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50 Golden Years of Project Tiger: 1973 में शुरू हुआ प्रोजेक्ट टाइगर, अब भारत में बाघों की संख्या हुई 3000
50 Golden Years of Project Tiger: प्रोजेक्ट टाइगर का अबतक का सफर कैसा रहा, कितना कारगर रहा और भविष्य में इसका क्या स्वरूप होगा इन सभी प्रश्नों का जवाब सामने है।
50 Golden Years of Project Tiger: आज प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं वर्षगाँठ है। इस उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री मोदी जी ने मैसूर में अमृत काल के दौरान नवीनतम बाघ जनगणना डेटा जारी किया है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने बाघ संरक्षण के लिए सरकार के विज़न को भी जारी किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैसूर में प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर एक मेगा इवेंट में नए बाघ जनगणना डेटा को जारी किया।
प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत( Project Tiger)
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1 अप्रैल, 1973 को बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया और पूरे भारत देश में बाघ अभ्यरणो में बाघ की आबादी के अस्तित्व को बनाए रखने और उनकी देखभाल के लिए केंद्रीय स्तर की योजनाएं घोषित की गयी। इसी के तहत जिम कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व से प्रोजेक्ट टाइगर को लॉंच किया गया था। उस दौरान भारत देश में बाघों की संख्या कुल 268 से भी कम थी।
भारत देश में अबतक बाघों की आबादी
अनुमानों के अनुसार 19वीं शताब्दी के अंत में भारत के जंगलो में कुल 40,000 बाघ थे। 20वीं शताब्दी के अंत में बाघों के शिकार और उनके निवास स्थान अर्थात् जंगलो के बर्बाद होने से उनकी संख्या में भारी गिरावट देखने को मिली। वर्ष 1968 में बाघ के शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया था।
वन्यजीव अधिनियम 1972
जंगली जानवर, पक्षी और पौधों के संरक्षण और पर्यावरण की सुरक्षा और उससे सम्बंधित मुद्दों पर देश में जागरूकता फैलाने के लिए भारत सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 पारित किया गया था।
प्रोजेक्ट टाइगर लांच के दौरान बाघ संरक्षित क्षेत्र
प्रोजेक्ट टाइगर लांच के दौरान वर्ष 1973 में 18,278 वर्ग किलोमीटर के दायरे में कुल 9 बाघ संरक्षित क्षेत्र थे। वर्तमान समय में 75,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक दायरे में क़रीब 53 बाघ संरक्षित क्षेत्र है। आज के समय में विश्व की कुल बाघों की आबादी में से 70 प्रतिशत से अधिक भारत देश में है जिनकी कुल संख्या 3,167 है।
प्रोजेक्ट टाइगर के लिए केंद्र सरकार का बजट
पूर्व चार वर्षों में, वर्ष 2022 तक इस परियोजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा लगभग 1,047 करोड़ रुपए आवंटित किए गए है। आवंटित बजट का 97 प्रतिशत जारी किया गया था।
बाघ संरक्षण के लिए जीआईएस का उपयोग
वर्ष 2006 की बाघ जनगणना के दौरान बाघों को संरक्षित करने के लिए एक नहीं पद्धति का प्रयोग किया गया था। बाघों और उनके सह शिकारियों पर जीआईएस का उपयोग करके कैमरा ट्रैप और साइन सर्वेक्षणों से प्राप्त शिकार के साइट विशिष्ट घनत्व को समझाने के लिए किया गया था। इन सर्वेक्षणों के परिणाम के आधार पर कुल बाघों की आबादी का अनुमान 1,165 से 1,657 वयस्क और 1.5 वर्ष से अधिक आयु के उप-वयस्क बाघों के बीच 1,411 का था। यह दावा किया गया था कि वर्ष 2018 तक बाघों की संख्या बढ़कर 2,603 से 3,346 हो गयी। प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता में वर्ष 2022 में भारत के 54वां टाइगर रिज़र्व रानीपुर में घोषित किया गया। वनजीव संरक्षण क्षेत्र उत्तर प्रदेश राज्य का चौथा बाघ संरक्षण क्षेत्र है।
प्रोजेक्ट टाइगर के मुख्य उद्देश्य
- आर्थिक, वैज्ञानिक, सांस्कृतिक सौंदर्य और पारिस्थितिक मूल्यों के लिए बाघ आबादी सुनिश्चित करना।
- उन कारकों को कम करना जो बाघों के आवासों की कमी का कारण बनते है और उच्च प्रबंधन द्वारा उन्हें कम करना। उनके निवास स्थान पर किए गए नुक़सान को सुधारा जाएगा।
कैसा है संघर्ष
प्रोजेक्ट टाइगर के पाँच दशक के बाद भी टाइगर का अवैध शिकार, देश में बड़ी बिल्लियों की प्रजातियाँ ख़तरे की वजह बनी हुई है। राष्ट्रीय बाघ रक्षण प्राधिकरण के वर्ष 2012 से 2022 तक बाघों की मृत्यु के आँकड़ों से पता चला कि कुल 762 बाघों की मृत्यु में से 55 प्रतिशत बाघों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है। 25 प्रतिशत बाघों की मौत अवैध शिकार के कारण हुई हैं। बाघों का अवैध शिकार अभी भी उनकी मौत का एक बड़ा कारण बना हुआ है।
बाघों की मौत का कारण
- बाघों के प्राकृतिक रहने के स्थान को नष्ट करना।
- लोगों द्वारा बाघों का अवैध शिकार।
- खेती में यूरिया का उपयोग भी बाघों की मौत का एक प्रमुख कारण है।
एनटीसीए का बाघ मृत्यु आँकड़ा
इस वर्ष के प्रथम तीन माह में बाघों की मृत्यु तीन वर्ष के उच्च स्तर पर है। भारत में बाघों की मृत्यु का ब्योरा रखने वाली एजेन्सी एनटीसीए के आँकड़ों के अनुसार 3 अप्रैल तक कुल 52 बाघों की मृत्यु हो चुकी है। वर्ष 2023 का मासिक औसत मृत्यु दर 17 है। पिछले एक दशक़ में यह आँकड़ा 10 दर्ज किया गया था। वर्ष 2012 से अब तक भारत में कुल 1,157 बाघों की मौत हो चुकी है।
अगले 50 वर्षों का लक्ष्य
अगले 50 वर्षों का लक्ष्य बताते हुए विशेषज्ञ कहते हैं वैज्ञानिक तरीके से की गयी गणना वाली क्षमता के आधार पर, बाघों की आबादी होनी चाहिए।
प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्षों के तहत पीएम मोदी का मैसूर दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वर्षों के तहत तमिलनाडू के नीलगिरी ज़िले के मूडूमालय में थेपक्ककड़ू हाथी शिविर का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने हाथी की देखभाल करने वाली महिलाओं बोम्मन और बेली से बातचीत करी। ये दोनों ऑस्कर जीतने वाले वृतचित्र में नजर आए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने बाघ संरक्षण केंद्र का भी दौरा किया।