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Conjunctivitis in Delhi: दिल्ली में आ गई भयानक बीमारी, बाढ़ के कहर के बाद लोगों में आंखों की समस्या बढ़ रही
Conjunctivitis in Delhi: बता दें जब भी किसी जगह में बाढ़ आती है तो उसके बाद वहां कई तरह के इंफेक्शन बेहद तेज़ी से बढ़ने लगते हैं। ऐसा ही कुछ हाल दिल्ली-NCR का भी हुआ है। जहाँ पर इन दिनों बारिश और बाढ़ का कहर के बाद लोगों में आंखों की समस्या तेज़ी से बढ़ने लगी है। रिपोर्ट की माने तो यहाँ पर लोगों की बड़ी संख्या में कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) की समस्या से ग्रसित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। सूत्रों की माने तो ऐसे मरीज़ों की संख्या में 50 से 60 प्रतिशत तक इज़ाफ़ा हुआ है।
Conjunctivitis in Delhi: बीते कुछ दिनों में देश की राजधानी दिल्ली-NCR में बारिश और बाढ़ का कहर भरपूर बरपा। अब जब बारिश और बाढ़ का कहर थम गया है तो उसके कई साइड इफेक्ट्स भी सामने आने लगे हैं। जाहिर सी बात है कि बारिश के बाद मच्छरों के कारण होने वाली कई बीमारियों के साथ शरीर के कई दूसरे अंग की समस्याएं भी बढ़ने लगती है। बता दें जब भी किसी जगह में बाढ़ आती है तो उसके बाद वहां कई तरह के इंफेक्शन बेहद तेज़ी से बढ़ने लगते हैं। ऐसा ही कुछ हाल दिल्ली-NCR का भी हुआ है। जहाँ पर इन दिनों बारिश और बाढ़ का कहर के बाद लोगों में आंखों की समस्या तेज़ी से बढ़ने लगी है। रिपोर्ट की माने तो यहाँ पर लोगों की बड़ी संख्या में कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) की समस्या से ग्रसित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। सूत्रों की माने तो ऐसे मरीज़ों की संख्या में 50 से 60 प्रतिशत तक इज़ाफ़ा हुआ है।
बाढ़ के कारण क्यों होती है स्वास्थ्य समस्या
पर्यावरण और समुदायों पर पड़ने वाले महत्वपूर्ण प्रभाव के कारण बाढ़ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। बाढ़ का पानी बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों सहित विभिन्न रोगजनकों से दूषित हो सकता है। दूषित पानी पीने या उसके संपर्क में आने से हैजा, टाइफाइड, पेचिश और गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी जलजनित बीमारियाँ हो सकती हैं। बाढ़ मच्छरों और अन्य रोग फैलाने वाले वैक्टरों के लिए प्रजनन स्थल बनाती है। रुका हुआ पानी इन रोगवाहकों को पनपने के लिए एक आदर्श वातावरण प्रदान करता है, जिससे मलेरिया, डेंगू बुखार और जीका वायरस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इतना ही नहीं बाढ़ फसलों को नष्ट कर सकती है, खाद्य आपूर्ति को दूषित कर सकती है, और भोजन और स्वच्छ पानी के वितरण को बाधित कर सकती है। इससे कुपोषण हो सकता है और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं, खासकर बच्चों और बुजुर्गों जैसी कमजोर आबादी के लिए।
क्या है कंजंक्टिवाइटिस ? (What Is Conjunctivitis)
कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis), जिसे हिंदी में "पिंक आई" भी कहा जाता है, एक आँखों की सूजन या संक्रमण है जो आँखों के सफेद भाग को ढकने वाले पतले और पारदर्शी तंतु कंजंक्टिवा की भीतरी सतह को प्रभावित करता है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, और लक्षण और गंभीरता कारण के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण (Symptoms Of Conjunctivitis)
लालिमा और खुजली: कंजंक्टिवाइटिस का मुख्य लक्षण होती है आँखों की लालिमा, जो कंजंक्टिवा में रक्त वाहिकाओं के विस्तार के कारण होती है। आँखें खुजली, रूखापन या त्रस्त भी महसूस कर सकती हैं।
आँसू या रस का उत्सर्जन: कंजंक्टिवाइटिस से आँखों से अत्यधिक आंसू या रस का उत्सर्जन हो सकता है। उत्सर्जन स्वच्छ और जलीय हो सकता है (वायरल कंजंक्टिवाइटिस में), गाढ़ा और पीला या हरा हो सकता है (बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में), या सफेद और डोरीदार हो सकता है (एलर्जीक कंजंक्टिवाइटिस में)।
सूजन आंखों की पलकों का: कुछ केसों में, कंजंक्टिवाइटिस के कारण आंखों की पलकें सूज जाती हैं या गाँठें बन सकती हैं।
प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता: कंजंक्टिवाइटिस आंखों को प्रकाश के प्रति संवेदनशील बना सकती है, जिससे चमकदार माहौल में तकलीफ हो सकती है।
दृष्टि का धुंधलापन: कंजंक्टिवाइटिस के कारण सूजन और रस का उत्सर्जन आंखों की दृष्टि को धुंधला बना सकता है, लेकिन यह आमतौर पर उस समय ही सुधर जाता है जब यह स्थिति सुधारती है।
संक्रामकता: बैक्टीरियल और वायरल कंजंक्टिवाइटिस अत्यंत संक्रामक होती है और इन्हें एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क से फैल सकता है।
एलर्जिक प्रतिक्रिया: एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस आमतौर पर पर्वाहितकर्ताओं जैसे परागंध, पालतू जानवरों के फुर या धूल मानवों को बोलती है। यह बहुत असह
कंजंक्टिवाइटिस से बचने के उपाय
स्वच्छता बनाये रखें
व्यक्तिगत वस्तुओं को साझा करने से बचें
स्वच्छ कॉन्टैक्ट लेंस बनाए रखें
अपनी आँखों को रगड़ने से बचें
अपनी आंखों को जलन पैदा करने वाले पदार्थों से बचाएं
आंखों की अच्छी स्वच्छता का पालन करें
भीड़-भाड़ वाली जगहों पर सावधान रहें
स्वच्छ वातावरण बनाए रखें
संक्रमित व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क से बचें
जरूरत पड़ने पर चिकित्सा सहायता लें