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वैक्सीन कितनी असरदार: बहुत काम की ये जानकारी, ऐसे पता करें इसके बारे में

कोई वैक्सीन कितनी असरदार है इसका एक आसान सा फार्मूला होता है। मान लीजिये कि कि किसी वैक्सीन के ट्रायल में 20 हजार लोग शामिल होते हैं। इनमें से दस हजार लोगों को वैक्सीन की खुराक और दूसरे दस हजार लोगों को सादी या ब्लैंक खुराक दी जायेगी।

Newstrack
Published on: 25 Nov 2020 5:10 AM GMT
वैक्सीन कितनी असरदार: बहुत काम की ये जानकारी, ऐसे पता करें इसके बारे में
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कोरोना वायरस: कैसे पता करते हैं कोई वैक्सीन कितनी असरदार (Photo by social media)

नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर उत्साहजनक नतीजे सामने आ रहे हैं। अमेरिकी कंपनी फाइजर और मॉडर्ना के बाद अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने भी अपनी संभावित वैक्सीन को प्रभावी पाया है। कोई कह रहा है कि उसकी वैक्सें 95 फीसदी असरदार है तो कोई 90 और कोई 60 फीसदी की बात कर रहा है।

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असरदार होने के क्या मतलब

कोई वैक्सीन कितनी असरदार है इसका एक आसान सा फार्मूला होता है। मान लीजिये कि कि किसी वैक्सीन के ट्रायल में 20 हजार लोग शामिल होते हैं। इनमें से दस हजार लोगों को वैक्सीन की खुराक और दूसरे दस हजार लोगों को सादी या ब्लैंक खुराक दी जायेगी।

कैसे लगाया जाता है वैक्सीन के प्रभाव का पता

मान लीजिये कि किसी संक्रमण की तेज रफ्तार के कारण आमतौर पर दस प्रतिशत लोग संक्रमित होते हैं। इस हिसाब से ट्रायल में शामिल जिन दस हजार लोगों को वैक्सीन की खुराक नहीं मिली है, उनमें से एक हजार यानी दस फीसदी लोग एक निश्चित समय में संक्रमित हो जाएंगे।

लेकिन ट्रायल में दस हजार लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें खुराक दी गई है। अगर वैक्सीन बिल्कुल भी काम नहीं करती है तो उनमें से भी एक हजार लोग संक्रमित होंगे। वहीं अगर वैक्सीन काम करती है और दस हजार में से मात्र 500 लोग संक्रमित होते हैं तो इसका मतलब ये है कि यह 50 प्रतिशत प्रभावी पाई गयी है। यानी वैक्सीन 50 प्रतिशत लोगों को बीमार होने से बचा रही है। इसी तरह अगर कोई वैक्सीन 90 प्रतिशत प्रभावी पाई जाती है तो इसका मतलब यह होगा कि जिन लोगों को खुराक दी गई थी, उनमें से 90 प्रतिशत लोग बीमार होने से बच जाएंगे।

corona corona (Photo by social media)

कई सवाल भी हैं

वैक्सीनों के बारे में जो दावे किये जा रहे हैं उनके बीच कुछ सवाल भी हैं जिनका जवाब मिलना अबाकी है। मसलन, क्या गर्भवती महिलाओं को इनकी खुराक दी जा सकेगी? क्या ये उनके लिए सुरक्षित होगी? वैक्सीन की खुराकों से कितने समय तक सुरक्षा मिलेगी? यह सुरक्षा किस तरह की होगी? इन सवालों की ठोस जानकारी के लिए बड़े स्तर के ट्रायल के नतीजों का इंतजार करना होगा।

कोई वक्सीन 100 फीसदी असरदार नहीं

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डायरेक्टर जनरल डॉ बलराम भार्गव ने कहा है कि, रेस्पिरेटरी वायरस के खिलाफ कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत असरदार नहीं है। उन्होंने बताया वैक्सीन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन तीन चीजों को जरूरी बताता है –

- सेफ्टी यानी इंसानों के लिए वैक्सीन कितनी सुरक्षित है।

- इम्यूनोजेनिसिटी यानी वैक्सीन से शरीर में बीमारी के प्रति प्रभावी इम्म्यूनिटी जनरेट होती है या नहीं।

- प्रभाव यानी वायरस के खिलाफ वैक्सीन कितनी प्रभावी होती है।

डॉ भार्गव का कहना है कि अगर हमें 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रभाव मिलता है, तो वैक्सीन को इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि 50 फीसदी प्रभावी वैक्सीन संक्रमण फैलने से रोकने के लिए काफी नहीं है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन कम से कम 50 फीसदी तक प्रभावी कोरोना वायरस वैक्सीन की बात करता है। जैसे फ्लू की वैक्सीन सिर्फ 40 से 60 फीसदी प्रभावी होती हैं और डॉक्टर इसे लगवाने की सलाह देते हैं क्योंकि वैक्सीन लगवाने से अस्पताल में भर्ती होने और मौत का जोखिम घटता है।

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वैक्सीन से मदद ही मिलेगी

अगर वैक्सीन कोरोना संक्रमण से पूरी तरह इम्युनिटी नहीं दे सकती और सिर्फ गंभीर लक्षणों को रोकने में मदद करती है तो वैक्सीन लगने के बावजूद कोई व्यक्ति वायरस का वाहक हो सकता है। इसके अलावा हर्ड इम्युनिटी प्राप्त करने या वायरस को पूरी तरह से मिटाने के लिए ये माना जाता है कि करीब दो-तिहाई आबादी में वैक्सीनेशन हो।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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