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अनोखी है विश्व भारती यूनिवर्सिटी, आज भी होती है पेड़ों की छाँव में पढ़ाई

विश्व प्रसिद्ध विश्व भारती यूनिवर्सिटी 100 साल की हो गयी है और आज 24 दिसंबर को इसका शताब्दी समारोह मनाया जायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बीरभूम शांतिनिकेतन में स्थित विश्व भारती यूनिवर्सिटी के समारोह को संबोधित करेंगे.

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Published on: 24 Dec 2020 5:21 AM GMT
अनोखी है विश्व भारती यूनिवर्सिटी, आज भी होती है पेड़ों की छाँव में पढ़ाई
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अनोखी है विश्व भारती यूनिवर्सिटी, आज भी होती है पेड़ों की छाँव में पढ़ाई

कोलकाता: विश्व प्रसिद्ध विश्व भारती यूनिवर्सिटी 100 साल की हो गयी है और आज 24 दिसंबर को इसका शताब्दी समारोह मनाया जायेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बीरभूम शांतिनिकेतन में स्थित विश्व भारती यूनिवर्सिटी के समारोह को संबोधित करेंगे.

एक आश्रम से हुई शुरुआत

विश्व भारती यूनिवर्सिटी की शुरुआत दरअसल एक आश्रम के तौर पर कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेंद्रनाथ टैगोर ने 1863 में 7 एकड़ जमीन पर की थी. 1921 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे यूनिवर्सिटी के तौर पर स्थापित किया और इसे विज्ञान के साथ कला और संस्कृति की पढ़ाई का उत्कृष्ट केंद्र बनाया. पांच छात्रों से शुरू हुए इस विश्वविद्यालय में आज छह हजार से भी ज्यादा विद्यार्थी अध्ययन करते हैं. मई 1951 में संसद के एक अधिनियम द्वारा विश्व भारती को एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया.

राष्ट्रपति द्वारा की जाती है कुलपति की नियुक्ति

साथ ही इसे एकात्म, शिक्षण और आवासीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया. इस विश्वविद्यालय के विजिटर भारत के राष्ट्रपति हैं. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रेक्टर हैं, और भारत के प्रधानमंत्री चांसलर हैं. विश्वविद्यालय के कुलपति (वाइस चांसलर) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इस विश्वविद्यालय से 10 उप-संस्थान भी संबद्ध हैं जो उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां के पुस्तकालय में दुनियाभर की किताबों मौजूद हैं.

गुरुकुल की तरह संचालित

इस यूनिवर्सिटी को गुरुकुल की तरह संचालित किया जाता है और आज भी यहाँ गुरुकुल व्यवस्था की तरह ही खुले आकाश तले पेड़ों की छांव में कक्षाएं लगती हैं. विश्व भारती विश्वविद्यालय भारत का केंद्रीय विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय महत्व का संस्थान भी घोषित है. इसका परिसर भारतीय सांस्कृतिक विरासत की अनूठी झलक देता है. यह विश्वविद्यालय अपने शांत और प्राकृतिक वातावरण के लिए भी जाना जाता है. यहां की प्राकृतिक छटा मनमोहक है और यह विश्वविद्यालय दुनियाभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है.

File Photo

टैगोर से जुड़ी यादें

- विश्व भारती को दुनिया के प्रमुख शिक्षण संस्थानों में स्थान दिलाने वाले टैगोर खुद कई बार स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई छोड़ते रहे. उन्होंने कभी मैट्रिक पास नहीं किया था लेकिन शांतिनिकेतन आकर खुद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि दी थी.

- टैगोर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया था.

- टैगोर का मानना था कि खुले वातावरण में शिक्षा होनी चाहिए. वो मानते थे कि चार दीवारी में पढ़ाई से दिमाग बंद होता है, खुलता नहीं है. दूसरी तरफ, वो शिक्षा की पश्चिमी पद्धति से भी सहमत नहीं थे, जो अंग्रेज़ों ने भारत में चला रखी थी.

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- टैगोर का शिक्षा को लेकर विचार यही था कि हर व्यक्ति जीनियस है इसलिए सभी छात्रों को एक तरह से एक साथ नहीं शिक्षित किया जा सकता. उन्होंने विश्व भारती ने शिक्षण की नई तकनीकें खोजी थीं, जहां छात्र के मन और संतुष्टि के मुताबिक कोर्स, परीक्षा और व्यवस्थाएं तय की गई थीं.

- टैगोर कहते थे - मुझे याद नहीं कि मुझे क्या शिक्षा दी गई, लेकिन यह याद है कि मैंने क्या सीखा.

विश्व भारती की विशेषताएँ

- यहाँ कोई छात्र किसी एक विभाग में प्रवेश पाने के पश्चात् किसी दूसरे विभाग में भी बिना कोई अतिरिक्त शुल्क दिए शिक्षा प्राप्त कर सकता है.

- विदेशी छात्रों को नियमित छात्र के रूप में या अस्थाई छात्र के रूप में भी प्रवेश दिया जा सकता है.

- ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्ति कला, चर्म कार्य, कढ़ाई, नृत्य, संगीत आदि ललित कलाओं में तथा चीनी और जापानी भाषाओं में शान्ति निकेतन ने विशेष ख्याति प्राप्त की है.

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- विश्वविद्यालय का पुस्तकालय बहुत प्रसिद्ध है जहाँ लगभग दो लाख पुस्तकों का संग्रह है.

पाठ भवन में मैट्रिक की शिक्षा दी जाती है तथा 6 से 12 वर्ष की आयु के बालकों को प्रवेश दिया जाता है. शिक्षा का माध्यम बंगाली है.

File Photo

उपलब्ध कोर्सेज

- शिक्षा भवन में इन्टर की परीक्षा के लिए शिक्षा दी जाती है जबकि विद्या भवन में 3 वर्ष की बी.ए. (आनर्स) पाठ्यक्रम की तैयारी कराई जाती है। परीक्षा के विषय संस्कृत, बंगाली, हिन्दी, उड़िया, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र और दर्शन है। इसी भवन में दो वर्ष के एमए पाठ्यक्रम की व्यवस्था संस्कृत, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति, बंगाली, हिन्दी, उड़िया, अंग्रेजी तथा दर्शन में है. छात्र इन विषयों में रिसर्च भी कर सकते हैं. इसके बाद दो वर्षीय सार्टिफिकेट कोर्स, एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स संस्कृत, बंगाली, हिन्दी, उड़िया, चीनी, जापानी, तिब्बती, फ्रेंच, जर्मन, अरबी और अंग्रेजी भाषाओं में किया जा सकता है.

- विनय भवन एक टीचर ट्रेनिंग कॉलेज है जिसमें एक वर्षीय बी.एड. पाठ्यक्रम चलता है.

- कला भवन में ड्राइंग, पेंटिंग, मूर्ति कला, कढ़ाई आदि के अलावा काष्ठ कला, कलात्मक चर्म कार्य तथा अन्य शिल्पों की शिक्षा भी दी जाती है.

- संगीत भवन में संगीत में 3 वर्षीय इंटरमीडिएट और उसके बाद रवीन्द्र संगीत, हिन्दुस्तानी संगीत, सितार, मणिपुरी नृत्य, कत्थक, कथाकली और भरतनाट्यम में 2 वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम की व्यवस्था है.

नीलमणि लाल

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