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कोरोना वारयस से लंबी चलेगी जंग, अब हुआ ये डराने वाला खुलासा
कोरोना वायरस का अभी तक इलाज तो नहीं मिला है इसलिए लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जा रहा है। अब तक जो जानकारी उपलब्ध है उसके हिसाब से कोरोना की वैक्सीन आने में अभी समय लग सकता है
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: कोरोना वायरस से पूरी दुनिया त्रस्त है। कई देशों में तो संक्रमण कम होने के बाद दोबारा तेजी से फैल रहा है। आईएमए के डॉ. पीके गुप्ता का कहना है कि कोरोना वायरस का अभी तक इलाज तो नहीं मिला है इसलिए लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जा रहा है। अब तक जो जानकारी उपलब्ध है उसके हिसाब से कोरोना की वैक्सीन आने में अभी समय लग सकता है, दो-चार महीने या फिर एक-दो साल।
रिकवरी रेट पहले से बेहतर
लेकिन संक्रमण लगातार जारी है और अच्छी बात यह है कि कोरोना को मात देने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी है। यूपी में कोरोना का रिकवरी रेट पहले की तुलना में बढ़ कर 93 प्रतिशत के पार पहुंच गया है जो दिल को सुकून देता है। कोरोना की जद में आये हो या इससे बचे रहे हो एक सवाल सभी के मन में है कि क्या कोरोना जांच रिपोर्ट के निगेटिव आने के बाद स्वस्थ्य मरीज स्वयं को स्वस्थ्य महसूस कर रहा है या फिर कोरोना से ग्रस्त होने के दौरान उसके शरीर पर पड़ने वाले असर ने उसकी जिंदगी को कुछ बदल दिया है। इस सवाल का जवाब जानने के लिए न्यूजट्रैक ने राजधानी लखनऊ में कोरोना की जंग जीत चुके कुछ लोगों से बात की।
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पहले से करते थे आयुर्वेदिक उपाय
सरकारी नौकरी करने वाले 53 वर्षीय अनिल पाण्डेय बताते है कि उन्हे और उनके बेटे को कोरोना हुआ था। फिलहाल वह दोनों ही इससे पार पा चुके है। उनका कहना है कि ज्यादा उम्र वाले लोगों के लिए कोरोना एक खतरनाक बीमारी है। वह बताते है कि वह पहले से ही डायबीटिज के भी मरीज थे इसलिए इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई आयुर्वेदिक उपाय वह पहले से करते थे।
इसके बावजूद वह कोरोना की चपेट में आ गए। पाण्डेय बताते है कि उन्होंने और उनके बेटे ने होम आइसोलेशन का विकल्प चुना था और कोरोना के लिए चिकित्सकों द्वारा बताये गई सभी दवाओं और सुझावों का पालन किया और अ बवह ठीक हो इस खतरनाक बीमारी के चंगुल से बाहर है। वह बताते है कि कोरोना मुक्त होने के बाद वह लंबे समय तक कमजोरी भी महसूस करते रहे। उनके शरीर में यह थकान करीब तीन से चार सप्ताह तक रही।
मानसिक व शारीरिक थकान
उन्होेंने बताया कि उनके चिकित्सक ने उन्हे बताया कि यह पोस्ट वायरल साइड इफेक्ट है। इस इफेक्ट को वायरल क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह सिंड्रोम डेंगू, स्वाइन फ्लू और इन्फ्लूएंजा के मरीजों में देखा जाता है, लेकिन इससे ठीक होने में एक से दो सप्ताह का समय लगता है। वहीं कोरोना वायरस से ठीक हुए मरीजों को इस सिंड्रोम के ठीक होने में एक महीना लग जाता है। मरीजों में यह थकान मानसिक व शारीरिक दोनों हो सकती है। क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मानसिक तनाव या थकान की स्थिति में कई बार मरीज याददाश्त भी खो बैठते हैं।
कोशिकाएं हो जाती हैं कमजोर
डॉ. पीके गुप्ता कहते है कि कोरोना संक्रमण शरीर में मौजूद प्रोटीन को तोड़ता है, जिससे शरीर की कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है। इससे कोशिकाएं कमजोर हो जाती हैं। यही कारण है कि शरीर थकान और कमजोरी महसूस करता है। इसके अलावा वायरस से शरीर की एंटीबॉडी भी लगातार लड़ती रहती है, जिससे शरीर की ऊर्जा नष्ट हो जाती है। शरीर में पानी की कमी भी होने लगती है, इसीलिए चिकित्सक मरीजों को हाई प्रोटीन से युक्त आहार लेने और भरपूर मात्रा में पानी पीने की सलाह देते हैं ताकि वे जल्दी ही ठीक हो सकें।
दिख रहे डिप्रेशन जैसे लक्षण
सिफ कमजोरी ही नहीं कोरोना वायरस के कई मरीजों में ठीक होने के बाद डिप्रेशन जैसे लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं। पशुपालन विभाग में काम करने वाले पशु चिकित्सक डा. प्रसाद कोरोना से तो उबर गए लेकिन मानसिक तौर पर अभी भी खौफजदा है। हालात यह है कि कोरोना के भय से वह घर से नहीं निकल रहे है। न किसी से बात कर रहे और न ही कार्यालय जा रहे है। मरीजों में मानसिक अवसाद की स्थिति न आए इसके लिए चिकित्सकों ने भी अब मरीजों से पजिटिव सोच अपनाने प्रेरित करना शुरू कर दिया है। अवसाद से बचाने के लिए कई चिकित्साल्यों में कोरोना मरीजों को ध्यान व योग भी करवाया जा रहा है।
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कोरोना से लड़ाई जीतने वाले कई मरीजों को पेट की तकलीफे भी बढ़ गई है। ऐसे मरीजों का कहना है कि कोरोना के बाद उनके हाजमे पर असर पड़ा है। इस संबंध में चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के दौरान शरीर का जो अंग कमजोर होता है, वह उसे और कमजोर कर देता है। वजह, एंटीबाडिज का कोरोना से लड़ने में व्यस्त होने के कारण अन्य अंगों की मदद नहीं हो पाती है।
इन खाद्य पदार्थों का करना चाहिए सेवन
चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद मरीज को प्रोटीन युक्त चीजें लेते रहना चाहिए। इसके लिए चना, मूंग, मोठ के अंकुरित अनाज, पनीर, अंडे का सफेद हिस्सा, दूध, दही, सोयाबीन और कई सभी प्रकार की दालें ज्यादा खानी चाहिए। इसके अलावा अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए फल और हरी सब्जियां खानी चाहिए। इनमें एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। इसके अलावा वसायुक्त भोजन जैसे मैदा, ब्रेड, आदि चीजों से परहेज करना चाहिए।
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