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Non Alcoholic Fatty Liver: नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर में डाइट का रखें विशेष ख्याल, जानिये इसके लक्षण और उपचार

Non Alcoholic Fatty Liver: NAFLD तब होता है जब आपके शरीर में बने शरीर के अतिरिक्त वसा को निकालने के लिए शरीर के प्राकृतिक तरीकों में असमंजस होता है। अधिक मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी समस्याएं NAFLD के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

Preeti Mishra
Published on: 17 April 2023 12:12 PM IST
Non Alcoholic Fatty Liver: नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर में डाइट का रखें विशेष ख्याल, जानिये इसके लक्षण और उपचार
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Non Alcoholic Fatty Liver (Image: Social Media)

Non Alcoholic Fatty Liver: नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-alcoholic fatty liver disease - NAFLD) एक ऐसी समस्या है जो अधिकतम तरह से विकसित देशों में आम है। यह एक तरह का लिवर रोग होता है जिसमें लिवर में शरीर के अतिरिक्त वसा जमा हो जाता है, इसे फैटी लिवर भी कहा जाता है। यह लिवर के स्वस्थ ऊतकों को प्रभावित कर सकता है और लंबे समय तक नुकसान कर सकता है।

NAFLD तब होता है जब आपके शरीर में बने शरीर के अतिरिक्त वसा को निकालने के लिए शरीर के प्राकृतिक तरीकों में असमंजस होता है। अधिक मोटापा, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसी समस्याएं NAFLD के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

NAFLD के लक्षण

उच्च तरलता या पेट में फुलाव
पेट में दर्द या तनाव
थकान और दुर्बलता
जबड़े में दर्द या सूजन
शरीर में खुजली
NAFLD के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर अपने आहार और व्यायाम की देखभाल है।

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के कारण (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease Causes )

NAFLD का मुख्य कारण लापरवाही हो सकता है, जो आहार और व्यायाम जैसी बुनियादी चीजों में बदलाव लाकर संभव होता है। एक अन्य कारण हो सकता है जो अतिरिक्त वसा का निर्माण कर सकता है, वह है मेटाबोलिक सिंड्रोम, जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च खून शर्करा स्तर और उच्च ट्रिग्लिसराइड स्तरों से युक्त होता है। विभिन्न औषधियों का उपयोग, तम्बाकू का सेवन और अल्पाहार भी NAFLD के कारण हो सकते हैं।

अधिकतम मामलों में, NAFLD की वजह अधिक शराब या मधुमेह से नहीं होती है, और इसे अधिकतर मामलों में अनहेपेटिक शरीर के वसा जमा होने के कारण होता है।

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर की डाइट

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में आहार का महत्वपूर्ण रोल होता है। यह रोग शरीर के अंदर वसा की मात्रा के बढ़ जाने के कारण होता है जो लिवर को प्रभावित करता है। इसलिए, नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में सही आहार लेना जरूरी होता है।

कम वसा युक्त खाने:

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में वसा अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए। समृद्ध वसा वाले खाद्य पदार्थों की जगह, कम वसा वाले खाद्य पदार्थ जैसे फल, सब्जियां, दालें, अनाज और दूध का उपयोग करें।

कार्बोहाइड्रेट ज्यादा नहीं:

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होनी चाहिए। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों से बचने की कोशिश करें, जैसे कि मैदा, चीनी, चावल और व्हाइट ब्रेड।

फल और सब्जियां:

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में फलों और सब्जियों का विशेष महत्व होता है। बता दें कि फलों और सब्जियों में अन्य आहार सामग्री की तुलना में कम कैलोरी होती हैं और विटामिन, खनिज और फाइबर से भरपूर होती हैं।

खाद्य तेल:

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में खाद्य तेल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बता दें कि सबसे अच्छी तरह से फैटी लिवर आहार में कम वसा शामिल होता है, तो अधिक वसा वाले तेलों जैसे कि मक्खन और कोकोनट ऑयल का सेवन कम करना चाहिए।

अण्डे और दूध:

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग में अण्डे और दूध का सेवन अच्छा माना जाता है। बता दें कि इनमें उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, विटामिन और खनिज होते हैं।

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज को कंट्रोल करता है व्यायाम

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के लिए व्यायाम बहुत महत्वपूर्ण होता है। व्यायाम फैटी लिवर से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। यह शरीर को जलाने की प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे वसा कम होती है। इससे शरीर में रक्त का तापमान बढ़ता है जो फैटी लिवर को दूर करने में मदद करता है। दिन में कम से कम 30 मिनट तक की चलने की अभ्यास करें। यह आपके शरीर के वजन को कम करने में मदद करता है और फैटी लिवर से जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही योग फैटी लिवर को कम करने में मदद कर सकता है। प्राणायाम और अनुलोम विलोम जैसे अभ्यास शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।



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Preeti Mishra

Preeti Mishra

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