Best Yoga Asanas: कौन-कौन से होते हैं प्रमुख 84 आसन, जानें कैसे करें तो तुरंत दिखेगा बदलाव

Best Yoga Asanas: आज के समय में योगासन हमारे जीवन में कितना जरूरी है, ये बात हम सभी जानते हैं। समय निकालकर हर किसी को योगासन जरूर सीखना और करना चाहिए। ऐसे में आज हम आपको प्रमुख 84 योगासनों के बारे में बता रहे हैं।

Archana Pandey
Published on: 23 Jun 2023 5:29 AM GMT (Updated on: 23 Jun 2023 5:35 AM GMT)
Best Yoga Asanas: कौन-कौन से होते हैं प्रमुख 84 आसन, जानें कैसे करें तो तुरंत दिखेगा बदलाव
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Best Yoga Asanas: आज के समय में योगासन हमारे जीवन में कितना जरूरी है, ये बात हम सभी जानते हैं। योगासन से ना सिर्फ हमें शारीरिक उर्जा मिलती हैं। बल्कि हमारा मन भी शांत रहता है। इसलिए समय निकालकर हर किसी को योगासन जरूर सीखना और करना चाहिए। इससे आप भी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रह पाएंगे। योगी आदिनाथ भगवान शिव द्रारा शिव संहिता में चौरासी आसान ही प्रधान आसन बताए हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में।

अधोमुखश्वानासन: इस आसन में शरीर को ऊपर की ओर उलटे अंग्रेजी शब्द "V" आकार की स्थिति में ले जाया जाता है। ये रक्त को सिर और मस्तिष्क की ओर प्रवाहित करने में मदद करता है।

अधोमुखवृक्षासन: हाथ पर संतुलन द्वारा शरीर को स्थिर, उल्टे खड़ी स्थिति में रखा जाता है। इस आसन से आंखों की ओर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद मिलती है। इससे शरीर में हार्मोन का प्रवाह भी बढ़ता है।

आकर्ण धनुरासन: यह धनुर्धारी या तीरंदाज की मुद्रा बनाता है। इससे मसल्स को मजबूत होती है और ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है। पाचन, सांस और फेफड़ों संबधी समस्याएं दूर होती है।

अनन्तासन:एक विशेष आसन है, जिससे शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और यह शरीर की थकान को दूर करने में मदद करता है।

अञ्जनेयासन: इसके अभ्यास से शरीर की मूल मांसपेशियों में लचीलापन आता है और साथ ही उनकी मजबूती भी बढ़ती है जिससे शारीरिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

अर्धचन्द्रासन: चंद्रासन का अर्थ चन्द्र के सामान किया गया आसन है| ये रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन में और कंधे की समस्याओं सुधार करता है।

अष्टांग नमस्कार: इसमें शरीर, आठ अंगों के द्वारा भूमि को स्पर्श करता है। इस योगासन के अभ्यास से आपकी मानसिक क्षमता बढ़ती है और साथ ही एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद मिलती है।

अष्टावक्रासन: यह आधुनिक योग में हाथ-संतुलन आसन है। इसे करने से एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही पेट से संबंधी रोगों जैसे गैस, एसिडिटी, अपच और कब्ज को ठीक करने में मदद करता है।

बकासन: यह आर्म बैलेंसिंग आसन हैं। ये आपकी कलाइयों और हाथों को मजबूत बनाता है। रीढ़ की हड्डी टोंड और मजबूत बनती है।

बद्ध कोणासन: यह आसन जांघों, कमर और घुटनों को स्ट्रेच करता है। हल्के डिप्रेशन, चिंता और थकान के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है।

बालासन: यह योग विज्ञान का विशेष आसन है। बालासन के निरंतर अभ्यास से योगी के शरीर को अनेकों फायदे मिलते हैं।

भैरवासन: यह आसन कूल्हे की मांसपेशियों को लचीला बनाता है और तंत्रिका तंत्र में सुधार लाता है। मानसिक स्वास्थ्य में लाभदायक है।

भुजंगासन: यह आसन छाती और फेफड़ों, कंधों और पेट की मांसपेशियों को फैलाता है। तनाव और थकान को दूर करने में मदद करता है। अस्थमा के लक्षणों को कम करता है।

भारद्वाजासन: यह आधुनिक योग में एक ट्विस्टिंग आसन है। जो रीढ़ की हड्डी, जांघ, पिंडली और कंधों की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। इससे मानसिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

भेकासन: यह आसन आपकी लोअर बैक, बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, कोर, पैर के पंजे, टखने, घुटने, क्वाड्रिसेप्स को मजबूत बनाता है।

भुजपीडासन: इस आसन को करने से आपके शरीर का नियंत्रण बनता है और साथ ही एकाग्रता भी बढ़ती है।

बिडालासन: यह आसम शरीर में प्राण को सुधारता है और रीढ़ की हड्डी को मोड़ता है। लोअर बैक, मिडिल बैक, गर्दन और कंधों में टेंशन को दूर करता है।

चतुरंग दंडासन: इस आसम से एब्स टाइट होते हैं और पेट फिट रहता है। हाथ की कलाई, कंधे, पीठ और पैर की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

दण्डासन: यह आसम कोर की ताकत बढ़ाता है। पोस्चर में सुधार करता है और पाचन बेहतर करता है। दिमाग को रिलैक्स करता है और मांसपेशियों को मजबूत बनाता।

धनुरासन: यह डिप्रेशन के लक्षण, मोटापा को कम करता है। शरीर को संतुलित रखता है और पेट की मांसपेशियो को मजबूत बनाता है।

दुर्वासासन: यह आसन रक्तस्राव को बढ़ाता है। तंत्रिका तंत्र और मानसिक रोगों में सुधार करता है।

गर्भासन: स्त्रियों के लिए यह आसन बहुत ही लाभकारी है। इसके अभ्यास से गर्भाशय से संबंधित सभी प्रकार की तकलीफ दूर हो जाती हैं।

गोमुखासन: यह खराब मुद्रा वाले लोगों के लिए फायदेमंद होता है। तनाव और चिंता कम करता है। पीठ की मसल्‍स को मजबूत बनाता है।

गरुडासन: यह आसन टांगों और बाहों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। ये साएटिका और गठिया के लिए बेहद फायदेमंद है। शारीरिक संतुलन में भी सुधार लाता है।

हनुमानासन: यह आसन पैरों और नितम्बों को लचीला बनाता और उनमें रक्त-संचार बढ़ाता है। प्रजनन प्रणाली को शक्ति प्रदान करता है।

गोरक्षासन: इस आसन के अभ्यास से पाचन अच्छा होता है। स्त्रियों के गर्भाशय से संबंधित रोगों को दूर करने में मदद मिलती है। पेट की गैस समस्या को कम करने में मदद देता है।

हलासन: दिमाग़ को शांत करता है। कंधो और रीढ़ की हड्डी में खिचाव पैदा करता है। कमर दर्द, सिर दर्द, बांझपन, अनिद्रा, साइनस के लिए बेहद फायदेमंद है।

जानुशीर्षासन: यह आसम हमारे दिमागग को शांत करता है और हल्के अवसाद से छुटकारा पाने में मदद करता है।

कपोतासन: कपोतासन का रोजाना सही ढंग से अभ्यास करने से आपको सायटिका के दर्द से राहत मिलती है। इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी, कंधों और पिंडलियों के दर्द में फायदा मिलता है।

जठर परिवर्तनासन: इस जठर परिवर्तनासन को करने से मोटापा दूर हो जाता है। गैस, शुगर, किडनी की समस्या दूर हो जाती हैं।

कौण्डिन्यासन: इसके अभ्यास से पेट की चर्बी को कम होती है। हाथ, कलाई और कंधे मजबूत होते है। एकाग्रता बढ़ती है।

क्रौंचासन: व्यायाम के रूप में आधुनिक योग में एक आसन है। इसे करने से मांसपेशियां और पैरों के जोड़ मजबूत हो जाते हैं।

कुक्कुटासन: इस आसन से मूलाधार-चक्र सक्रिय हो जाता है, जिससे थकावट दूर होती है, पाचन शक्ति बेहतर होती है और पेट तथा नितम्बों की चर्बी कम होती है।

कूर्मासन: यह आसन शुगर, पेट की गैस और कब्ज जैसे रोगों से राहत दिलाता है। यह आसन मासिकता को शांत करता है और धैर्य को बढ़ाता है।

मालासन: दिमाग़ को शांत करता है। पेट के अंगों और थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है। कंधो और रीढ़ की हड्डी में खिचाव पैदा करता है।

मत्स्यासन: इससे शरीर मजबूत बनता है। मलावरोध दूर होता है। स्त्रियों के गर्भाशय और मासिक धर्म संबंधी रोग दूर होते हैं। पेट की चर्बी घटती है।

लोलासन: इसे करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। कंधे और पीठ की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है। हाथों का कांपना दूर होता है।

मकरासन: इस आसन के अभ्यास से डिप्रेशन दूर होता हैं। इसका नियमित अभ्यास से आप हमेशा-हमेशा के लिए कमर दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।

मरीच्यासन: इसके नियमित अभ्यास से तनाव खत्म होता है। महिलाओ को मासकि धर्म के दौरान होने वाले दर्द में कमी आती है। दिमाग शांत रहता है तथा सिरदर्द नहीं होता।

मत्स्येन्द्रासन: छाती को खोलता है और फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है। कूल्हे के जोड़ों को कम कर देता है।

मयूरासन: इसे करने से हाथ और भुजाएं मजबूत होती है। अगर किसी व्यक्ति को कब्ज, अपच, बदहजमी की शिकायत हैं, तो वह व्यक्ति मयूरासन को अपनी ज़िंदगी में अपना सकते हैं।

पद्मासन: इससे बुद्धि बढ़ती एवं सात्विक होती है। चित्त में स्थिरता आती है। कमर दर्द दूर होता है आदि।

नटराजासन: इस आसन के अभ्यास से आपकी एकाग्रता बढ़ता है। तनाव में कमी व दिमाग की शांति मिलती है।

नावासन: पेट, कूल्हे फ्लेक्सर, और रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है। तनाव से छुटकारा पाने में मदद करता है।

सिद्धासन: इसे करने से चित्त स्थिर होता है। 72000 नाड़ियां शुद्ध होती है। भूख ना लगना, थकान, अनिद्रा, अवसाद आदि समस्या दूर होती है।

परिघासन: सांस लेने में होने वाली समस्याओं को दूर करता है। धड़ की मांसपेशियों को अच्छा स्ट्रेच देता है।

उत्थित पार्श्वकोणासन: पैरों, घुटनों और टख़नों को मज़बूत बनाता है। पेट के अंगों को उत्तेजित करता है और स्‍टैमिना बढ़ाता है।

पाशासन: योगासन के अभ्यास से मानसिक शांति और तनाव कम होता है। यह एकाग्रता और स्मृति बढ़ाने में भी मदद करता है।

पश्चिमोत्तानासन: इसे करने से पेट की चर्बी दूर होती है। हड्डियां लचीली होती है। पाचन को बेहतर बनाता है। अनिद्रा की समस्या दूर करता है।

पार्श्वोत्तानासन: यह आसन पैरों को मज़बूत करता है। दिमाग़ को शांत करता है। पाचन में सुधार लाता है। संतुलन की भावना बढ़ाता है।

शवासन: यह आसान शरीर को न सिर्फ रिलैक्स करता है बल्कि मेडिटेशन की स्थिति में भी ले जाता है। एकाग्रता और मेमोरी बढ़ाता है।

शलभासन: यह शरीर में चर्बी को खत्म करता है। यह शरीर के हाथों, जांघों, पैरों और पिंडरी को मजबूत करता है।

सर्वांगासन: दिल की मासपेशियों को सक्रिय करता है। बांझपन, गर्भपात और मासिक धर्म संबंधी परेशानियां दूर करता है।

राजकपोतासन: यह आसन रीढ़ की हड्डी और मांसपेशियां मजबूत होती है। सीना चौड़ा होता है।

प्रसारिता पादोत्तानासन: दिमाग़ को शांत करता है। कमर दर्द से राहत दिलाता है। हल्के तनाव और थकान को भी दूर करता है।

सिंहासन: ये हठ योग का एक आसन है। इस आसन में बाहर निकली हुई जीभ के साथ चेहरा दहाड़ते हुए शेर की भयंकर छवि जैसा होता है।

शीर्षासन: सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। इसके अभ्यास से हम कई बड़ी-बड़ी बीमारियां से दूर कर सकते हैं।

वृश्चिकासन: इस आसन के नियमित अभ्यास से हम अपने शरीर को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और फिट रख सकते हैं।

सेतुबन्ध-सर्वाङ्गासन: हठ योग और व्यायाम के रूप में आधुनिक योग में एक उल्टा आसन है। इससे रीढ़ की हड्डी को मजबूत होती है।

सुखासन: यह एक सरल आसन है। इसे रोजाना इसे करने से चेहरे पर ग्‍लो आता है। चेहरे के दाग-धब्‍बे को दूर करता है।

सुप्त पादांगुष्ठासन: ये एक खास प्रकार का योगासन है। इसे प्रमुख रूप से जांघ व पिंडली की मांसपेशियों के लिए उपयोगी माना जाता है।

ताड़ासन: यह बेहद आसान और फायदेमंद योगा आसन है। जिसे करने से हाइट तेजी से बढ़ने लगती है।

स्वस्तिकासन: इस आसन से कमर सीधी होती है। घुटनों के दर्द कम होती है। मानसिक शांति मिलती है।

त्रिकोणासन: इस आसन को करने से गर्दन, पीठ, कमर और पैर के स्नायु मजबूत होते हैं। शरीर का संतुलन ठीक होता हैं।

टिटिभासना: यह एक प्राचीन योग मुद्रा है, जिसमें हाथों पर शरीर का संतुलन बनाया जाता है। इसे करने कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।

त्रिविक्रमासन: शरीर को फिट और लचीला बनाए रखने के लिए रोजाना इस आसन अभ्यास बहुत फायदे मिलते है।

सूर्य नमस्कार: इसके 12 चरण होते हैं। जिसका हर रोज अभ्यास करने से दिमाग सक्रिय और एकाग्र बनता है।

तुलासन: इस आसन को करने से पाचन संबंधी परेशानियां दूर होती है। इसके साथ ही भुजाएं, बाजू और हिप्स के आस-पास की मसल्स में स्ट्रेंथ आती है।

चक्रासन: यह आसन शरीर को सुडौल बनाता है। उन लोगों के लिए लाभकारी है जो बहुत ज्यादा बैठते हैं। यह मासिक-धर्म संबंधी समस्याओं को भी दूर करता है।

उपविष्टकोणासन: यह योगासन न सिर्फ मानव के शरीर को बल्कि मन को भी स्वस्थ बनाने में मदद करता है।

ऊर्ध्वमुख श्वानासन: ऊर्ध्व मुख श्वानासन में पीठ को पीछे की तरफ झुकाया जाता है। यह रीढ़ की हड्डी और पीठ में खिचाव लाने के लिए बहुत ही लाभकारी आसन होता है।

उत्कटासन: यह एक महत्वपूर्ण आसन माना गया है। इसमें अपने शरीर को हवा में टिकाए रखना होता है। इसे करने के लिए काफी ताकत और सावधानियां भी रखनी पड़ती हैं।

उष्ट्रासन: यह आसन पीठ को मजबूत बनाने वाले और कमर दर्द से जुड़ी हर समस्या को दूर करने में मददगार है।

उत्थित हस्तपादाङ्गुष्ठासन: यह खड़े होकर किया जाने वाला आसन है। यह एकाग्रता में भी सुधार करता है। साथ ही स्थिरता में भी वृद्धि करता है।

उत्तानासन: यह आसन पूरे शरीर को अच्छी स्ट्रेच देता है और दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने में भी मदद करता है।

वज्रासन: यह आसन शरीर में बिखरी हुई ऊर्जा को व्यवस्थित कर सकता है। इसके अलावा ये शरीर को हीरे के समान कठोर बनाने में भी मदद करता है।

उत्थिता वशिष्ठासन: यह एक ऐसा आसन है जो बाहों, कलाई, नाभि क्षेत्र और पैरों को मजबूत बनाने में मदद करता है। आधुनिक योग में यह एक बेहतरीन संतुलन आसन है।

विपरीत दण्डासन: इसमें सिर और पैरों को बल शरीर का वजन उठाया जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी को लचीली होती है।

वीरभद्रासन: इस आसन से हाथ, पैर और कमर को मजबूती मिलती है। शरीर में संतुलन बढाता है, सहनशीलता बढती है।

योगनिद्रासन: यह एक जटिल आसन है और इसका अभ्यास करने के लिए शरीर में पर्याप्त लचीलापन होना जरूरी है।

विपरीत करणी: इस आसन में आपको सर्वांगासन के समान अपने पैरों को ऊपर की ओर करना होता है। यह आसन हमारे शरीर के लिए अनेक प्रकार से लाभदायक है।

वीरासन: यह एक सरल आसन है। जो मन को नियंत्रित करना सिखाता है और अलर्ट बनाए रखने में मदद करता है।

वृक्षासन: वृक्षासन ऐसा योगासन है जो आपके शरीर में स्थिरता, संतुलन और सहनशक्ति लाने में मदद करता है।

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