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46 दिन का किसान आन्दोलन: चले लाठी डंडे और वाटर कैनन, टस से मस नहीं हुए अन्नदाता

कानून वापसी को लेकर देशभर के किसानों के आंदोलन का आज 46वां दिन है। इस पूरे आन्दोलन के दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुई जिसमें पुलिस ने किसानों की भागाने के लिए कहीं लाठी-डंडों का प्रयोग किया तो कहीं वाटर केनन का प्रयोग किया लेकिन किसान अपनी जगह से हिले नहीं।

SK Gautam
Published on: 12 Jan 2021 3:28 PM IST
46 दिन का किसान आन्दोलन: चले लाठी डंडे और वाटर कैनन, टस से मस नहीं हुए अन्नदाता
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46 दिन का किसान आन्दोलन: चले लाठी डंडे और वाटर कैनन, टस से मस नहीं हुए अन्नदाता

नई दिल्ली: दिल्ली की सीमाओं पर तम्बू डाल हड्डियां गला देने वाली ठंड में बैठे देश भर के हज़ारों किसान, सरकार से कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। कानून वापसी को लेकर देशभर के किसानों के आंदोलन का आज 46वां दिन है। इस पूरे आन्दोलन के दौरान किसानों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुई जिसमें पुलिस ने कहीं लाठी-डंडों का प्रयोग किया तो कहीं उनको भागाने के लिए वाटर केनन का प्रयोग किया लेकिन किसान अपनी जगह से हिले नहीं। हालाँकि सरकार और किसानों के बीच 8 स्तर पर बातचीत होने के बाद भी अब तक सुलह नहीं हुई और न ही आर-पार का फैसला आया।

किसानों की मांग, एमएसपी पर गारंटी

देश में मोदी सरकार के नए कृषि सुधार कानूनों (New Agriculture Law 2020) को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच अब तक सिर्फ दो बातों पर सहमति बनी है। कानूनों की वापसी को लेकर किसानों के कड़े रुख के चलते मसला हल नहीं हो पा रहा है। किसान यह भी चाहते हैं कि सरकार किसी भी तरह की खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की गारंटी दे।

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कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक के साथ कमेटी का गठन

इस बीच किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई हुई। जिसमें केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीनों कृषि कानून के लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने मंगलवार को ये फैसला सुनाया, साथ ही अब इस मसले को सुलझाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया गया है। इस कमेटी में कुल चार लोग शामिल होंगे, जिनमें भारतीय किसान यूनियन के जितेंद्र सिंह मान, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अशोक गुलाटी (कृषि विशेषज्ञ) और अनिल शेतकारी शामिल हैं।

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आज की सुनवाई खत्म

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार ने कमेटी बनाने के लिए नाम मांगे हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कल तक नाम सौंप दिए जाएंगे। ऐसे में बिना आदेश पास किए ही आज की सुनवाई खत्म हो गई।

यहां जानें किसान संगठनों और सरकार के बीच कब-कब क्या बातचीत हुई और इसका क्या हल निकला-

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सरकार के साथ हुईं दो बैठकें

केंद्र ने किसानों को बिना शर्त खुले मन से बातचीत करने का प्रस्ताव दिया था। इस पर पहली बार पंजाब के 32 किसान नेताओं ने दोपहर तीन बजे केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात की। बता दें कि यह मीटिंग लगभग तीन घंटे चली। केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और पूर्व मंत्री सोम प्रकाश भी शामिल रहे। यह बैठक दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई। पहले दौर की इस बातचीत में केंद्र सरकार ने एक कमेटी गठित कर मामले का हल निकालने का प्रस्ताव रखा जिसे किसानों ने सिरे से नकार दिया। इसी दिन दूसरे दौर की वार्ता शाम सात बजे हुई जिसमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्यों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

किसानों ने नहीं खाया सरकार का खाना, बॉर्डर से आया भोजन

तीसरे दौर की वार्ता में 40 किसान नेता शामिल थे। विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में किसानों ने सरकार का दिया हुआ खाना नहीं खाया। किसानों ने अपने लिए सिंधु बॉर्डर से ही भोजन, चाय का प्रबंध किया था। यह बैठक भी बेनतीजा रही। कुछ किसान नेताओं ने कृषि मंत्री से मिलकर बातचीत की। अन्य किसान नेताओं ने अनौपचारिक वार्ता का विरोध जताया और कहा कि सरकार केवल हमसे बातचीत करे।

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पांचवें दौर की बैठक

पांचवें दौर की इस बैठक में किसानों ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। पांच घंटे तक चली बैठक में किसानों ने प्लाकार्ड्स दिखाए और कहा कि सरकार बताए कि उसने किसानों की मांगों पर अब तक क्या निर्णय लिया।

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भारत बंद का आह्वान

किसानों ने भारत बंद आयोजित किया। इसका आंशिक असर रहा। पंजाब-हरियाणा में बंद का ज्यादा प्रभाव देखा गया।

जब किसान आंदोलन में छाया पोस्टर वार

मानवाधिकार दिवस के दिन किसान आंदोलन में दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम और उमर खालिद के पोस्टर लहराए गए। उनकी रिहाई की मांग की गई। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के इस कार्यक्रम से संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने को अलग कर लिया। संगठन ने कहा कि ये आंदोलन का हिस्सा नहीं है। इसके पहले आंदोलन में कुछ खालिस्तानी नेताओं के फोटो भी आंदोलन स्थल पर दिखाई पड़े थे।

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मोदी ने कच्छ के किसानों से बात की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ दौरे के बीच यहां के किसानों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि क्या जब दूध लेने का ठेका होता है तो क्या ठेकेदार गाय भी ले जाता है। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसान की जमीन सुरक्षित रहेगी।

केजरीवाल ने फाड़ीं कृषि कानूनों की प्रतियां

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा के पटल पर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ीं। विधानसभा में 'जय जवान, जय किसान' के नारे लगाए गए।

मध्यप्रदेश के किसानों से पीएम की बातचीत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश के किसानों को संबोधित किया।

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अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से किसान नेताओं ने मुलाकात की

छठे दौर की वार्ता के लिए नौ दिसंबर का समय निश्चित किया गया था। लेकिन इसके पूर्व केंद्रीय मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से कुछ किसान नेताओं ने मुलाकात की। इसके बाद छठें दौर की वार्ता को स्थगित कर दिया गया। अमित शाह ने भी किसानों से कई दौर में बातचीत कर समाधान निकालने का प्रयास किया, लेकिन इसका अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।

आंदोलन की शुरूआत के पहले केंद्र सरकार ने किसानों से बातचीत का प्रस्ताव दिया था। किसानों को दिल्ली बुलाकर 14 अक्तूबर और 13 नवंबर 2020 को बातचीत की गई थी। किसानों ने शिकायत की थी कि पहली बैठक में केवल अधिकारियों ने उनसे बातचीत की। मंत्री शामिल नहीं हुए। बाद में मंत्री भी शामिल हुए, लेकिन किसानों ने कानून वापसी के अलावा कोई अन्य बात करने से मना कर दिया।

इससे पहले 29 नवंबर के दिन मन की बात कार्यक्रम में और 30 नवंबर को वाराणसी में एक कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को कहा कि ये कानून किसानों के हित के लिए बनाए गए हैं।

25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अटल बिहारी वायपेयी के जन्मदिन पर देश के नौ करोड़ किसानों को 18 हजार करोड़ रुपये की किसान सम्मान निधि जारी करेंगे। देश के हर ब्लॉक स्तर पर होने वाले इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री और संगठन के प्रतिनिधि शामिल रहेंगे।

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पुलिस का वाटर कैनन को बंद करने वाला युवक बना आन्दोलन का हीरो

किसान आन्दोलन के शुरूआती दिनों में हरियाणा के अंबाला में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस दवार वाटर कैनन का उपयोग करने के दौरान एक युवक द्वारा वाटर कैनन को बंद करने पर पुलिस ने हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया है। बता दें कि इस युवक ने ठंड में किसानों पर पानी की बौछार करने वाली पुलिस की गाड़ी पर चढ़कर उसे बंद कर दिया था।

इस घटना का वीडियो के व्यापक रूप से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसके बाद सोशल मीडिया पर इस युवक को एक हीरो के रूप में देखा जा रहा था। 26 वर्षीय नवदीप सिंह ने उत्तर भारत में जारी शीत लहर के बीच किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान वाटर कैनन पर चढ़कर प्रदर्शन किया था, क्योंकि पुलिस उनके प्रयासों को अवरुद्ध करने का प्रयास कर रही थी।

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अब तक 54 किसानों की मौत

कृषि कानूनों के विरोध में बैठे किसानों के साथ उनके परिवार की महिलाओं के साथ बच्चे और बुजुर्ग भी भरे उत्साह के साथ शामिल हैं। इस दौरान टिकरी बॉर्डर पर अब तक 54 किसानों की मौत हो चुकी है। बता बता दें कि पंजाब सरकार के अनुसार आंदोलन के दौरान अब तक 53 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें से 20 की जान पंजाब में और 34 की दिल्ली की सीमाओं पर गई है।

बता दें कि बहादुरगढ़ के टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल एक और किसान की मौत हो गई। 60 वर्षीय किसान जगदीश की हार्ट अटैक (Heart Attack) से मौत हो गई है। मृतक किसान बहादुरगढ़ बाईपास पर गांव वालों के साथ ट्रॉली में रह रहा था। मृतक किसान पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब के लुडेवाला गांव का रहने वाला था। पुलिस ने मृतक किसान के शव को कब्जे में लेकर नागरिक अस्पताल भिजवा दिया है।

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