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Phone Addiction: फाेन के लत से अगर आप भी है परेशान तो इन आदतों को follow करें
Phone Addiction: आज के समय में वर्चुअल लाइफ में लोग ज्यादा कंफर्टेबल रहते है, और उस वर्चुअल लाइफ को ही अपनी रियल हैप्पीनेस मानने लगते है। लेकिन यह हमारे मानसिक और शारीरिक दोनो ही स्थिति पर बुरा प्रभाव डालता है। अब सवाल यह है कि आखिर इस आदत को छोड़े कैसे, किन आदतों को फॉलो करके हम एक सुकून भरी जिंदगी जी सकते है.....
Phone Addiction: फ़ोन यानी सोशल मीडिया मतलब एक जाल जब उसमे फस जाओ तो निकलना मुश्किल हो जाए। एक तरीके से जहा सोशल मीडिया का इस्तेमाल अच्छा भी माना जाता है क्योंकि यह हम दूर बैठे हमारे रिश्तेदारों दोस्तों से जोड़े रखता है। वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया का इस्तेमाल निगेटिव इंपैक्ट भी हम अपने रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे छोटे लक्षणों से पहचान सकते है जैसे – दूसरो के आदतों से प्रभावित होना, ईर्ष्या का भाव आना, अपने पास की चीजों से खुश न होकर जो न हो उन चीजों पर बस विचार करना आदि। ऐसे बहुत से लक्षण है जो फोन एडिक्शन और सोशल मीडिया एडिक्शन से हमारे अंदर पनपते है।
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सोशल मीडिया एडिक्शन
अभी के दौर में हर 5 में से 4 इंसान सोशल मीडिया पर एक्टिव जरूर रहता है। सोशल मीडिया पर सबका अकाउंट होता है, जहां लोग दोस्त बनाते है और अपने बिछड़े पुराने दोस्तों से जुड़ने का रास्ता ढूंढते है। यहां लोग अपनी भावनाओं को भी अपने दोस्तो के साथ अपनों के साथ साझा करते है। अपने विचारों को साझा करने का सोशल मीडिया एक बहुत बड़ा और सुलभ माध्यम है। इसके साथ ही, हम सोशल मीडिया की मदद से देश-दुनिया में बैठे किसी भी व्यक्ति को जोड़ सकते है। सोशल मीडिया जैसे एक बेहतर माध्यम है लोगो से जुड़ने का, उसी तरह इसके थोड़े नहीं काफ़ी ज्यादा नुकसान भी है।
हम कैसे जान सकते है इस एडिक्शन को -
किसी काम में मन न लगना - जब हम हर काम से बोर होने लगते है, किसी भी काम में मन नहीं लगता तो इसका कारण भी सोशल मीडिया एडिक्शन हो सकता है।
दूसरों से तुलना करना बात बात पर- कई बार तो ऐसा होता है, की हम अपनी खुशियों को दूसरे के खुशी से तुलना करने लग जाते है। जैसे - वो छुट्टियों में घूम रहा है और मैं घर में परिवार के साथ छुट्टियां मना रहा हूं। हम फैमिली टाइम की इंपोर्टेंस को नजर अंदाज करने लग जाते है।
बेवजह फोन चलाना - बात बात पर फोन चलाना बिना, वजह कुछ नही बस सोशल मीडिया फीड पर स्क्रोलिंग करते रहना भी सोशल मीडिया एडिक्शन का लक्षण है। जिसमे घूम फिरकर हम फोन लेकर सोशल मीडिया एप पर गो थ्रो करने लग जाते है।
बिना फोन के नींद न आना - बहुत लोगों के साथ तो ऐसा होता है कि रात में बिना फोन चलाए नींद ही नहीं आती। आदत लग जाती है फोन चलाने की इस आदत के कारण लोग देर तक रात में जगे रह जाते है।
सोशल मीडिया एडिक्शन के नुकसान
- इंटरनेट ट्रॉलिंग, बुलिंग सोशल मीडिया की लत लगने का एक बुरा परिणाम बनकर सामने आता है। जिससे हमारा शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
- सोशल मीडिया एडिक्शन हमारी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर बराबर का असर डालता है।
- सोशल मीडिया एडिक्शन होने पर व्यक्ति अपना काम छोड़कर बस उसी में लगा रह जाता है।
- सोशल मीडिया का यूज बुरी चीज नही है। पर यह जरूरी है कि हम इसका इस्तेमाल समझदारी से करे। यदि इसकी लत लगनी शुरू हो जाए, तभी खुद को इससे पीछे हटाते रहना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा समय फोन ,लैपटॉप देखने से आखों की रोशनी पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके साथ फिर मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव डालता है।
सोशल मीडिया एडिक्शन की आदत कैसे दूर करे?
- ऐप्स डिलीट कर सकते है, इस एडिक्शन को दूर करने के लिए हम ये कर सकते है कि सोशल मीडिया के एप्लीकेशन को फोन से डिलीट कर दे। इन एप्लीकेशन को दोबारा इंस्टॉल करने से बचे।
- नोटिफिकेशन को बंद रखे , अगर आप एप्लीकेशन को डिलीट नही कर सकते है तो नोटिफिकेशन बंद कर दीजिए जिससे आप काम डिस्ट्रैक्ट होंगे।
- समय निर्धारित करें, एक समय सीमा निर्धारित करिए कि कितने देर आपको सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना है। उस तय समय में ही फोन का इस्तेमाल करे।
- खुद को बिना फोन के खुश रखने की कोशिश, खुद की खुशियां फोन के बाहर की दुनिया में तराशने की कोशिश करें। वर्चुअल से ज्यादा समय रियल जिंदगी को देने की कोशिश करे। खुद के कंपनी को बिना फोन के एंजॉय करने की आदत डालिए।
- रात में फोन को खुद से दूर रखिए, रात में सोने से पहले एक घंटे फोन से दूर रहे ,इसके साथ फोन को खुद से दूर रखकर सोए की आप चाहकर भी नींद में फोन को न उठाए।
- डिजिटल एप का करे प्रयोग, प्ले स्टोर पर ऐसे बहुत सारे एप्लीकेशन मौजूद है जिसके इस्तेमाल से आप अपने समय सीमा को सोशल मीडिया के लिए बांध सकते है। उन एप्लीकेशन का भी इस्तेमाल कर सकते है।
- बुक रीडिंग की आदत डालें - सोशल मीडिया से दूरी बनाने के लिए जरूरी है खुद को व्यस्त रखना। बुक रीडिंग करने की आदत से बेहतर और क्या ही आदत हो सकती है। अपनी इंटरेस्ट के अकॉर्डिंग बुक रीड करने का आदत डाले।