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सभी वैक्सीन के होते हैं कुछ सामान्य साइड इफेक्ट, इससे घबराएं नहीं
आमतौर पर कोई भी वैक्सीन लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है। ये किसी नुकसान या बीमारी का लक्षण नहीं होता बल्कि इसका मतलब होता है कि वैक्सीन अपना काम कर रही है।
लखनऊ: भारत में वैक्सीन लगाने का काम शुरू हो गया है। लोगों में उत्साह और उम्मीद है। साथ ही वैक्सीन के साइड इफ़ेक्ट की भी चर्चा है। आमतौर पर कोई भी वैक्सीन लगने के बाद त्वचा का लाल होना, टीके वाली जगह पर सूजन और कुछ वक्त तक इंजेक्शन का दर्द होना आम बात है। कुछ लोगों को वैक्सीन लगने के पहले तीन दिनों में थकान, बुखार और सिरदर्द भी होता है।
ये किसी नुकसान या बीमारी का लक्षण नहीं होता बल्कि इसका मतलब होता है कि वैक्सीन अपना काम कर रही है और शरीर ने बीमारी से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया है। साइड इफ़ेक्ट के बारे में बहुत चिंता करने की बात नहीं है, हाँ अगर कोई पहले से बीमार है या किसी चीज से गंभीर एलर्जी है तो ऐसे में जरूर अपने डाक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।
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किसी वैक्सीन में कोई बड़ा साइड इफ़ेक्ट नहीं
अब तक कोरोना की जिन वैक्सीनों को अनुमति मिली है, परीक्षणों में उनमें से किसी में भी बड़े साइड इफेक्ट नहीं मिले हैं। एक दो मामलों में लोगों को वैक्सीन से एलर्जी होने के मामले सामने आए थे लेकिन परीक्षण में हिस्सा लेने वाले बाकी लोगों में ऐसा नहीं देखा गया।
ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्रा जेनेका :
भारत में ये वैक्सीन सीरम इंस्टिट्यूट ले कर आया है और यही लोगों को लगना शुरू हुआ है। इस वैक्सीन के परीक्षण को सितंबर में तब रोकना पड़ा जब उसमें हिस्सा लेने वाले एक व्यक्ति ने रीढ़ की हड्डी में सूजन की बात बताई। इसकी जांच के लिए बाहरी एक्सपर्ट भी बुलाए गए जिन्होंने कहा कि वे यकीन से नहीं कह सकते कि सूजन की असली वजह वैक्सीन ही है। इसके अलावा बाकी के टीकों की तरह यहां भी ज्यादा उम्र के लोगों में बुखार, थकान जैसे लक्षण कम देखे गए हैं।
‘कोविशील्ड’ को लेकर पूनावाला ने क्या कहा ??
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने ‘कोविशील्ड’ वैक्सीन को पूरी तरह से सुरक्षित बताया है। पूनावाला ने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद थोड़ा सिरदर्द या बुखार हो सकता है लेकिन कोई घबराने की बात नहीं है। बुखार भी दो बार पैरासेटामोल लेकर ठीक हो जाता है। यह हमारी रिकमंडेशन है। पूनावाला ने कहा - हम यह नहीं बोल सकते हैं कि गंभीर रिएक्शन नहीं हो सकते। जब हजारों, करोड़ों लोग इतने कम समय में वैक्सीन लेंगे तो कुछ भी रिएक्शन हो सकते हैं। यह नॉर्मल है।
अन्य वैक्सीनें
फाइजर बायोएनटेक :
जर्मनी और अमेरिका ने मिलकर जो टीका बनाया है वह बाकी टीकों से अलग है। वह एमआरएनए का इस्तेमाल करता है यानी इसमें कीटाणु नहीं बल्कि उसका सिर्फ एक जेनेटिक कोड है। यह टीका अब कई लोगों को लग चुका है। अमेरिका में एक और ब्रिटेन में दो लोगों को इससे काफी एलर्जी हुई। इसके बाद ब्रिटेन की राष्ट्रीय दवा एजेंसी एमएचआरए ने चेतावनी दी कि जिन लोगों को किसी भी टीके से जरा भी एलर्जी रही हो, वे इसे ना लगवाएं।
मॉडेर्ना :
अमेरिकी कंपनी मॉडेर्ना का टीका भी काफी हद तक फाइजर के टीके जैसा ही है। परीक्षण में हिस्सा लेने वाले करीब दस फीसदी लोगों को थकान महसूस हुई। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिनके चेहरे की नसें कुछ वक्त के लिए पेरैलाइज हो गई। कंपनी का कहना है कि अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि ऐसा टीके में मौजूद किसी तत्व के कारण हुआ या फिर इन लोगों को पहले से ऐसी कोई बीमारी थी जो टीके के कारण बिगड़ गई।
स्पूतनिक 5 :
रूस की वैक्सीन का दो चरण का ट्रायल भारत में हुआ है लेकिन अभी तक किसी साइड इफ़ेक्ट की जानकारी नहीं मिली है। वैसे इस वैक्सीन को रूस ने अगस्त में ही मंजूरी दे दी गई थी। किसी भी टीके को तीन दौर के परीक्षणों के बाद ही बाजार में लाया जाता है, जबकि स्पूतनिक के मामले में दूसरे चरण के बाद ही ऐसा कर दिया गया। जानकारों की शिकायत है कि इसके पूरे डाटा को सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए साइड इफेक्ट्स के बारे में ठीक से नहीं बताया जा सकता।
कोवैक्सीन :
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को सरकार ने इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अनुमति दी है लेकिन इसके भी तीसरे चरण के परीक्षणों के बारे में जानकारी नहीं है। ये कितनी कारगार है अभी ये स्पष्ट नहीं है। इसी वजह से इस टीके को शर्तों के साथ अनुमति दी गयी है।
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बच्चों के लिए टीका :
आम तौर पर पैदा होते ही बच्चों को टीके लगने शुरू हो जाते हैं लेकिन कोरोना के टीके के मामले में ऐसा नहीं होगा। इसकी दो वजह हैं, एक तो बच्चों पर इसका परीक्षण नहीं किया गया है और न ही इसकी अनुमति है। और दूसरा यह कि महामारी की शुरुआत से बच्चों पर कोरोना का असर न के बारबार देखा गया है। इसलिए बच्चों को यह टीका नहीं लगाया जाएगा। साथ ही गर्भवती महिलाओं को भी फिलहाल यह टीका नहीं दिया जाएगा।
क्या होता है सेफ टीका
एक सुरक्षित टीके की बात करें तो किसी टीके से अगर एक वृद्ध व्यक्ति की उम्र 20 प्रतिशत घटती है लेकिन साथ ही अगर 50 हजार में से सिर्फ एक व्यक्ति को उससे एलर्जी होती है, तो ऐसे टीके को सुरक्षित मानेंगे। यूरोप में इसी पैमाने पर टीकों को अनुमति दी जा रही है।
नीलमणि लाल