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मोदी सरकार की बड़ी पहल: कचरे से बनाया जाएगा गैस, किसानों को होगा बड़ा फायदा
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय देशभर में पांच हजार कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स लगाने की तैयारी में है। CBG प्लांट्स में साल 2023-24 तक फसलों के कचरे की सहायता से ईंधन तैयार किया जाएगा।
नई दिल्ली: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Ministry of Petroleum and Natural Gas) देशभर में पांच हजार कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स (CBG Plants) लगाने की तैयारी में है। मंत्रालय ने किफायती और स्वच्छ ईंधन मुहैया कराने के लिए इस पहल की शुरुआत की है। इस पहल के तहत दो लाख करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा। बता दें कि CBG प्लांट्स में साल 2023-24 तक फसलों के कचरे की सहायता से ईंधन तैयार किया जाएगा। इस बारे में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने जानकारी दी है।
इन कंपनियों के लिए किया गया करार
मिली जानकारी के मुताबिक, इसके लिए अडानी गैस और टोरेंट गैस के साथ करार किया गया है। ये कंपनियां 900 CBG प्लांट्स लगाएंगी। सतत वैकल्पिक किफायती परिवहन (SATAT) पहल के तहत देशभर में पांच हजार कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स लगाने का प्लान है। इस काम को 2023-24 तक पूरा करने का संकल्प रखा गया है।
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देशभर में लगाए जाएंगे 5000 CBG प्लांट्स (फोटो- ट्विटर)
SATAT के लिए तैयार किया गया रोडमैप
इस बारे में जानकारी देते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सतत वैकल्पिक किफायती परिवहन (SATAT) के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि 600 CBG प्लांट्स के लिए लेटर ऑफ इंटेंट पहले ही जारी किया जा चुका है। वहीं 900 प्लांट्स के लिए एग्रीमेंट लेटर पर हस्ताक्षर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में 1500 CBG प्लांट्स विभिन्न चरणों में हैं।
5,000 प्लांट्स पर खर्च होंगे दो लाख करोड़ रुपये
धर्मेंद्र प्रधान ने आगे कहा कि इन इन 900 CBG प्लांट्स में 30 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और कुल पांच हजार CBG प्लांट्स पर दो लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इन प्लांट्स में 2023-24 तक फसलों के कचरे की सहायता से ईंधन तैयार किया जाएगा। प्लांट्स में तैयार होने वाले गैस का इस्तेमाल ऑटोमोबाइल्स में ईंधन के रूप में होगा। बायो ईंधन में देश में ईंधन आयात बिल को एक लाख करोड़ रुपये तक कम करने की क्षमता है।
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किसानों को होगा फायदा
बता दें कि केंद्र सरकार के सतत वैकल्पिक किफायती परिवहन (SATAT) पहल के जरिए नगरपालिका समेत जंगल और कृषि क्षेत्र से निकलने वाले कचरे की सहायता से गैस तैयार किया जाएगा। गैस बनाने के लिए पशुपालन व समुद्री कचरे का इस्तेमाल भी किया जा सकेगा। धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि स्वच्छ ईंधन मिलने के साथ किसानों को भी लाभ मिलेगा।
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