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Human Brain: 10 प्रतिशत तक सिकुड़ गया इंसान का दिमाग, जाने इसकी डरा देने वाली वजह
Human Brain: हाल ही में सामने आई एक रिसर्च के मुताबिक जलवायु परिवर्तन यानि क्लाइमेट चेंज के कारण इंसान का दिमाग सिकुड़ता जा रहा है। अभी तक दिमाग का आकार सिकुड़ कर 10.7 प्रतिशत तक छोटा हो गया है। जैसे-जैसे क्लाइमेट चेंज में इजाफा होगा, वैसे-वैसे दिमाग छोटा होता चला जाएगा।
Human Brain: हाल ही में हुए एक रिसर्च में इंसान के दिमाग को लेकर एक डराने वाला फैक्ट सामने आया है। जिसके अनुसार जलवायु परिवर्तन यानि क्लाइमेट चेंज के कारण इंसान का दिमाग सिकुड़ता जा रहा है। अभी तक दिमाग का आकार सिकुड़ कर 10.7 प्रतिशत तक छोटा हो गया है। स्टडी के मुताबिक जैसे-जैसे क्लाइमेट चेंज में इजाफा होगा, वैसे-वैसे इंसान का दिमाग छोटा होता चला जाएगा।
दिमाग को लेकर गई इस स्टडी को ब्रेन, बिहेवियर और इवोल्यूशन’ में प्रकाशित किया गया है। कैलिफोर्निया स्थित नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साइंटिस्ट जेफ मॉर्गन स्टिबल ने क्लाइमेट चेंज के कारण इंसान के व्यवहार और दिमाग में हो रहे बदलाव को लेकर यह स्टडी की थी है।
साइंटिस्ट जेफ मॉर्गन के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण जिस तरह से पूरी दुनिया में मौसम बदल रहा है। ऐसे में इंसानी दिमाग पर जलवायु परिवर्तन का क्या असर पड़ रहा है, इसे समझना तो आसान नहीं है। लेकिन स्टडी में सामने आया कि क्लाइमेट चेंज के कारण इंसान का दिमाग सिकुड़ रहा है और समय के साथ छोटा होता जा रहा है। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के कारण इंसान का व्यवहार भी बदल रहा है।
जेफ मॉर्गन ने अपनी स्टडी में 298 इंसानों के दिमाग को लिया था। जो आज के समय से लेकर 50 हजार साल पुराने समय के दिमाग (पुराने इंसानों के जीवाश्म दिमाग) है। इसके साथ ही उन्होंने भौगोलिक स्थान के मौसम को भी देखा था। इस रिसर्च में हैरान करने वाला तथ्य सामने आया कि जब भी जलवायु गर्म होता है, दिमाग का औसत आकार घटने लगता है। जबकि, सर्दियों में दिमाग फैलने लगता है।
जेफ ने बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि कई प्रजातियों के जीवों के दिमाग विकसित हो रहा है यानि बढ़ रहा है, जबिक इंसानों का दिमाग छोटा होता जा रहा है। जेफ मॉर्गन के अनुसार उनकी पुरानी स्टडी में भी यह बात सामने आ चुकी थी, लेकिन वह इसकी जड़ों तक पहुंचना चाहते थे। उनका कहना है कि इंसानों का दिमाग समय-समय पर बदल रहा है, लेकिन इस पर स्टडी कम हुई है।