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काम का है ये सर्वे! जानें देश की स्थिति के बारे में 73 प्रतिशत भारतीयों की राय  

भारत में निराशावाद के वैश्विक रुझान के उलट स्थिति देखने को मिली है, जबकि इसके विपरीत कम से कम 58 फीसदी वैश्विक नागरिकों को लगता है कि उनका देश गलत रास्ते पर है। इसके अलावा सर्वेक्षण में शामिल 27 बाजारों में कम से कम 23 निराशावादी महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि वे सही रास्ते पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं।

SK Gautam
Published on: 13 Nov 2019 7:13 PM IST
काम का है ये सर्वे! जानें देश की स्थिति के बारे में 73 प्रतिशत भारतीयों की राय  
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लखनऊ: सर्वे करने वाली एक कंपनी, मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस ने अपने द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कहा है कि कम से कम 73 फीसदी भारतीय यह सोचते हैं कि देश सही दिशा में बढ़ रहा है। इससे पहले जून में किए गए इसी तरह के सर्वेक्षण में तीन फीसदी की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है।

इतने प्रतिशत लोगों को लगता है कि उनका देश गलत रास्ते पर है

भारत में निराशावाद के वैश्विक रुझान के उलट स्थिति देखने को मिली है, जबकि इसके विपरीत कम से कम 58 फीसदी वैश्विक नागरिकों को लगता है कि उनका देश गलत रास्ते पर है। इसके अलावा सर्वेक्षण में शामिल 27 बाजारों में कम से कम 23 निराशावादी महसूस करते हैं और उन्हें लगता है कि वे सही रास्ते पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं।

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बेरोजगारी की समस्या भी सभी चिंताओं में शीर्ष पर

इप्सोस इंडिया के पदाधिकारी पारिजात चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा है कि भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है, उसके लिए भारतीय अत्यधिक आशावादी हैं। पिछले महीने की तुलना में इस दिशा में तीन फीसदी की और वृद्धि हुई है। इसी के साथ भारतीयों के लिए बेरोजगारी की समस्या भी सभी चिंताओं में शीर्ष पर दिखाई पड़ती है।

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उन्होंने कहा कि अपराध एवं हिंसा, वित्तीय और राजनीतिक भ्रष्टाचार में (हालांकि पिछले महीने की तुलना में इसमें पांच फीसदी की गिरावट आई है), आतंकवाद (दो फीसदी की गिरावट), गरीबी एवं सामाजिक असमानता (एक फीसदी की कमी) भी चिंता का विषय है। नौकरियां पैदा करना सरकार की सवोर्च्च प्राथमिकता होना चाहिए।

सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कई राउंड में बेरोजगारी भारतीयों की सबसे बड़ी चिंता है। जबकि इससे पहले बेरोजगारी कभी भी भारतीयों की शीर्ष चिंताओं में नहीं दिखाई दी थी।

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देश की विभिन्न समस्याएं है इतने प्रतिशत

भारतीयों की चिंता वाले शीर्ष पांच मुद्दों में बेरोजगारी 46 फीसदी, अपराध और हिंसा-37 फीसदी, वित्तीय और राजनीतिक भ्रष्टाचार-34 फीसदी, आतंकवाद-29 फीसदी और गरीबी और सामाजिक असमानता-28 फीसदी शामिल हैं।



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SK Gautam

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