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Diwali 2023: त्योहारी मौसम में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ूड से बच कर रहें

Diwali 2023: ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें सामान्य रसोई में नहीं बनाया जा सकता है वे अल्ट्रा प्रोसेस्ड होते हैं। एक ऐसी औद्योगिक प्रक्रिया से गुज़रा है जिसे एक घरेलू रसोइया नहीं बना सकता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 10 Nov 2023 9:15 AM IST (Updated on: 10 Nov 2023 9:15 AM IST)
ultra processed food
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ultra processed food  (photo: social media )

Diwali 2023: त्योहारी मौसम है। जिधर देखिये दुकानों में खान-पान की एक से बढ़ कर एक पैकेट बंद-डिब्बाबंद चीजें मौजूद हैं। तरह तरह की मिठाई, नमकीन सभी कुछ है। रंगीन, साफ़ और क्रिस्प। लेकिन ये भी जान लीजिये कि ये सब प्रोसेस्ड फ़ूड है। ये अत्यधिक तापमान पर और अत्यधिक प्रोसेस्ड मैदा और तेल से तैयार खाद्य पदार्थ हैं। ये कोइ आपके घर पर बनी मिठाइयाँ और नमकीन नहीं हैं जिस्मों आटे का इस्तेमाल किया जाता है और तेल भी सोच समझ कर इस्तेमाल किया जाता है।

क्या है प्रोसेस्ड फ़ूड

अगर आप नहीं जानते तो जान लीजिये कि मार्केट में आप जो कुछ भी खाते हैं या घर पर डिब्बाबंद चीज लाते हैं वह किसी न किसी प्रकार की प्रोसेसिंग से गुजरा हुआ होता है - जैसे कि धुलाई, ब्लीचिंग, डिब्बाबंदी, सुखाने, केमिकल मिलाने या पास्चुरीकृत करने। दूसरे शब्दों में, किसी खाद्य पदार्थ में यदि खाना बनने से शुरू करने के तरीके से लेकर शेल्फ पर पहुँचने तक कोई बदलाव होता है, तो इसे प्रोसेस्ड माना जाता है।

इसके आगे अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ भी होते हैं। अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को खेत से टेबल तक ले जाने के लिए एक औद्योगिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें अक्सर हाइड्रोजनीकरण जैसे चरण शामिल होते हैं, जो अर्धठोस तेल का उत्पादन करता है, और हाइड्रोलिसिस, जो स्वाद बढ़ाता है। इन खाद्य पदार्थों में विभिन्न प्रकार के केमिकल भी होते हैं जो उस सामग्री को एक साथ बांधने, उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने या उन्हें अधिक स्वादिष्ट बनाने में मदद करते हैं।


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साधारण सा नियम

एक साधारण नियम है - ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें सामान्य रसोई में नहीं बनाया जा सकता है वे अल्ट्रा प्रोसेस्ड होते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो उनमें एक ऐसा घटक होता है जो आम तौर पर घरों में नहीं पाया जाता है या जो एक ऐसी औद्योगिक प्रक्रिया से गुज़रा है जिसे एक घरेलू रसोइया नहीं बना सकता है। क्या आपकी रसोई में बाजार वाली सोहन पपड़ी या पतीसा बन सकता है? क्या वो बीकानेरी भुजिया घर पर वैसी ही बन सकती है? जवाब आप खुद जानते हैं। नार्थ कैरोलिना विश्वविद्यालय में न्यूट्रीशन के प्रोफेसर बैरी पॉपकिन कहते हैं - बहुत सी चीजें जिनकी आप कभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं वह भोजन के लिए की जा सकती हैं। आप केवल सामग्री से नहीं बता सकते कि उसमें क्या-क्या फेरबदल किया गया है।

शोधकर्ताओं का तर्क है कि खाद्य पदार्थों को अल्ट्राप्रोसेस्ड के रूप में पहचानने का एक और तरीका है 12 प्रकार के एडिटिव्स में से सिर्फ एक का होना - जिसमें विशिष्ट स्वाद, इमल्सीफायर, फोम, गाढ़ा करने वाले एजेंट और ग्लेज़िंग एजेंट शामिल हैं - एक घटक के रूप में सभी अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की एक विशेषता है। इनमें से लगभग 97 प्रतिशत खाद्य पदार्थों के लिए कृत्रिम रंग और स्वाद की उपस्थिति पहले से ही एक स्पष्ट संकेत होगी।


सेहत पर असर

शोध से पता चलता है कि अल्ट्राप्रोसेस्ड भोजन से मोटापे, टाइप 2 मधुमेह, कुछ कैंसर, हृदय रोग और यहां तक कि हल्के अवसाद और चिंता सहित कई अन्य बीमारियाँ हो सकती हैं। लेकिन अल्ट्रा प्रोसेस्ड आहार की कौन सी चीज नुकसान पहुंचाती है इसके किसी एक स्पष्ट तंत्र की पहचान नहीं की गई है।

अध्ययनों ने अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की अधिक खपत और आंत के रोगाणुओं की संरचना में गहरे बदलाव के बीच एक संबंध का भी सुझाव दिया है। और इसे मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से जोड़ा गया है। इन खाद्य पदार्थों के नकारात्मक प्रभाव इस बात का भी परिणाम हो सकते हैं कि उनमें किस चीज़ की कमी है: फाइबर। किसी भोजन को औद्योगिक रूप से संसाधित करने से उसमें फाइबर की मात्रा कम हो सकती है, जिससे उसे खाने के बाद व्यक्ति कम तृप्त हो सकता है। फाइबर आंत में बैक्टीरिया को भी पोषण देता है, और इस पोषक तत्व की अनुपस्थिति भी आहार, अवसाद और आंत स्वास्थ्य के बीच संबंध को स्पष्ट कर सकती है।


वैज्ञानिक अभी भी निश्चित रूप से नहीं जानते हैं कि हम अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की ओर क्यों आकर्षित होते हैं। एक परिकल्पना यह है कि हम इन आहार के अवयवों के संयोजन का विरोध करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। जैसे कि आप चिप्स के पैकेट से मात्र एक चिप खा कर संतुष्ट नहीं हो सकते ये लगभग असंभव है। सो अल्ट्राप्रोसेस्ड फ़ूड में मिली कई चीजों और उनको बनाने के तरीकों में ही कुछ है जो लोगों को इनका दीवाना बना देता है।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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