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मंदिर का 7वां दरवाजा: कोई नहीं खोल पाया इसे, रहस्यों से भरा है ये द्वार

केरल का ये मंदिर कब बना, इसपर कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता है। इस मंदिर के बारे में इतिहासकार डॉक्टर एल.ए. रवि वर्मा के मुताबिक, ये मंदिर करीब 5000 साल पुराना है, जब मानव सभ्यता कलियुग में पहुंची थी।

Vidushi Mishra
Published on: 30 May 2020 10:48 AM GMT
मंदिर का 7वां दरवाजा: कोई नहीं खोल पाया इसे, रहस्यों से भरा है ये द्वार
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नई दिल्ली। देश के सबसे अमीर मंदिरों मे से एक केरल का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर बहुत प्रसिध्द है। ये मंदिर केवल अत्यधिक संपत्ति होने की वजह से प्रसिध्द नहीं है, बल्कि अपने रहस्यमयी होने की वजह से भी ये मंदिर हमेशा चर्चा में रहता है। ऐसा भी माना जाता है कि यहां के गुप्त तहखानों में इतना खजाना छिपा हुआ है, जिसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता है। वहीं अभी तक इस मंदिर के छह तहखानों के छह दरवाजे खोले जा चुके हैं लेकिन तहखाने का सातवां दरवाजा अभी तक बंद है। आईए बताते है आखिर क्या छिपा है इस दरवाजे के पीछे राज।

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मंदिर करीब 5000 साल पुराना

तो बता दें, कि केरल का ये मंदिर कब बना, इसपर कोई पक्का प्रमाण नहीं मिलता है। इस मंदिर के बारे में इतिहासकार डॉक्टर एल.ए. रवि वर्मा के मुताबिक, ये मंदिर करीब 5000 साल पुराना है, जब मानव सभ्यता कलियुग में पहुंची थी।

इस मंदिर को स्ट्रक्चर के हिसाब से देखें तो माना जाता है कि केरल के तिरुअनंतपुरम में बने पद्मनाभस्वामी मंदिर की स्थापना सोलहवीं सदी में त्रावणकोर के राजाओं ने की थी। इसके बाद से ही यहां के राजा इस मंदिर को मानते रहे।

मंदिर के बारे में कहा जाता

फिर सन् 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया। इसके साथ ही पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया। वहीं अब भी शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख करता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि विष्णु को समर्पित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि राजाओं ने यहां अथाह संपत्ति छिपाकर रखी थी, जो किसी जरूरत के समय में काम आ पाए।

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1 लाख करोड़ से ज्यादा खजाना

पूरे मंदिर में 7 गुप्त तहखाने हैं और हर तहखाने से जुड़ा हुआ एक दरवाजा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक के बाद एक छह तहखाने खोले गए। यहां से कुल मिलाकर 1 लाख करोड़ से ज्यादा कीमत के सोने-हीरे के आभूषण मिले, जो मंदिर ट्रस्ट के पास रख दिए गए।

इसके बाद भी अभी एक दरवाजा खुलना बाकी है। इस सातवें दरवाजे के पास पहुंचने पर दरवाजे पर नाग की भव्य आकृति खुदी हुई दिखती है। ऐसा माना जाता है कि इस दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं और इसे खोलना किसी बड़ी आफत को न्यौता देना होगा।

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दरवाजा खोलने से एकाएक मौत

साथ ही मंदिर पर आस्था रखने वालों की मान्यता है कि जज टीपी सुंदर राजन जिनकी अध्यक्षता में दरवाजे खोलने का फैसला हुआ था, उनकी एकाएक मौत भी इन्हीं दरवाजों के अभिशाप की वजह से हुई है।

सातवें दरवाजे पर दो सांपों की आकृति को देखते हुए कई विशेषज्ञों का मानना है कि इसे नाग पाशम जैसे किसी मंत्र से बांधा गया होगा और अब गरुड़ मंत्र के उच्चारण से इसे खोला जा सकेगा।

लेकिन साथ ही ये भी माना जाता है कि ये मंत्र इतने मुश्किल हैं कि इनके उच्चारण या विधि में थोड़ी भी चूक से जान जा सकती है। और यही कारण है कि अभी तक इसे खोलने की कोई हिम्मत नहीं की गई।

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