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आज के दिन ही भारतीय संसद पर हुआ था हमला, 12 साल बाद दोषी को मिली थी मौत
17 साल पहले 13 दिसंबर को ही भारतीय संसद पर आतंकियों ने हमला किया था। 13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। विपक्ष के हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। लेकिन उस समय किसी को इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि यहां कोई आतंकी हमला होने वाला है।
नई दिल्ली: 17 साल पहले 13 दिसंबर को ही भारतीय संसद पर आतंकियों ने हमला किया था। 13 दिसंबर 2001 को संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था। विपक्ष के हंगामे की वजह से दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। लेकिन उस समय किसी को इस बात का अंदेशा भी नहीं था कि यहां कोई आतंकी हमला होने वाला है।
13 दिसंबर की सुबह आतंक का काला साया लोकतंत्र के मंदिर के दहलीज तक आ पहुंचा था। यह देश की राजधानी का बेहद सुरक्षित माने जाने वाला इलाका है। संसद भवन के अंदर घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर कार का इस्तेमाल किया और सुरक्षाकर्मियों को गच्चा देने में कामयाब रहे, लेकिन वहलोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र कर पाते उससे पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया।
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2001 में संसद पर हमले को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने अंजाम दिया था और इस हमले का मास्टर माइंड अफजल गुरु था। हमले में सुरक्षाकर्मियों ने 5 आतंकियों को ढेर किया था। वहीं इसमें आतंकी हमले में 9 लोगों की जान चली गई तो कई घायल हो गए।
हमले के बाद 15 दिसंबर 2001 को दिल्ली पुलिस ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य अफजल गुरु को जम्मू-कश्मीर से गरिफ्तार कर लिया, तो वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज के एसएआर गिलानी के अलावा दो अन्य अफसान गुरु और शौकत हुसैन गुरु को गिरफ्तार किया गया है। ट्रायल कोर्ट ने 18 दिसंबर 2002 को अफजल गुरु, शौकत हसन और गिलानी को मौत की सजा सुनाई और अफसान गुरु को बरी कर दिया गया।
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इसके बाद 29 अक्टूबर 2003 को गिलानी दिल्ली हाईकोर्ट से बरी हो गया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया और 4 अगस्त 2005 को शौकत हसन की सजा-ए मौत को बदलकर 10 साल सश्रम कारावास की सजा हुई। अफजल गुरु को मिली सजा-ए-मौत मुकर्रर रही और फिर वो दिन आया जब अफजल गुरु को फांसी दी गई। संसद हमले के 12 साल बाद 9 फरवरी 2013 को दोषी अफजल गुरु को फांसी पर लटका दिया गया।
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ऐसे आतंकी बना था अफजल गुरु
अफजल गुरु जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी और भारतीय संसद भवन पर हमले का मास्टमाइंड था। इसके अलावा अफजल गुरु जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर का रहने वाला था और एमबीबीएस की पढ़ाई करने के साथ-साथ आईएएस की परीक्षा की तैयारी भी कर रहा था। पढ़ाई के दौरान ही वह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य बन गया और ट्रेनिंग लेकर आतंकवादी बन गया। वह पाकिस्तानी आतंकवादियों से भी मिला था।