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कोरोना वैक्सीनेशन: कौन लोग नहीं लगवा सकते हैं वैक्सीन, जानिए सभी जरूरी बातें
अमेरिका के सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन से कई लोगों में गंभीर एलर्जी पाई गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों को मामूली दिक्कत महसूस होगी जो आम बात है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस से मची तबाही के बाद अब लोगों को इससे थोड़ी रहात मिली है। कई देशों में कोरोना वैक्सीन देने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। भारत में भी 16 जनवरी यानी शनिवार से कोरोना वायरस का वैक्सीनेशन शुरू होने जा रहा है। भारत में कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी जा चुकी है।
वैसे तो कोरोना की सभी वैक्सीन सुरक्षित हैं, लेकिन फिर भी कुछ लोगों को बहुत सोच समझ कर वैक्सीन लेने की सलाह दी जा रही है। आइए जानते हैं किन लोगों को कोरोना वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर की सलाह सेनी लेनी चाहिए और फिर वैक्सीन लगवानी चाहिए।
वैक्सीन लगवाने से बचें ये लोग
अमेरिका के सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के मुताबिक, फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन से कई लोगों में गंभीर एलर्जी पाई गई है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों को मामूली दिक्कत महसूस होगी जो आम बात है।
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-लेकिन गंभीर बीमारी जैसे एनाफिलेक्सिस, ऐसे लोगों को CDC की सलाह है कि वैक्सीन में इस्तेमाल किसी भी इनग्रेडिएंट से अगर किसी को एलर्जी है तो ये वैक्सीन ना लगवाए।
-ऐसा भी देखा गया है कि जब कुछ लोग इंजेक्शन लगवाने जाते हैं उसके बाद उनमे गंभीर एलर्जी की समस्या होती है तो ऐसे लोगों को भी कोरोना वैक्सीन लेने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।
-अगर किसी व्यक्ति को कोरोना वैक्सीन के पहले शॉट में ही गंभीर एलर्जी की दिक्कत आने लगती है तो उन्हें वैक्सीन की दूसरी शॉट नहीं लेने की सलाह दी गई है।
-जिन लोगों को पहले से किसी भी प्रकार की कोई एलर्जी नहीं है उन्हें वैक्सीन देने के 15 मिनट बाद तक जबकि एलर्जी की शिकायत वालों को 30 मिनट तक निगरानी में रखा जाएगा।
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प्रेग्नेंट महिलाएं
प्रेग्नेंट या ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को कोरोना वैक्सीन लगवाने से पहले डॉक्टर की सलाह ले लेनी चाहिए। गर्भवती महिलाओं में COVID-19 वैक्सीन की सुरक्षा पर कोई डेटा नहीं है, क्योंकि उन्हें क्लिनिकल ट्रायल से बाहर रखा गया था। ऐसे उनके लिए चिंता की बात हो सकती है। हालांकि, अमेरिका के कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि भले प्रेग्नेंट महिलामों पर वैक्सीन का डेटा उपलब्ध नहीं है, लेकिन ये कोरोना से सुरक्षा देती है और कोरोना की वजह से प्रेग्नेंसी पर पड़ने वाले गंभीर दुष्प्रभावों से बचा सकती है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बाद ही वैक्सीन लगवाएं। वहीं CDC का कहना है कि ब्रेस्ट फीड करने वाले बच्चों में वैक्सीन का फिलहाल कोई प्रभाव नहीं देखा गया है।
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कोरोना पॉजिटिव हुए लोग
यह सवाल सबके मन में आया होगा कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं उनपर ये वैक्सीन असर करेगी या नहीं? क्लिनिकल ट्रायल में सारी वैक्सीन उन लोगों पर सुरक्षित पाई गई हैं जो पहले कोरोना से संक्रमित रह चुके हैं। CDC का कहना है कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को तब तक वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए जब तक वो आइसोलेशन और इस महामारी से पूरी तरह बाहर ना आ जाए। वहीं एंटीबॉडी थेरेपी लेने वालों को 3 महीने के बाद वैक्सीन लगवानी चाहिए।
किन बच्चों को लगेगी वैक्सीन
18 साल और उससे ऊपर के लोगों को के लिए मॉडर्ना वैक्सीन है। फाइजर वैक्सीन 16 साल और उससे ज्यादा के लोगों के लिए। तो वहीं भारत बायोटेक की कोवैक्सीन 12 साल या उससे ऊपर के लोगों को दी जा सकती है।
बता दें कि भारत में 16 जनवरी से टीकाकरण अभियान शुरू हो रहा है। इसमें सबसे पहले डॉक्टरों, हेल्थकेयर वर्कर्स, सफाई कर्मचारियों सहित सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद 50 साल के ऊपर के लोगों को वैक्सीन दिया जायेगा।
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