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Covid Eris symptoms: खतरनाक है कोरोना का नया वैरिएंट एरिस, जानें इसके लक्षण और उपाय
Covid Eris symptoms: एरिस या ओमिक्रॉन ईजी.5.1 (Omicron EG.5.1), ओमिक्रॉन एक्सबीबी (XBB) का एक उप-स्ट्रेन है। यह पहले की तुलना में एक अत्यधिक संक्रामक संस्करण है।
New Covid Variant ERIS: समूचे विश्व पर एक बार फिर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। कोरोना के एक नए वैरिएंट ने दस्तक दी है। इस नए SARS-CoV-2 वैरिएंट, ओमिक्रॉन EG.5.1 का उपनाम 'एरिस' है। बताया जा रहा है कि अमेरिका और ब्रिटेन में इस नए कोरोनो वायरस के मरीजों की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। भारत के पुणे में भी ईजी.5.1 वेरिएंट का एक मामला सामने आया है।
बता दें कि वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (WHO) ने इसी वर्ष जुलाई महीने में ईजी.5.1 यानी एरिस को निगरानी के तहत एक वेरिएंट के रूप में वर्गीकृत किया है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी इस नए कोरोना वैरिएंट को लेकर पैनिक होने की कोई खास जरुरत नहीं है।
क्या है एरिस (What is ERIS)
एरिस या ओमिक्रॉन ईजी.5.1 (Omicron EG.5.1), ओमिक्रॉन एक्सबीबी (XBB) का एक उप-स्ट्रेन है। यह पहले की तुलना में एक अत्यधिक संक्रामक संस्करण है। इसमें स्पाइक प्रोटीन एस: एफ456एल और एस: क्यू52एच पर अतिरिक्त उत्परिवर्ती हैं, जिसका उपयोग यह खुद को उपकला कोशिकाओं से जोड़ने के लिए करता है। एरिस को XBB की तुलना में लगभग 20-45 प्रतिशत अधिक संक्रामक पाया गया है।
एरिस के लक्षण (Symptoms of Eris)
डॉक्टरों का कहना है कि नए वेरिएंट के मुख्य लक्षणों में गले में खराश, नाक बहना, बंद नाक, छींक आना, सूखी खांसी, सिरदर्द और शरीर में दर्द शामिल हैं, लेकिन ज्यादातर मरीज बुखार या सांस फूलने की शिकायत नहीं करते हैं। यह वैरिएंट पहले के ओमीक्रॉन और कोविड स्ट्रेन के साथ देखी गई बीमारी से बहुत अलग नहीं है।
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इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार यूके स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKHSA) ने बताया है कि यह वैरिएंट 20.51 प्रतिशत की साप्ताहिक वृद्धि के साथ बहुत तेजी से फैल रहा है, और 20 जुलाई, 2023 तक यूके में सभी सीओवीआईडी -19 मामलों में इसका लगभग 14.5 प्रतिशत हिस्सा थे। अब तक, ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि ओमिक्रॉन ईजी.5.1 अन्य वेरिएंट की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है या अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का खतरा बढ़ाता है।
कैसे बचें एरिस से? (Prevention From ERIS)
पहले की तरह इस वैरिएंट से भी सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों, पहले से बीमार व्यक्तियों, और गर्भवती महिलाओं को है। टीकाकरण ही इससे भी बचाएगा। हाथ की स्वच्छता, सामाजिक दूरी, भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना, मास्क पहनना, अगर किसी को किसी भी प्रकार की श्वसन संबंधी बीमारी है तो घर पर रहना, इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है। अभी के मौसम में वैसे भी तमाम लोगों को H3N2, H1N1, डेंगू और टाइफाइड के मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए सर्दी, खांसी और बुखार से पीड़ित लोगों को घबड़ाना नहीं चाहिए और किसी विशेष बीमारी का पता लगाने के लिए तुरंत लैब टेस्ट करानी चाहिए।
क्या भारत को चिंतित होना चाहिए?
अंग्रेजी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक भारत में, अब तक, ईजी.5.1 वैरिएंट या एरिस का केवल एक मामला दर्ज किया गया है, जिसकी पहचान मई 2023 में पुणे में हुई थी। देश में उसके बाद के दो महीनों जून और जुलाई के दौरान मामलों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है। डॉक्टरों के अनुसार यह सब-वैरिएंट भारत में कोई उल्लेखनीय प्रभाव डालने में सक्षम नहीं है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि हम सतर्क रहें और सावधानी बरतते रहें, अपनी सतर्कता में कोई कमी न आने दें। डॉक्टरों का मानना है कि वर्तमान में कोविड का प्रमुख संस्करण XBB.1.16 है और 8 अगस्त तक महाराष्ट्र में कोविड के 103 एक्टिव केस थे। कुल मिलकर एरिस भारत के लिए अभी कोई खतरा नहीं है।