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असम: NDFB के 1,615 लोग हिंसा छोड़ चले विकास की राह, किया आत्मसमर्पण

असम के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार गुटों के 1615 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। गुरुवार को आत्मसमर्पण करते हुए उग्रवादियों ने 178 हथियार और विस्फोटक भी जमा कराया है।

suman
Published on: 30 Jan 2020 3:57 PM GMT
असम: NDFB के 1,615 लोग हिंसा छोड़ चले विकास की राह, किया आत्मसमर्पण
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गुवाहाटी:असम के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी चार गुटों के 1615 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया। गुरुवार को आत्मसमर्पण करते हुए उग्रवादियों ने 178 हथियार और विस्फोटक भी जमा कराया है। असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी में 1615 उग्रवादियों ने समर्पण किया।

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मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के अलावा राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्व सरमा भी मौजूद रहे। इस मौके पर सीएम सोनोवाल ने कहा- हम बोडो समझौते में कही बात को पूरा करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। असम को पूर्वोत्तर का बेहतर राज्य बनाना है। 23 जनवरी को असम के 8 प्रतिबंधित संगठनों के 644 उग्रवादियों ने हथियार डाले थे। बता दें हाल ही में केंद्र सरकार ने असम के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ त्रिपक्षीय समझौता किया था।



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जिसके मुताबिक, एनडीएफबी सरगना बी साओराईगवरा समेत सभी उग्रवादी हिंसक गतिविधियां रोकेंगे और सरकार के साथ शांति वार्ता में शामिल होंगे। समझौते में अगले तीन साल तक बोडोलैंड क्षेत्र के विकास से लिए सरकार द्वारा केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 1500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसके साथ ही सरकार ने समझौते में उस इलाके में केंद्रीय विश्वविद्यालय समेत कई शिक्षण व प्रशिक्षण संस्थान खोलने का भी वादा किया है।

1972 में असम में अलग राज्य की मांग की शुरूआत हुई थी। इसे लेकर हुए हिंसक आंदोलनों को खत्म करने की कोशिशें इससे पहले भी की जा चुकी हैं। 1993 और 2003 में भी इसे लेकर समझौते किए गए थे। अमित शाह ने इस समझौते को पहले के समझौतों से अलग बताते हुए कहा कि पहले कभी भी सभी गुट समझौते के टेबल पर एक साथ नहीं आए थे, लेकिन इस बार सभी पक्ष एकजुट होकर समझौते में शामिल हैं। अमित शाह ने कहा था कि अलगाववादी गुटों से सभी कैडर आत्मसमर्पण कर देंगे और सरकार उनके पुनर्विकास की जिम्मेदारी उठाएगी।

इसके अलावा बोडो सांस्कृतिक पहचान को बरकरार रखने के लिए बोडो भाषा को असम की दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा दिया जाएगा ।वहीं समझौते के मुताबिक बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद को बदलकर बोडोलैंड क्षेत्रीय एरिया नाम दिया जाएगा। इसके साथ ही उसकी शक्तियां भी बढ़ाई जाएंगी।

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