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अभी किसी वैक्सीन को नहीं मिली है मंजूरी, चार राज्यों में किया जा रहा है रिहर्सल
22 दिसंबर को नीति आयोग के मेम्बर वी.के. पॉल ने मीडिया से कहा था कि फाइजर ने अभी तक अपना डेटा प्रस्तुत नहीं किया है। अन्य दो कंपनियों ने अपना डेटा दिया है
नई दिल्ली: भारत में कोरोना की वैक्सीन लगाने का रिहर्सल चार राज्यों में किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि जनता को वैक्सीन लगाने का काम भी जल्द शुरू किया जाएगा। वैक्सीन लगाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि भारत में अभी किसी भी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को ड्रग कंट्रोलर की मंजूरी नहीं मिली है।
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दरअसल, भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया, भारत बायोटेक और फाइजर ने कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए आवेदन किया है जो अभी भी विचाराधीन है। सीरम इंस्टिट्यूट ने तो 5 करोड़ खुराकें बना कर रख भी लीं हैं लेकिन अभी उसे अप्रूवल नहीं दिया गया है।
और जानकार मांगी गयी है
22 दिसंबर को नीति आयोग के मेम्बर वी.के. पॉल ने मीडिया से कहा था कि फाइजर ने अभी तक अपना डेटा प्रस्तुत नहीं किया है। अन्य दो कंपनियों ने अपना डेटा दिया है और उनसे और अतिरिक्त डेटा देने को कहा गया है। पॉल ने कहा कि इनमें से एक कंपनी ने नया डेटा दिया जिसका परीक्षण किया जा रहा है।
पॉल ने इसके पहले कहा था कि वैक्सीनों का परीक्षण वैज्ञानिक आधार पर किया जा रहा है। वैक्सीन की सेफ्टी, इम्यूनिटी उत्पन्न करने की क्षमता और वैक्सीन की प्रभाविता पर पूरा संतोष हो जाना चाहिए।
corona (PC: social media)
सबसे पहले फाइजर ने किया था आवेदन
कोरोना की वैक्सीन के लिए सबसे पहले 4 दिसंबर को फाइजर कंपनी ने आवेदन किया था। फाइजर को अमेरिका, यूके, कनाडा, बहरीन समेत कई देशों में अप्रूवल मिल चुका है। इसके बाद 6 दिसंबर को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने ऑक्सफ़ोर्ड आस्ट्रा ज़ेनेका की वैक्सीन के लिए अप्रूवल मांगा था। भारत बायोटेक की अर्जी 7 दिसंबर को लगाई गयी थी।
सेन्ट्रल ड्रग्स स्टैण्डर्ड कण्ट्रोल आर्गेनाईजेशन (सीडीएससीओ) ने तीनों आवेदनों की पहली समीक्षा 9 दिसंबर को की और सभी कंपनियों से और जानकारियाँ साझा करने को कहा। सीरम इंस्टिट्यूट ने तो माँगी गयी जानकारी दे दी लेकिन फाइजर और भारत बायोटेक का डेटा अभी तक नहीं मिला है। सीडीएससीओ के प्रमुख वी.जी. सोमानी की तरफ से अभी कोई जानकारी नहीं दी गयी है।
पहले सिंगल डोज़ की मंजूरी मांगी गयी थी
इसके पहले सीरम इंस्टीट्यूट ने अपने आवेदन में 14 नवंबर तक के एकल डोज परीक्षण के आंकड़े साझा किए थे। जबकि उनका तीसरा और अंतिम परीक्षण नवंबर के आखिरी सप्ताह में शुरू ही हुआ था। इसलिए कंपनी की ओर से और जानकारी देने को कहा गया। केंद्र द्वारा गठित एसईसी समूह ने सीरम इंस्टीट्यूट से यूरोप में हुए परीक्षण के परिणाम भी मांगे।
बैठक से जुड़े दस्तावेजों के मुताबिक समूह ने साफ कहा है कि केवल 14 नवंबर तक के सुरक्षा परिणामों के आधार पर देश में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए 'कोवीशील्ड' को अनुमति नहीं दी जा सकती।
राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने स्पष्ट किया है
राष्ट्रीय टास्क फोर्स ने स्पष्ट किया है कि एकल डोज के आधार पर किसी टीके के आपात इस्तेमाल की अनुमति ने नहीं दी जाएगी। पुणनीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल का कहना है कि कोरोना के टीके को अनुमति देने से पहले सभी नियमों का पालन कराया जा रहा है। जब भी टीका बाजार में उपलब्ध होगा। यह सभी बिंदुओं, पैमानों और नियमों को पूरा करने के बाद ही वहां तक पहुंचेगा।
पांच करोड़ डोज़ तैयार
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा है कि कुछ दिनों में कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल जाएगी। पूनावाला ने बताया कि कंपनी ने पहले से 4 से 5 करोड़ कोविशील्ड वैक्सीन की डोज तैयार कर रखी हैं। उन्होंने कहा कि ये केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा कि उन्हें वैक्सीन की कितनी मात्रा और कितनी जल्दी चाहिए। उन्होंने कहा कि जुलाई 2021 तक वैक्सीन की 30 करोड़ डोज तैयार करने का लक्ष्य है।
अदार ने कहा कि भारत कोवॉक्स कार्यक्रम का हिस्सा है
अदार ने कहा कि भारत कोवॉक्स कार्यक्रम का हिस्सा है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में जो कुछ निर्मित किया जाएगा, उसका 50 फीसदी भारत को मिलेगा और बाकी 50 फीसदी कोवॉक्स के साथ शेयर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी बहुत बड़ी है और कंपनी की ओर तैयार की गयी 5 करोड़ डोज का ज्यादातर हिस्सा देश में ही खप सकता है। पूनावाला ने कहा कि 2021 के शुरुआती छह महीनों में वैश्विक स्तर पर वैक्सीन के टीकों की कमी हो सकती है। इसमें कोई मदद नहीं कर सकता, लेकिन अगस्त-सितंबर से जैसे ही दूसरे वैक्सीन निर्माता सप्लाई देना शुरू करेंगे, वैक्सीन का मिलना आसान हो जाएगा।
शुरुआती एक या दो महीने में वैक्सीन का उत्पादन धीमा रह सकता है
पूनावाला ने कहा कि शुरुआती एक या दो महीने में वैक्सीन का उत्पादन धीमा रह सकता है। एक बार लॉजिस्टिक्स और सभी चीजें प्रक्रियागत हो गईं तो बड़े पैमाने पर कोविशील्ड का उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है। वैक्सीन को सरकार की ओर से मंजूरी मिलने की प्रक्रिया में आ रही चुनौतियों पर अदार ने कहा कि नियामक संस्था डेटा का अध्ययन कर रही है। बहुत सारे लोग कई मुद्दों को उठा रहे हैं। किसी भी तरह की चिंता की बात नहीं है। वैक्सीन 92 से 95 प्रतिशत तक प्रभावी है।
वैक्सीनेशन का ड्राई रन
भारत में कोरोना वायरस के वैक्सीनेशन की तैयारियां जोरों पर हैं और चार राज्यों के आठ जिलों में इसका ड्राई रन (पूर्वाभ्यास) किया गया है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात, असम और पंजाब शामिल हैं। तो ड्राई रन का मतलब है वैक्सीनेशन की पूरी प्रक्रिया का ट्रायल। इसमें वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में शामिल कोल्ड स्टोरेज चैन से लेकर यातायात तक हर चीज का ट्रायल किया जाएगा। लाभार्थियों की पहचान करने और वैक्सीनेशन की अन्य महत्पूर्ण जानकारियां रखने के लिए बनाए गए सरकार के को-विन इलेक्ट्रॉनिक एप्लीकेशन की उपयोगिता की समीक्षा भी की जाएगी।
डमी वैक्सीन दी जाती है
ड्राई रन के दौरान असली की बजाय डमी वैक्सीन दी जाती है। ड्राई रन के दौरान सभी चार राज्यों के दो-दो जिलों में 100 लोगों को डमी वैक्सीन की खुराक दी जाएगी और इसके लिए हर जिले में पांच वैक्सीनेशन सेंटर्स बनाए गए हैं। लाभार्थियों की पहले से ही पहचान करके उन्हें एडवांस में एक मेसेज भेजा जाएगा जिसमें वैक्सीन लगने की जगह और समय के बारे में बताया जाएगा। डमी वैक्सीन लगाए जाने के बाद किसी भी गंभीर साइड इफेक्ट के लिए इन लाभार्थियों पर 30 मिनट तक नजर रखी जाएगी।
corona (PC: social media)
ड्राई रन के जरिए ये पता चलता है
ये पता चलता है कि देश और राज्यों की व्यवस्था वैक्सीनेशन की असल प्रक्रिया के लिए कितनी तैयार है। इसके जरिए व्यवस्था की खामियां भी सामने आ जाती हैं और असली वैक्सीनेशन शुरू होने से पहले इन्हें ठीक करने का समय मिल जाता है। इसके अलावा वैक्सीन लगाने वाले स्वास्थ्यकर्मी भी ड्राई रन के दौरान मौजूद रहेंगे और उन्हें पहली बार जमीनी स्तर पर काम करने और अपनी भूमिका समझने का मौका मिलेगा।
केंद्र सरकार को जायेगी रिपोर्ट
इस ड्राई रन के बाद इसमें शामिल रहे चारों राज्यों के राज्य कार्य दल अलग-अलग रिपोर्ट तैयार करेंगे जिनमें पूरी प्रक्रिया और इस काम में आई दिक्कतों की पूरी जानकारी होगी और इन रिपोर्ट को केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।
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भारत में जनवरी से कोरोना वायरस वैक्सीन का वितरण शुरू होने की संभावना है और सरकार की पहले चरण में जुलाई तक लगभग 30 करोड़ लोगो को वैक्सीन लगाने की योजना है। सबसे पहले स्वास्थ्यकर्मियों, फ्रंट लाइन वर्कर और बुजुर्ग लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। इसके बाद दूसरे चरण में स्वस्थ और युवा लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। सरकार का लक्ष्य 60 प्रतिशत जनता को वैक्सीन लगाने का है।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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