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प्लास्टिक को बाय-बाय: निजी प्रयासों से ही बनेगी बात

seema
Published on: 14 Jun 2023 8:09 AM IST
प्लास्टिक को बाय-बाय: निजी प्रयासों से ही बनेगी बात
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प्लास्टिक को बाय-बाय: निजी प्रयासों से ही बनेगी बात

नाथ बख्श सिंह

अयोध्या : पॉलीथीन पर प्रतिबंध का स्वागत करते हुए आशुतोष प्रताप, प्रदीप पाठक, सत्यदेव पांडे, सतीश सहाय और नवीन यादव का कहना है कि सरकार की यह पहल बहुत अच्छी है लेकिन पॉलीथीन के उत्पादन पर भी रोक लगनी चाहिए। पॉलीथीन से पर्यावरण की स्थिति काफी खराब होती जा रही है जिसके लिए सरकार व समाज सबको मिलकर इसका बहिष्कार करना होगा।

निधि,जहरा खातून और प्रेमलता सिंह का कहना है पॉलीथिन पर प्रतिबंध तो बहुत पहले लग जाना चाहिये था। बहरहाल, अब सरकार का फैसला बहुत स्वागत योग्य है। अब खास कर महिलाओं को जागृत होना पड़ेगा। वे सामान लेने के लिए घर से ही झोला देकर भेजने की शुरुआत करें। दुकानदार भी प्रयास करें कि पॉलीथीन में सामान कतई न दें। प्रबंधित प्लास्टिक का सबको बहिष्कार करना होगा।

मुकेश सिंह तथा मुन्ना सिंह का मानना है कि सरकार की यह पहल बड़ी अच्छी है। इसमें कानून व समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा। प्लास्टिक का प्रयोग हर स्तर पर बंद करना होगा। सरकार ने व्यापक पैमाने पर हित साधने का काम किया है लेकिन इसके लिए समाज के सभी वर्गों को पालन करने के लिए आगे आना होगा तभी हम इस कार्य को सफल बना पाएंगे।

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अयोध्या में दुकानों पर कागज और जूट के पैकेट्स और झोले बिकने लगे हैं। नगर निगम व कई शिक्षण संस्थाओं और सरकारी दफ्तरों ने अपने परिसर में प्लास्टिक की बोतलों व पॉलीथीन के आइटम परिसर में लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। व्यापारी हेमंत जयसवाल, सरदार हरजीत सलूजा, सुरेंद्र सिंह, विशाल गुप्ता, आफताब अहमद, अजय श्रीवास्तव, प्रताप बहादुर, शाहिद, विजेंद्र त्रिपाठी अ।र दीपक यादव का मानना है कि सरकार की पहल स्वागत योग्य है। इन्होंने कहा कि हम ग्राहकों को स्वयं झोला लाने की सलाह देते हैं और हमने उपभोक्ताओं की सहूलियत के लिए कागज व अन्य प्रकार के लिफाफे आदि का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।

नगर निगम के अपर नगर आयुक्त सच्चिदानंद सिंह ने बताया कि नगर निगम पहले से ही पॉलीथीन के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। अब तक बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित पॉलीथीन जब्त की जा चुकी है।

जिलाधिकारी अनुज कुमार झा का कहना है सरकार की योजना को पूरी तरह सफल बनाने का काम किया जायेगा। पूरे जिले में हर तहसील स्तर पर उप जिला मजिस्ट्रेट की अगुवाई में जन जागरण अभियान चलाया जायेगा और पॉलीथीन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने का काम किया जायेगा।

गोरखपुर में प्लास्टिक मिक्स सड़कें

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: गांधी जयंती पर सिंगल यूज पॉलीथीन को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की सरकार की योजना सरकारी फाइलों में संजीदगी से दौड़ रही है। भविष्य में प्रशासन का रवैया कैसा होता है इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन अभी तो बाजार में प्लास्टिक की कोई कमी नजर नहीं आ रही। पॉलिथीन पर प्रतिबंध को लेकर दो दर्जन से अधिक विभागों को जिम्मेदारी दी गई है लेकिन नगर निगम को छोड़कर कोई अन्य विभाग अपने अधिकार और जिम्मेदारियों को लेकर संजीदा नहीं दिख रहा है। सिर्फ नगर निगम ही शहर में छापेमारी की रस्मी कार्रवाई करता है। दिलचस्प यह है कि निगम की टीम जब भी कार्रवाई को निकलती है, उसे बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित पॉलिथीन मिल जाती है। निगम की टीम अभी तक 40 टन से अधिक पॉलिथीन जब्त कर चुकी है। इसके बावजूद सब्जी की दुकानों से लेकर सरकारी दफ्तरों में पॉलिथीन के प्रयोग को लेकर कोई संजीदगी नहीं दिख रही है।

सरकारी महकमों की बात करें तो परिवहन निगम के एम.डी. डॉ. राजशेखर ने प्रदेश के सभी बस अड्डों पर प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने का फरमान जारी किया है। इसके मुताबिक बस अड्डों पर 15 सितम्बर से ही बोतल बंद पानी से लेकर पॉलीथीन तक प्रतिबंधित है। लेकिन गोरखपुर जंक्शन और बस अड्डों में कम से कम चार दुकानों में पॉलीथीन का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो ही रहा है। बोतल बंद पानी की भी कोई कमी नहीं है। अधिकारियों को अभी पता ही नहीं है कि उनके एमडी ने बोतलबंद पानी के बारे में कोई आदेश भी जारी किया है। गोरखपुर परिक्षेत्र के रीजनल मैनेजर (आरएम) डी.बी. सिंह का कहना है कि सभी एआरएम को पत्र भेजा गया है। 2 अक्टूबर से पालिथीन और बोतलबंद पानी पर रोडवेज परिसर में पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। नगर निगम प्रशासन ने रेलवे स्टेशन के पास गीडा में शराब बनाने वाली फैक्ट्री की सहयोग से बॉटल क्रशर मशीन लगाई थी लेकिन महीने भर बाद क्रशर मशीन का अता पता नहीं है। वहीं गोरखपुर रेलवे स्टेशन में लगी क्रशर मशीन का प्रयोग नहीं होता दिख रहा है। जबकि इस मशीन में प्लास्टिक बोतल क्रश करने के बाद यात्रियों को अगली खरीद के लिए पांच रुपये का कूपन मिल रहा है।

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गीडा और पीडब्ल्यूडी बना रहे प्लास्टिक मिक्स सड़क

जब्त प्लास्टिक को लेकर पीडब्ल्यूडी और गीडा प्रशासन की कार्ययोजना पटरी पर दिख रही है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण सेक्टर 15 में 8 करोड़ की लागत से जिले की पहली प्लास्टिक मिक्स सड़क बना रहा है। सड़क निर्माण में गीडा की फैक्ट्रियों से जब्त करीब 18 टन प्लास्टिक का प्रयोग किया जाएगा। विभाग ने प्लास्टिक को रिसाइकिल पर इसका दाना बना लिया है। जिसे तारकोल के साथ मिक्स कर सड़क में प्रयोग किया जाएगा। गीडा के सीईओ संजीव रंजन के मुताबिक कुल तारकोल में 8 फीसदी प्लास्टिक का मिश्रण किया जाएगा। वहीं पीडब्ल्यूडी भी गोरखपुर के सिकरीगंज में करीब एक किमी सड़क प्लास्टिक मिक्स कर बनाएगा। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता एसपी सिंह ने बताया कि सड़क पर 1.8 टन प्लास्टिक वेस्ट खर्च होगा। इसे कानपुर से मंगाया जा रहा है।

रेलवे में प्लास्टिक को लेकर दिख रही संजीदगी

पूर्वोत्तर रेलवे में अन्य विभागों की अपेक्षा अधिक संजीदगी दिख रही है। आईआरसीटीसी गन्ने की खोई से बनी थाली में प्रतिदिन 3000 लोगों को खाना परोसने की तैयारी में है। इसके साथ ही गोरखपुर प्रशासन ने समीक्षा बैठकों में प्लास्टिक के गिलास को प्रतिबंधित कर दिया है। अब बैठकों में पानी के लिए तांबे के गिलास खरीदे गये हैं।

सराहनीय है गोरखपुर के इस दुकानदार की पहल

गोरखपुर शहर के बिछिया जंगल तुलसीराम निवासी वीरेन्द्र मौर्या की जनरल मर्चेंट, हार्डवेयर और बर्तन की दुकान है। इन तीनों दुकानों पर पॉलीथीन पूरी तरह प्रतिबंधित है। वीरेन्द्र मौर्या कहते हैं कि पॉलीथीन को लेकर लोग खूब विवाद करते थे। कईयों ने खरीदा हुआ सामान भी वापस कर लिया। पर अब जब लोग यह जान चुके हैं कि मेरी दुकान पर पॉलीथीन नहीं मिलेगा तो झोला लेकर आते हैं। मुझे सुकून है कि हम पर्यावरण सरंक्षण में छोटा सा योगदान देने में कामयाब हैं।

विकल्प दे सरकार, फिर प्रतिबंध लगाए

पॉलीथीन का कारोबार करने वाले व्यापारियों की दलील है कि सरकार को कोई विकल्प भी देना चाहिये। गोरखपुर में प्रतिदिन करीब 4 टन पॉलीथीन की खपत है। कार्रवाई के भय से इसमें कमी आई है लेकिन इसका विकल्प नहीं मिल रहा है। व्यापारी विशाल गुप्ता कहते हैं कि सुपारी की थाली मार्केट में उपलब्ध है। पर जब डेढ़ रुपये में थर्माकोल की थाली उपलब्ध है तो कोई क्यों सात रुपये में सुपारी की थाली का प्रयोग करेगा। वहीं प्लास्टिक का एक गिलास जहां 50 पैसे में मिल जाता था वहीं कागज के गिलास की कीमत 3 रुपये है। व्यापारी विजय जायसवाल कहते हैं कि जंगलों में बड़ी मात्रा में पत्ता उपलब्ध है। सरकार सब्सिडी दे तो इसे कुटीर उद्योग में विकसित किया जा सकता है। पर लाखों की मशीन और 12 रुपये यूनिट की बिजली में कैसे मुनाफा कमाया जा सकता है। पूर्व प्रधानाचार्य राधेश्याम मिश्रा कहते हैं कि इसमें सरकार को भी सहयोग करना होगा। सरकार को चाहिए कि कपड़े का झोला सस्ते में उपलब्ध कराए।

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पूरी तरह रोक लगाए सरकार

नरेन्द्र सिंह

रायबरेली :'पॉलीथीन को फैक्ट्री लेवल से ही बंद कर देना चाहिए। लोगों को प्लास्टिक के गिलास में पानी पीना बंद कर देना चाहिए, प्लास्टिक का कचरा भी डस्टबिन में ही डालाना चाहिये। हर आदमी को अपने स्तर से ही पॉलीथीन का प्रयोग पूरी तरह बंद करना होगा।'

- राम जी शुक्ला, व्यवसाई

'हमने पॉलथीन का इस्तेमाल बंद करने के बारे में प्रण किया है। पॉलीथीन हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक है। हम लोगों से अपील करते हैं कि पॉलीथीन का प्रयोग न करें। हम अपने ब्लॉक में जागरूकता अभियान के तहत कार्यक्रम करेंगे।'

- अजीत सिंह, ब्लॉक अध्यक्ष अमावा

'पॉलीथीन का प्रयोग बिल्कुल बंद होना चाहिए। इससे न सिर्फ हमारे जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि पर्यावरण को बेहद नुकसान होता है। लोग स्वयं पॉलीथन का कम से कम प्रयोग करें। कुल्हड़ आदि का प्रयोग करें।'

- राकेश सिंह, ब्लॉक अध्यक्ष जगतपुर

'पॉलीथीन पूरी तरह बंद होना चाहिए। पॉलीथीन से गायों की मौत हो जाती है, सीवर जाम हो जाता है। हम पूर्णतया प्रतिबंध का समर्थन करते हैं। लोगों से अपील करते हैं पॉलथीन का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दें।'

- सोनू गांधी, समाजसेवी

'पॉलीथीन पूरी तरह बंद होनी चाहिए। सरकार को भी वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए ताकि आम जनमानस को दिक्कत का सामना न करना पड़े। हमारा आम जनता से अनुरोध है कि पॉलीथीन का प्रयोग बिल्कुल न करें।'

- विपिन द्विवेदी, व्यापारी

'हमारे देश में प्रतिदिन 26000 टन प्लास्टिक कचरा पैदा हो जाता है। ये पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अपने उज्जवल भविष्य के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति पाना जरूरी है।'

- स्वामी दिव्यानंद, डलमऊ

हमारे इर्द गिर्द दो तिहाई चीजें प्लास्टिक से निर्मित हैं। हमको इनसे छुटकारा पाना है। एक शोध के हिसाब से 2050 तक हमारे समुद्रों में इतना प्लास्टिक जमा हो जायेगा कि वह समस्त मछलियों से होगा।'

- श्री कृष्ण मिश्रा, लेखा लिपिक

'पूरी दुनिया में प्रति मिनट 10 लाख पानी की बोतलों का प्रयोग होता है। सिंगल यूज वाले आइटम पर्यावरण और हमारे जीवन के लिए जहर हैं। प्लास्टिक पर प्रतिबंध के लिए कड़े नियम कानून की जरूरत है।'

- विनय द्विवेदी, व्यवसाई

'प्लास्टिक के खिलाफ सरकार का बहुत ही बेहतर कदम है। निश्चित तौर पर इससे प्रदूषण नियंत्रण में कमी आएगी। लोग अब भी पर्यवरण के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं, ऐसे में कड़े प्रतिबंधों की दरकार है।'

- स्वाति चौरसिया, सहायक प्रोफेसर

'अगर अभी से कड़े कदम नहीं उठाये गए तो स्थिति काफी भयावह हो सकती है। प्लास्टिक को बंद नहीं किया गया तो आगे चलकर मानव के रहने की बजाय पूरी दुनिया में प्लास्टिक ही प्लास्टिक दिखेगी।'

- अकिंचन मिश्रा, कालेज प्रबंधक

'प्लास्टिक की खोज 1907 में लियो एच. बेकलैंड ने की थी, तब प्लास्टिक को मानव समाज के लिए एक वरदान समझ गया था, अब वही प्लास्टिक एक अभिशाप साबित हो गया है।'

- सूर्य प्रकाश श्रीवास्तव, शिक्षक

'अब पेप्सी, कोका-कोला और बोतल बंद पानी बनाने वाली कंपनियों को कोई नया विकल्प तलाशना ही होगा। इन्हीं सबकी वजह से भारत का प्लास्टिक कचरे के उत्पादन में दुनिया भर में पांचवां स्थान है।'

- पूनम सिंह, शिक्षिका

'आगामी दो अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बैन होगी। सरकार के आदेश का सख्ती से पालन कराया जाएगा। टीम गठित कर छापेमारी की जाएगी।'

- नेहा शर्मा, डीएम



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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