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One Nation One Ration Card: ओएनओआरसी, खाद्य सुरक्षा प्रगति की ओर

One Nation One Ration Card: भारत सरकार की वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) पहल का लाभ उठाकर, उनका परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत सिलवासा में ही उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से खाद्यान्न लेने का हकदार रहा।

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Published on: 11 Aug 2023 8:43 PM IST
One Nation One Ration Card: ओएनओआरसी, खाद्य सुरक्षा प्रगति की ओर
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One Nation One Ration Card (Pic: Social Media)

One Nation One Ration Card: बिहार के आरा के रहने वाले 38 वर्षीय सुनील कुमार एक पैकेजिंग कंपनी में श्रमिक के रूप में नौकरी हासिल करने के बाद अपने परिवार के साथ 2021 में सिलवासा, दादरा और नगर हवेली चले गए। भारत सरकार की वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) पहल का लाभ उठाकर, उनका परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत सिलवासा में ही उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से खाद्यान्न लेने का हकदार रहा। वह उन लाखों पलायन करने वालों में से एक हैं, जिन्हें ओएनओआरसी ने उनके वर्तमान निवास स्थान पर अपना मासिक राशन लेकर परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाया है।

ओएनओआरसी संकटपूर्ण समय के दौरान पलायन करने वालों के लिए एक रक्षक साबित हुआ है। कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक व्यवधानों के दौरान, इसने पलायन करने वाले लोगों को अपने रोजगार के स्थान पर ही खाद्यान्न का अपना मासिक कोटा प्राप्त करने में सक्षम बनाया, जिससे उन्हें अपने काम का स्थान छोड़ने या अपनी खाद्य सुरक्षा की चिंता करने की आवश्यकता नहीं हुई। यहां तक कि परिवार के एक सदस्य के पलायन के मामले में, ओएनओआरसी ने उसे गंतव्य राज्य में आंशिक राशन उठाने का विकल्प प्रदान किया, साथ ही यह सुनिश्चित किया कि गृह राज्य में रह रहे परिवार अलग से उस राशन को उठा सके जिसके वे हकदार है। वास्तव में, महामारी के दौरान (यानी अप्रैल 2020- दिसंबर 2022 तक), 91 करोड़ ओएनओआरसी लेनदेन दर्ज किए गए, जिससे राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी के माध्यम से लाभार्थियों को 176 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से अधिक खाद्यान्न वितरित किया गया।

अगस्त 2019 में चार राज्यों में शुरुआत के बाद ओएनओआरसी ने पीएमजीकेएवाई के तहत 80 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को शामिल करते हुए सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में अपना विस्‍तार किया है। यह पिछले 9 वर्षों में तकनीकी हस्तक्षेपों के माध्यम से संभव हुआ जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राशन कार्डों का शत प्रतिशत (100 प्रतिशत) डिजिटलीकरण, राशन कार्डों को आधार से शत प्रतिशत जोड़ने, 5.45 लाख उचित दर दुकानों में से लगभग शत प्रतिशत (100 प्रतिशत) में इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) उपकरणों की उपलब्धि, आधार के माध्यम से बॉयोमेट्रिक प्रमाणीकरण और आवंटन और आपूर्ति श्रृंखला प्रक्रियाओं का स्वचालन शामिल है।

इसके अलावा, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सुचारू डेटा विनिमय सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय स्तर पर सभी राशन कार्डों और लाभार्थियों के डेटा का एक सुरक्षित केंद्रीय भंडार स्थापित किया गया। यह रिपॉजिटरी वास्तविक समय के आधार पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के माध्यम से वृद्धि संबंधी लाभार्थी डेटा प्राप्त करती है। इस केंद्रीकृत प्रणाली के साथ, आधार-आधारित दोहराव खत्‍म करने की प्रक्रिया नियमित रूप से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में डुप्लिकेट लाभार्थियों के लिए स्कैन की जाती है, जिसे बाद में भौतिक सत्यापन और समाधान के लिए संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजा जाता है।

इसके अलावा, पोर्टेबिलिटी लेनदेन एक साथ सेंट्रल रिपॉजिटरी और संबंधित राज्य डेटाबेस दोनों में दर्ज किए जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि लाभार्थियों की पात्रता को सटीक रूप से कैप्चर किया गया है और निगरानी की गई है। निगरानी के लिए ये प्रौद्योगिकी-संचालित उपाय उचित वितरण सुनिश्चित करते हैं और राशन कार्डों के दुरुपयोग को रोकते हैं, इस प्रकार सभी के लिए खाद्य सुरक्षा को सशक्त बनाने में ओएनओआरसी की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं।

जैसा कि हम ओएनओआरसी की चौथी वर्षगांठ मना रहे हैं, पलायन करने वालों के लिए इसका एक विश्वसनीय सामाजिक सुरक्षा जाल के रूप में महत्व स्पष्ट हो जाता है। इसकी स्थापना के बाद से 114 करोड़ से अधिक पोर्टेबिलिटी लेनदेन दर्ज किए गए हैं, जिसके तहत लगभग 220 एलएमटी खाद्यान्न वितरित किए गए हैं, जो ओएनओआरसी का प्रभाव स्पष्ट करते हैं। ओएनओआरसी पर एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा सितंबर 2022 में किए गए एक अध्ययन ने इसकी पुष्टि की, जिसमें पलायन करने वाले 86 प्रतिशत लोगों ने इस योजना को फायदेमंद बताया क्योंकि उन्हें गंतव्य राज्य में नए राशन कार्ड के लिए आवेदन करने की परेशानी से नहीं गुजरना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि पलायन करने वाले लोग ओएनओआरसी के माध्यम से राशन का लाभ उठाकर खाद्यान्न के खर्च पर प्रति माह औसतन 574 रुपये बचा सके।

इसके अलावा, ओएनओआरसी ने कई अन्य लाभ दिए हैं क्योंकि लाभार्थियों को राशन की किसी भी दुकान से खाद्यान्न लेने का हक देने के लचीलेपन के कारण एफपीएस डीलरों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया है, जिससे ग्राहकों की संतुष्टि में सुधार हुआ है और भ्रष्‍टाचार में कमी आई है। इसके अलावा, स्थान संबंधी विविधता, असमान सामाजिक संबंधों, लिंग पूर्वाग्रहों और भेदभाव के अन्य गोपनीय बाधाओं से कुशलता से निपटकर, ओएनओआरसी ने गुणात्मक रूप से सभी के लिए खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य में योगदान दिया है।

फिर भी, हमें मौजूदा चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए और ओएनओआरसी की पूरी क्षमता को साकार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। वर्तमान में, अंतर-राज्य पोर्टेबिलिटी लेनदेन का लगभग 85 प्रतिशत दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में केंद्रित है, जो अन्य क्षेत्रों में लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए अधिक जागरूकता अभियानों का आह्वान करता है। भारत सरकार ने हाल ही में टैगलाइन के साथ टीवी स्पॉट और रेडियो जिंगल्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर प्रचार अभियान चलाया है। "आप जहां आपका राशन वहां ". सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शिकायत निवारण के लिए एक समर्पित 14445 टोल-फ्री नंबर शुरु किया गया है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि उचित दर दुकानों पर ओएनओआरसी लाभार्थियों के लिए स्टॉक उपलब्धता का कोई मुद्दा नहीं हो, डीलरों को इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) डिवाइस के माध्यम से अतिरिक्त आवंटन के लिए अनुरोध करने का विकल्प प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त, लाभार्थियों के लिए एक सहज शिकायत निवारण अनुभव, आस-पास के एफपीएस और लेनदेन इतिहास की जानकारी प्रदान करने के लिए 'मेरा राशन' मोबाइल एप्लिकेशन को भी नया रूप दिया जा रहा है।

ओएनओआरसी की क्षमता को सही मायने में खोलने के लिए, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सक्रिय भागीदारी महत्वपूर्ण है। औद्योगिक स्थलों, जहां बड़ी संख्‍या में पलायन होता है। ऐसे क्षेत्रों और आर्थिक गतिविधि के अन्य स्थलों जैसे उच्च प्रवास वाले क्षेत्रों में जागरूकता पैदा करने ओएनओआरसी के लाभों को व्यक्त करने और इसकी विशेषताओं का प्रचार करने में मदद मिलेगी जैसे कि आंशिक उठान की सुविधा और वास्‍तव में राशन कार्ड की अनिवार्य आवश्यकता जैसे मिथकों को दूर करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एफपीएस डीलर द्वारा किसी भी लाभार्थी को राशन से वंचित नहीं किया गया है। सभी के लिए खाद्य सुरक्षा की दिशा में हमारी यात्रा में ओएनओआरसी की शक्ति का पूरी तरह से उपयोग करने की अपार गुंजाइश बनी हुई है।

(द्वारा: संजीव चोपड़ा, सचिव, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार)



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