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Heart Attack: ‘गोल्डन आवर’ में तीन गुना लोगों की बची ज़िंदगी, जान लीजिए क्या है ये मुश्किल में पड़ सकती है जरुरत
Heart Attack: नए टे्रण्ड की मानें तो पांच साल में हार्ट अटैक में गोल्डेन ऑवर तीन गुना मरीजों की जान बचाने लगा है।
Heart Attack: कोविड फोबिया ने भारतीयों को पहले से ज्यादा सजग कर दिया है। अब हार्ट अटैक में गोल्डेन ऑवर की अहमियत मानकर मरीज को एलपीएस कार्डियोलाजी इंस्टीट्यूट में लाने में तेजी दर्ज की गई है। नए टे्रण्ड की मानें तो पांच साल में हार्ट अटैक में गोल्डेन ऑवर तीन गुना मरीजों की जान बचाने लगा है।
कार्डियोलाजी ने शासन को पांच सालों में गोल्डेन ऑवर में मरीजों के बचने की रिपोर्ट भेज कर साफ किया है कि गोल्डेन ऑवर को लेकर जागरूकता बढ़ाने का समय आ गया है। इसके लिए सारे अस्पतालों में ओपीडी में स्लाइडें चलाई जानी चाहिए। कोरोना काल से पहले हार्ट अटैक के मामले में पहले परिजन मरीज को तमाम कयासों के चलते घर पर ही इलाज कराने लगते थे। हार्ट अटैक के लक्षणों को कभी गैस तो कभी मांसपेशियों के दर्द से जोड़कर उसे नजर अंदाज कर दिया जाता रहा है लेकिन कोरोना काल में मरीजों की मौतें कार्डियक अरेस्ट से हुईं तो लोगों में पहले से ज्यादा जागरूकता का संचार हुआ है। अब हार्ट अटैक या एनजाइना जैसे मामलों में परिजन बिना इंतजार किए कार्डियोलाजी लाने लगे हैं इसलिए कोरोना काल से पहले गोल्डेन ऑवर में एक साल में सिर्फ 912 आए लेकिन बीते साल यह तीन गुना बढ़कर 2623 पहुंच गई। साफ है कि मरीज और परिजन पहले से ज्यादा सजग हो गए हैं और गोल्डेन ऑवर में मरीज को कार्डियोलाजी लाने की पहल की। साफ है कि हार्ट अटैक के बाद गोल्डेन ऑवर में पहुंचे इतने मरीजों को जीवनरक्षक टेनेक्टप्लेज इंजेक्शन देकर बचाया गया, इसी में बीते साल 603 हार्ट अटैक मरीजों को तत्काल एंजियोप्लास्टी की जरूरत हुई तो उन्हें 6 घंटे के भीतर एंजियोप्लास्टी कर हर तरह के जोखिम से बाहर कर दिया गया।
गोल्डेन ऑवर इन मरीजों को बचाया
2018-19 में 912, 2019-20 में 1068, 2020-21 में 1172, 2021-22 में 1746, 2022-23 में 2623 मरीज
गोल्डेन ऑवर क्या है
दिल का दौरा (हार्ट अटैक) पड़ने के पहले घंटे को गोल्डेन ऑवर कहा जाता है। इस समय को हार्ट अटैक के मरीज की सेहत के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक आया है अगर उसे इस समय के दौरान सही इलाज मिल जाए तो उसकी जिंदगी को बचाया जा सकता ।
हार्ट अटैक आने का कारण
हार्ट में ब्लड की सप्लाई धमनियों के जरिए होती हैं। कई बार वह सप्लाई बाधित हो जाती है जिसकी वजह खून का थक्का जमना या अन्य कोई कारण होता है। इसी के चलते व्यक्ति को हार्ट अटैक आता है. हार्ट अटैक आने की शुरुआती स्थिति में मरीज को वक्त पर सही इलाज मिलना जरूरी होता है।
क्या होते लक्षण
दिल का दौरा पड़ने के सामान्य लक्षणों में सीने में दर्द, बेचैनी या सीने में जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, गर्दन, पीठ, बांह या कंधे में दर्द, जी मिचलाना, सिर घूमना या चक्कर आना, थकान, सीने में जलन और अपच का अहसास, ठंडा पसीना आना है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कार्डियोलाजी इंस्टीट्यूट निदेशक प्रो. विनय कृष्णा का कहना है अब लोगों में गोल्डेन ऑवर की समझ बढ़ी, रेस्क्यू टाइमिंग और गैस के दर्द की मानसिकता कम होने लगी है। कोरोना काल के बाद इसमें खासा बदलाव मिल रहा है। अब तो हार्ट अटैक नहीं भी है लेकिन हल्के से लक्षणों पर लोग बिना समय गंवाए कार्डियोलाजी पहुंच रहे हैं। इसी कारण जिंदगी को बचाया जाना डॉक्टरों के लिए भी संभव हो सका है। 52 हजार का जीवनरक्षक टेनेक्टप्लेज इंजेक्शन यहां पर फ्री में लग रहा है। यह इंजेक्शन गोल्डेन ऑवर में लगाया जाता है। अगर मरीज 6 घंटे के बाद आया है तब इसे नहीं दिया जाता है।