×

सरकार का बड़ा ऐलान: अब लगी रैपिड एंटीजन टेस्ट पर लिमिट, जाने इसके बारे में

आरटी-पीसीआर टेस्ट की तरह एंटीजन टेस्ट में भी यह देखा जाता है कि संदिग्ध व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस मौजूद है या नहीं।

Newstrack
Published on: 18 Dec 2020 11:06 AM GMT
सरकार का बड़ा ऐलान: अब लगी रैपिड एंटीजन टेस्ट पर लिमिट, जाने इसके बारे में
X
सरकार का बड़ा ऐलान: अब लगी रैपिड एंटीजन टेस्ट पर लिमिट, जाने इसके बारे में (PC: Social Media)

नई दिल्ली: रैपिड एंटीजन टेस्ट में कोरोना संक्रमण का पूरी तरह से पता नहीं चल पाने को देखते हुए केंद्र सरकार ने अब इनकी संख्या निर्धारित करने का कदम उठाया है। सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर राज्य में होने वाली कुल कोरोना जांच में से रैपिड टेस्ट की संख्या 30 से 40 प्रतिशत तक ही निर्धारित करने को कहा है। राज्यों को अब मानक आरटी-पीसीआर टेस्ट पर अधिक ध्यान देने को कहा गया है।

ये भी पढ़ें:इटावा: कांग्रेसियों के उपवास पर पुलिस ने फेरा पानी, आग बबूला हुए कार्यकर्ता

क्या होते हैं रैपिड एंटीजन टेस्ट?

आरटी-पीसीआर टेस्ट की तरह एंटीजन टेस्ट में भी यह देखा जाता है कि संदिग्ध व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस मौजूद है या नहीं। हालांकि, आरटी-पीसीआर टेस्ट में व्यक्ति के नाक या गले से लिए गए सैंपल में कोरोना वायरस के जेनेटिक मेटेरियल की उपस्थिति की जांच की जाती है, वहीं रैपिड एंटीजेन टेस्ट में कोरोना वायरस के ऊपर या अंदर मौजूद रहने वाली प्रोटीन की उपस्थिति की जांच की जाती है। इस विधि में 30 मिनट में परिणाम आ जाता है।

झूठी निगेटिव रिपोर्ट

इस साल जुलाई में ही रैपिड एंटीजेन टेस्ट की शुरुआत होने के बाद विशेषज्ञों ने इसमें झूठी निगेटिव रिपोर्ट आने की चेतावनी दी थी। विशेषज्ञों का कहना था कि कोरोना के लक्षण के बाद भी रैपिड टेस्ट में नेगेटिव रिपोर्ट आ सकती है। इसमें एक साथ अधिक लोगों की जांच तो की जा सकती है लेकिन इसकी नेगेटिव रिपोर्ट पूरी तरह से सटीक नहीं होती है। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को रैपिड टेस्ट में निगेटिव आने वालों का आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की सलाह दी थी।

चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा रैपिड एंटीजेन टेस्ट को लेकर चेतावनी जारी किए जाने के बाद भी जल्दी परिणाम आने को देखते हुए अधिकतर राज्यों में इस पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। वर्तमान में बिहार में किए गए कुल 1,00,99,322 टेस्टों में से 88 प्रतिशत, केरल में 43,28,416 में से 63 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में किए गए 1,40,25,713 टेस्टों में से 60 प्रतिशत रैपिड टेस्ट हैं। ऐसे में यहां संक्रमितों की वास्तविक संख्या रिकॉर्ड से अधिक हो सकती है।

गत दिनों दिल्ली में सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में चौंकाने वाली स्थिति सामने आई थी। रिपोर्ट में दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रैपिड टेस्ट में 56,862 संदिग्ध मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इसके बाद सभी का आरटी-पीसीआर टेस्ट कराया तो इसमें से 3,524 संदिग्ध मरीजों के कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो गई। इस रिपोर्ट में संक्रमितों की वास्तविक संख्या पर सवाल खड़े कर दिए।

30-40 प्रतिशत तक सीमित रखें रैपिड टेस्ट की संख्या

स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण और सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने राज्यों को पत्र लिखा है कि रैपिड टेस्ट का उपयोग बिना लक्षण या संपर्क में रहे लोगों की जांच के लिए ही किया जाए। उन्होंने कहा है कि कोरोना के लक्षण आने के पांच दिन बाद जांच में रैपिड टेस्ट का उपयोग ठीक नहीं है। ऐसे में राज्यों में कुल जांच की 30-40 प्रतिशत ही रैपिड टेस्ट से होनी चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि रैपिड टेस्ट की विश्वसनीयता दर कम है। ऐसे में इनमें निगेटिव आने वाले संदिग्ध मरीजों की हर हाल में आरटी-पीसीआर जांच की जानी चाहिए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलावा रैपिड टेस्ट किट की सप्लाई करने विक्रेताओं को भी सभी बैचों में स्थिरता रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि किट के सभी बैचों में स्थिरता नहीं होने से जांच प्रभावित हो सकती है। मंत्रालय ने राज्यों को भी टेस्ट किट सप्लाई करने वालों के यहां समय-समय पर जांच करने को कहा है। बता दें कि वर्तमान में देश में आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त 50 रैपिड टेस्ट किट चलन में हैं।

लैब के बाहर होता है टेस्ट

रैपिड एंटीजेन टेस्ट लैब के बाहर किया जाने वाला टेस्ट है। एंटीजन वो बाहरी पदार्थ है, जो कि हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी पैदा करने के लिए एक्टिवेट करता है। एंटीबॉडीज़ बीमारियों से लड़ने में कारगर साबित होती हैं। एंटीजन वातावरण में मौजूद कोई भी तत्व हो सकता है, जैसे कि कैमिकल, बैक्टीरिया या फिर वायरस। एंटीजन नुकसानदेह है और शरीर में इसका पाया जाना ही इस बात का संकेत है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को एक बाहरी हमले से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाने पर मजबूर होना पड़ा है।

भारत में तीन तरह के टेस्ट का उपयोग किया जा रहा है

भारत में तीन तरह के टेस्ट का उपयोग किया जा रहा है, आरटी-पीसीआर टेस्ट, रेपिड एंटीजेन और एंटीबॉडी टेस्ट, जिन्हें आईसीएमआर द्वारा स्वीकृति मिली हुई है। ये टेस्ट अलग तरह से काम करते हैं। आरटी-पीसीआर टेस्ट वायरस का पता लगाता है और एंटीबॉडी टेस्ट खून में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ का पता लगाता है। रेपिड एंटीजेन टेस्ट नाक से लिया जाता है, आरटी-पीसीआर परीक्षण नाक और गले से लिए गए तरल पदार्थ पर किया जाता है, जबकि एंटीबॉडी परीक्षण खून पर किए जाते हैं। इन तीनों टेस्ट के परिणामों के आने का समय भी अलग-अलग है।

ये भी पढ़ें:Cricket News: मुश्ताक अली ट्रॉफी से वापसी करेंगे रैना, दर्शकों को है कबसे इंतज़ार

रेपिड एंटीजेन का परिणाम कुछ ही मिनटों में आ जाता है। आरटी-पीसीआर टेस्ट का परिणाम आने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है, जबकि एंटीबॉडी टेस्ट का परिणाम 15 से 30 मिनट में आ जाता है। हालांकि, आजकल टेस्ट करवाने वालों की संख्या काफी ज़्यादा है, इसलिए अगर आप इनमें से कोई टेस्ट करवाते हैं, तो उसका परिणान आने में 24 घंटे से ज़्यादा का समय लग सकता है।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story