जी में अपग्रेड करने में आनाकानी कर रहे हैं।

कुछ टेलीकॉम कंपनियों की वित्तिय हालात काबू में नही है

IUC को जारी रखने के पक्ष में तर्क दिया जा रहा है कि कुछ टेलीकॉम कंपनियों की वित्तिय हालात काबू में नही है। इसलिए IUC को जारी रखना जरूरी है। रिलायंस जियो के मुताबिक इस तर्क में कोई दम नही है। IUC की रकम इतनी बड़ी नही होती कि कई हजार करोड़ की कंपनियों की वित्तिय हालात पर इसका कोई महत्वपूर्ण प्रभाव पड़े। रिलायंस जियो का कहना है कि वित्तिय हालात का रोना रोने वाली कंपनिया इसे एक बहाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहीं हैं। दरअसल तो वह नए निवेश से बचना और 2जी नेटवर्क को जारी रखना चाहती हैं।

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Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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