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Suicide in Full Moon: पूर्णिमा सप्ताह में बढ़ जाते हैं सुसाइड, रात के इस समय होती हैं सबसे ज्यादा मौत, जानें कारण
Suicide in Full Moon: पूर्णिमा चंद्रमा का उत्सव है जो मासिक पूजा अथवा उत्सवों के दौरान मनाया जाता है। पूर्णिमा कई देशों में विभिन्न नामों से मनाई जाती है जैसे कि शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, होली पूर्णिमा, रक्षाबंधन पूर्णिमा आदि। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि होती है।
Suicide in Full Moon: पूर्णिमा का मानव शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है इसको जानने से पहले हम यह जानना चाहिए कि पूर्णिमा क्या है? पूर्णिमा चंद्रमा के पूर्ण उज्ज्वल आकार को दर्शाता है जब सूर्य और चंद्रमा समान रीति से पृथ्वी के विपरीत दिशाओं में स्थित होते हैं। पूर्णिमा चंद्रमा का उत्सव है जो मासिक पूजा अथवा उत्सवों के दौरान मनाया जाता है। पूर्णिमा कई देशों में विभिन्न नामों से मनाई जाती है जैसे कि शरद पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, होली पूर्णिमा, रक्षाबंधन पूर्णिमा आदि। यह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि होती है।
वर्तमान में अमेरिका के एक शहर में हुए अध्यन में यह बात सामने आयी है कि पूर्णिमा के दिन लोगों में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ जाती है और मौतों की संख्या में भी वृद्धि हो जाती है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पूर्णिमा के सप्ताह के दौरान आत्महत्या से होने वाली मौतों में काफी वृद्धि हुई। अध्ययन में कहा गया कि प्रकाश में परिवर्तन अन्य जोखिम कारकों के साथ कमजोर लोगों को प्रभावित कर सकता है।
पूर्णिमा में क्यों बढ़ जाते हैं आत्महत्या
इस बारे में कोई वैज्ञानिक रूप से साबित कारण नहीं है, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की शक्ति बढ़ जाती है जिससे मनोवैज्ञानिक तनाव बढ़ सकता है। यह तनाव आत्महत्या जैसी दुर्भावनाओं को बढ़ा सकता है।
अधिकतर तनाव के संबंध में सामान्य जानकारी है कि इसमें व्यक्ति का भावनात्मक संतुलन खराब होता है और उसे लगता है कि उसके पास कोई व्यक्तिगत समाधान नहीं है। इस तनाव को दूर करने के लिए बहुत से तरीके हैं, जैसे मनोरंजन, ध्यान और स्वस्थ जीवनशैली।
आत्महत्या जैसी बुरी प्रवृत्ति को रोकने के लिए समाज को इसकी ओर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसमें मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं और संबंधों में खुलकर बातचीत की जानी चाहिए ताकि लोग इससे बच सकें।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
वैज्ञानिक अध्ययनों में पूर्णिमा और आत्महत्या के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है। ज्योतिषीय अनुसंधानों के अलावा, कोई भी आध्यात्मिक या धार्मिक अनुभव भी इस विषय में आमंत्रित नहीं होते हैं।
आत्महत्या के मामलों में, कुछ अध्ययनों में तो निश्चित रूप से बताया गया है कि विभिन्न तनाव और मनोवैज्ञानिक समस्याएं इसका मुख्य कारण होती हैं। अधिकतर लोगों के लिए, जो आत्महत्या का संदेह होता है, उन्हें संबंधित सलाहकार से बात करना चाहिए और उन्हें मानसिक समस्याओं का इलाज कराना चाहिए।
इसलिए, आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दों को बिना किसी वैज्ञानिक आधार के संबंधित उत्तर दिए जाने से बचना चाहिए। समाज में यह मान्यता फैलाने से बचना चाहिए कि पूर्णिमा या कोई अन्य विशेष दिन आत्महत्या के लिए जिम्मेदार होता है।
क्या कहता है ज्योतिष विज्ञान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की ऊर्जा बहुत ज्यादा होती है। चंद्रमा मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी मन को नियंत्रित करने में मदद करता है। लेकिन इसके साथ ही, इस दिन शनि ग्रह भी प्रभावशाली होता है जो कि मानसिक तनाव को बढ़ा सकता है।
इसके अलावा, ज्योतिष शास्त्र में यह भी कहा जाता है कि चंद्रमा की ऊर्जा के कारण लोग अधिक संवेदनशील होते हैं और उन्हें अपने भावों को संभालने में कठिनाई होती है। इसलिए, जो लोग अपनी भावनाओं को संभालने में कमजोर होते हैं, वे पूर्णिमा के दिन अपनी समस्याओं से जूझ सकते हैं जिससे आत्महत्या के जैसे गंभीर मामलों का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए, ज्योतिष शास्त्र में लोगों को यह सलाह दी जाती है कि पूर्णिमा के दिन वे अपनी मनोदशा का विशेष ध्यान रखें और ध्यान रखें कि वे अपनी भावनाओं को संभालने में सक्षम हों।
पूर्णिमा की रात किस तरह की बरतनी चाहिए सावधानी
पूर्णिमा की रात कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण होता है। कुछ बातों को सावधानीपूर्वक अपनाकर आप इस दिन को सुखद और शुभ बना सकते हैं।
शुभ मुहूर्त पर पूजा करें:
पूर्णिमा की रात को शुभ मुहूर्त पर पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस रात को चांद्रमा की पूजा भी की जाती है।
दान करें:
पूर्णिमा की रात को दान करने से बच्चों की रक्षा और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
सत्संग करें:
इस दिन सत्संग करना बहुत फलदायी होता है। इससे आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
दुर्गंध वाले वस्तुओं से बचें:
पूर्णिमा की रात को दुर्गंध वाली वस्तुओं का सेवन करना नहीं चाहिए। इससे आपके ऊर्जा स्तर पर असामान्य दबाव पड़ता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होता है।
सत्विक आहार लें:
पूर्णिमा की रात को सत्विक आहार लेना चाहिए। इससे आपके शरीर और मन का संतुलन बना रहता है।
संतुलित जीवन:
ब्रह्मचर्य का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।