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क्या अब इनका प्लाज्मा बचाएगा, कोरोना पीड़ितों की जान!
कोरोना पुष्टि वाले ऐसे मरीज जिनकी जान को खतरा है, जिनका रेस्पिरेट्री रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा है, खून में ऑक्सीजन की मात्रा 93 फ़ीसदी से कम हो गई है, एक्सरे में फेफड़े में धब्बा 48 घंटे में 50 फीसदी बढ़ गया है, रेस्पिरेट्री फेल्योर, सेप्टिक शॉक मल्टी ऑर्गन की तरफ जो मरीज बढ़ रहे हैं उनके लिए कोरोना की जंग जीत चुके मरीजों का प्लाज्मा किसी वरदान की तरह काम आएगा।
क्या आपको पता है अगर आपको कोरोना वायरस का संक्रमण होकर ठीक होना कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में वरदान बन चुका है। आपको शायद न पता हो यदि आप कोरोना संक्रमण से ठीक हो गए हैं तो आप देश के उन लोगों के लिए बहुत ही उपयोगी हैं जो अब कोरोना के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।
जिन की जान खतरे में है ऐसे कोरोना पीड़ितों की जान अब इसके संक्रमण से उबर चुके लोग बचाएंगे। और इस जंग में उनका प्लाज्मा काम आएगा। यह बहुत बड़ी खबर है। कोरोना से उबर चुके मरीज अब पीड़ित गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसका कारण यह है कि वायरस से उबर चुके इन मरीजों में सार्स कोच टू के प्रति एंटीबॉडी बन चुकी है। लिहाजा अब देश में केजीएमयू में आईसीयू में भर्ती कोरोना के मरीजों का इलाज इस नए पैटर्न पर होगा।
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क्या अब इनका प्लाज्मा बचाएगा, कोरोना पीड़ितों की जान!
कोरोना पुष्टि वाले ऐसे मरीज जिनकी जान को खतरा है, जिनका रेस्पिरेट्री रेट प्रति मिनट 30 से ज्यादा है, खून में ऑक्सीजन की मात्रा 93 फ़ीसदी से कम हो गई है, एक्सरे में फेफड़े में धब्बा 48 घंटे में 50 फीसदी बढ़ गया है, रेस्पिरेट्री फेल्योर, सेप्टिक शॉक मल्टी ऑर्गन की तरफ जो मरीज बढ़ रहे हैं उनके लिए कोरोना की जंग जीत चुके मरीजों का प्लाज्मा किसी वरदान की तरह काम आएगा।
ये बातें होनी हैं जरूरी
इस विधि से इलाज में पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग, ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग मिलकर काम करेंगे। इसके लिए रिसर्च को भी पत्र लिखा गया है कोरोना के खिलाफ नई जंग में 25 मार्च तक ठीक हुए मरीज जिनमें सरकारी लैब से वायरस की पुष्टि हुई थी, मरीज को संक्रमण मुक्त हुए 14 दिन बीत चुके हैं, बीमारी से मुक्त हो चुकी महिला मरीजों में एचएलए नेगेटिव आ चुका है, मरीज में नाक, गले की रिपोर्ट दो बार नेगेटिव आ चुकी है, उसके प्लाज्मा में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी टाइटर एक अनुपात 320 से ज्यादा है, ऐसे मरीज प्लाज्मा दे सकेंगे।
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देश का पहला संस्थान
ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के लिए मेडिकल कालेज में 23 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाई गई है। केजीएमयू में मरीजों के इलाज के लिए स्टेट नोडल सेंटर बनाया गया है। जिसमें क्वॉरेंटाइन आइसोलेशन स्तर पर अलग-अलग टीमें गठित की गई है। पूरा विश्व स्तरीय इलाज का खाका खींच लिया गया है। इसमें पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन की अहम भूमिका है। इसी के साथ कोरोना मरीजों का इस विधि से इलाज करने वाला केजीएमयू देश का पहला संस्थान बन गया है। इसके लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ सुलिका चंदा भी राजी हो गई है। तो अब देर न करते हुए कोरोना सर्वाइवर से प्लाज्मा डोनेट करने की अपील जल्द ही जारी की जानी है ताकि दूसरों की जिंदगी बचाई जा सके।
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