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बच्चों को मिलेगी कोरोना से सुरक्षा, शुरू हुआ वैक्सीन का ट्रायल
दुनियाभर में कोरोना के जो भी टीके तैयार हुए हैं वे 12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिए जा सकते। हालांकि कई कंपनियों ने बच्चों के लिए टीका बनाने की बात कही है। भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन पर काम करने की बात कही है।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली: दुनिया में बच्चों को कोरोना से बचाए रखने की ओर पहला कदम उठा लिया गया है। अमेरिका की फार्मा कम्पनी मॉडर्ना ने घोषणा की है कि उसने 6 महीने से 12 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया है।
मॉडर्ना की जो वैक्सीन अभी बाजार में हैं और लोगों को दी जा रही है, वह कम से कम 18 साल की उम्र तक के लोगों के लिए है। मॉडर्ना की वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल अमेरिका और कनाडा में शुरू किया जा रहा है।
संक्रमण का कम खतरा
आमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों को कोरोना संक्रमण कम हुआ है और उनकी जान को खतरा भी कुछ हद तक कम है। ज्यादातर संक्रमित बच्चों में हल्के लक्षण होते हैं या फिर लक्षण नहीं होते, लेकिन अगर बच्चे संक्रमित होते हैं तो वायरस को फैलाने में उनकी बड़ी भूमिका हो सकता है क्योंकि बच्चे वयस्कों के ज्यादा करीब रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चों के लिए भी कोरोना वैक्सीन बने।
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अक्टूबर तक तैयार कर लिया जाएगा टीका
दुनियाभर में कोरोना के जो भी टीके तैयार हुए हैं वे 12 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिए जा सकते। हालांकि कई कंपनियों ने बच्चों के लिए टीका बनाने की बात कही है। भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भी बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन पर काम करने की बात कही है। कंपनी ने कहा कि इस साल अक्टूबर तक यह टीका तैयार कर लिया जाएगा।
इस बीच मॉडर्ना ने ऐलान किया है कि कोरोना वायरस के दक्षिण अफ्रीकी वैरिएन्ट को निशाना बनाने वाली उसकी नई वैक्सीन टेस्टिंग के लिए तैयार है। वैक्सीन के डोज अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ को जांच के लिए भेज दिए गए हैं।
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रिसर्च से भी पता चला है कि दक्षिण अफ्रीकी वैरिएन्ट ने वर्तमान वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा को आंशिक तौर पर कम किया है। हालांकि, शुरुआती परीक्षण में मॉडर्ना की मूल वैक्सीन एमआरएनए-1273 वैरिएन्ट्स के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है।
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