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सबसे बड़ी चेतावनीः सर्दियों के मौसम में कोरोना का बड़ा ख़तरा
सर्दियां दस्तक दे रही हैं और यही वो समय होता है जब कोल्ड-फ्लू यानी सर्दी-ज़ुकाम आम बात हो जाती है। लेकिन इस बार की सर्दी दुनिया के कई वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा रही है।
नई दिल्ली: सर्दियां दस्तक दे रही हैं और यही वो समय होता है जब कोल्ड-फ्लू यानी सर्दी-ज़ुकाम आम बात हो जाती है। लेकिन इस बार की सर्दी दुनिया के कई वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा रही है। डर इस बात का है कि ठंडी हवाओं के साथ बदलते मौसम की वजह से, कोरोना वायरस अपनी अधिक ताक़त के साथ तेज़ी से फैल सकता है।
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कई वैज्ञानिकों को ये आशंका है कि सर्दी के मौसम में दुनिया को कोरोना वायरस की सेंकेंड वेव का सामना करना पड़ सकता है, जो पहले से कहीं अधिक जानलेवा होगी। उत्तरी गोलार्ध के देशों के लिए चिंता का सबब कहा जा रहा है। आशंका है कि कोरोना वायरस ने यदि अपने परिवार के अन्य वायरस की तरह व्यवहार किया तो सर्दियों में इसका संक्रमण बढ़ जाएगा।
ऊपर नीचे होते रहते हैं संक्रामक रोग
कोलंबिया यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर मिकेला मार्टिनेज़ मानना है कि संक्रामक रोगों के ग्राफ में सालभर उतार-चढ़ाव आता रहता है।इंसानों में होने वाले हर संक्रामक रोग का एक ख़ास मौसम होता है। जैसे सर्दियों में फ्लू और कॉमन-कोल्ड होता है, उसी तरह गर्मियों में पोलिया और वसंत के मौसम में मीज़ल्स और चिकन-पॉक्स फैलता है। चूंकि सारे संक्रामक रोग मौसम के हिसाब से बढ़ते हैं, इसलिए ये माना जा रहा है कि कोरोना भी सर्दी में बढ़ेगा। कोरोना वायरस के संबंध में अभी तक जो प्रमाण मिले हैं, वो बताते हैं कि ह्यूमिडिटी जब बहुत अधिक होती है, कोरोना वायरस के लिए फैलना मुश्किल होता है।
फ्लू के मामले में ये होता है कि वायरस तापमान और हवा में मौजूद नमी के हिसाब से फैलता है। वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से जाएगा या नहीं, ह्यूमिडिटी इसमें अहम रोल अदा करती है।
ह्यूमिडिटी में कमी है खतरनाक
कोरोना वायरस बंद जगहों में भी तेज़ी से फैलता है। सर्दियों में लोग बंद जगहों में अधिक रहते हैं। इन दो तथ्यों को जब हम इंसानों के व्यवहार के साथ मिलाकर देखते हैं तो यही लगता है कि सर्दियों में कोरोना वायरस तेज़ी से फैलेगा। वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में ऐसे कई अध्ययन किए हैं जो बदलते मौसम के साथ वायरस की ताकत में आए बदलाव को दर्शाते हैं। शायद यही वजह है कि ब्रिटेन में सरकार की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कोरोना वायरस की सेंकेंड वेव में पहले से कहीं अधिक लोगों की जान सकती है।
corona (social media)
पहले से तैयारी जरूरी
सर्दियों में कोरोना का ख़तरा बढ़ने की आशंकाओं के चलते अभी से तैयारी जरूरी है। इसके लिए सिस्टम में तालमेल बढ़ाना होगा। लोकल लेवल पर ज़्यादा से ज़्यादा टेस्ट करने होंगे और केवल गंभीर मरीज़ों को ही बड़े अस्पताल में भर्ती कराना होगा, सेकेंड वेव की नौबत आने पर सिस्टम तभी कारगर तरीके से काम कर पाएगा। सर्दी में कोरोना इंफेक्शन के बढ़ते मामलों पर काबू पाने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और बेहतर तरीके से करनी होगी।
भारत के बारे में सबसे बड़ी चिंता
जर्मनी के जाने माने वायरस विशेषज्ञ क्रिस्टियान ड्रोस्टेन कहते हैं कि सर्दियां आसान नहीं होंगी। वह कहते हैं कि भारत को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है। कोरोना वायरस के खिलाफ जर्मनी के बहुत हद तक सफल संघर्ष का श्रेय क्रिस्टियान ड्रोस्टेन को ही दिया जाता है।
क्रिस्टियान ड्रोस्टेन का कहना है कि कोरोना वायरस का कोई टीका अगले साल तक ही आएगा, तो एक बड़ी आबादी तक टीके को मुहैया कराने में अगला पूरा साल लग सकता है। भले ही हम टीकाकरण शुरू कर दें, लेकिन जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को भी फिर भी मास्क पहनना होगा। भारत को लेकर इस समय सबसे बड़ी चिंता है। यहां आबादी बहुत ज्यादा है। इसीलिए वहां वायरस लगभग अनियंत्रित तरीके से फैल रहा है। इसके बाद दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीका को लेकर सबसे ज्यादा चिंता है।
संक्रमण से बचने के लिए जरूरी कदम
संक्रमण से बचने के लिए सबसे पहले मास्क पहने रहिए। फिजिकल दूरी कम से कम 6 फुट बनाये रखिये, सफाई का बेहद ध्यान रखिये। हर किसी को पता होना चाहिए कि यह वायरस किस तरह से फैलता है। मौसम में बदलाव के चलते कोरोना के मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। जब तक वैक्सीन नहीं बनती है, तबतक नियम का पालन और खुद का ध्यान रखना ही इससे बचने का एकमात्र सहारा है। बताया जा रहा है कि अगर लोग नियमों का पालन करें, तो कोरोना के खतरे को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतनी खराब स्थति में भी लोग मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग जैसी चीजों का पालन नहीं कर रहे हैं। लोग कोरोना से बचाव के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी
डब्लूएचओ ने चेतावनी दी है कि आने वाली सर्दियों में यूरोप समेत दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना का कहर बढ़ जाएगा। इस दौरान अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या बढ़ेगी और मृत्यु दर में भी इजाफा होगा। यूरोप में डब्ल्यूएचओ के रीजनल डाइरेक्टर हेनरी क्लग ने कहा कि सर्दियों में युवा लोग बुजुर्ग आबादी के ज्यादा करीब होंगे। हम गैरजरूरी भविष्यवाणी नहीं करना चाहते, लेकिन इसकी निश्चित रूप से आशंका है। इस दौरान ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती होंगे और मृत्युदर बढ़ जाएगी। क्लग ने आने वाले महीनों में तीन मुख्य कारणों पर फोकस करने के लिए कहा है। इनमें स्कूलों का फिर से खुलना, सर्दी-जुकाम का मौसम और सर्दियों के दौरान बुजुर्गों की ज्यादा मौत शामिल हैं। इन वजहों से संक्रमण के घातक होने का खतरा है।
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