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काम आयेगा भारत ही, बिना इसके कोई देश नहीं बना पाएगा कोरोना की वैक्सीन

दुनिया भर में कोरोना से निजात पाने के लिए वैक्सीन तैयार करने वालों का लक्ष्य दिसंबर तक हर हाल में वैक्सीन बना लेने का है। लेकिन ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि वैक्सीन पूरी दुनिया को समय रहते मिल पायेगी या नहीं

Praveen Singh
Published on: 15 May 2020 10:54 AM GMT
काम आयेगा भारत ही, बिना इसके कोई देश नहीं बना पाएगा कोरोना की वैक्सीन
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vaccine

योगेश मिश्र

लखनऊ । दुनिया भर में कोरोना से निजात पाने के लिए वैक्सीन तैयार करने वालों का लक्ष्य दिसंबर तक हर हाल में वैक्सीन बना लेने का है। लेकिन ऐसे में यह सवाल उठना लाज़िमी है कि वैक्सीन पूरी दुनिया को समय रहते मिल पायेगी या नहीं, इस सवाल का जवाब तलाशें तो यह तथ्य हाथ लगता है कि वैक्सीन चाहे जो भी देश तैयार करें पर भारत की मदद के बिना इसका दुनिया के हर देश और हर आदमी तक समय रहते पहुँचना संभव नहीं होगा।

क्या आप ये जानते हैं

क्योंकि एक तो कोरोना संक्रमण की भयावहता देख हर देश चाहेगा कि वैक्सीन सीधे और सबसे पहले उसी के हाथ लग जाये। इसको इससे भी समझा जा सकता हैं कि हेपेटाइटिस बी का टीका १९८२ में आ गया था। लेकिन १८ साल बाद भी गरीब देशों के केवल दस फ़ीसदी लोगों तक ही यह वैक्सीन पहुँच पाई है । जबकि इस वैक्सीन का उपयोग लीवर की बिमारी में होता है।

 वैक्सीन

२०१५ में दुनिया में २५.७ करोड़ लोग इस बिमारी से पीड़ित थे। ग्लोबल फार्मास्युटिकल बाज़ार १.२ लाख करोड़ डॉलर का है।लेकिन वैक्सीन की हिस्सेदारी सिर्फ ४० अरब डॉलर की है। इसलिए विकसित देश वैक्सीन बना लेने, पेटेंट करा लेने के बाद उत्पादन की ज़िम्मेदारी किसी और पर डाल देना बेहतर समझेंगे।

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इसे भी जान लें

अमेरिका में १९६७ में २६ कंपनियाँ वैक्सीन बनाती थी। आज केवल ५ बची हैं।दुनिया में भारत की गिनती वैक्सीन और जेनेरिक दवाएँ बनाने में सबसे बड़े उत्पादक के रूप में होती है।सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया वैक्सीन बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है।यह ५३ साल पुरानी है। हर साल १.५ अरब डोज बनाती हैं।इसका प्लांट पुणे में है। नीदरलैंड और चेक रिपब्लिक में भी इसके प्लांट है। इसमें ७००० लोग काम करते हैं।

Corona Vaccine from India

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यह १६५ देशों को २० तरह की वैक्सीन सप्लाई करती है।यह कंपनी तक़रीबन ५० करोड़ डोज़ बना सकती है।हैदराबाद की भारत बायेटेक ने अमेरिकी कंपनी फ्लूजेन से करार किया है। यह भी ३० करोड़ डोज़ बना सकती है। इस लिहाज़ा से देखें तो दुनिया में तेज़ी से और समय रहते वैक्सीन पहुँचाने का काम भारत की मदद के बिना संभव नहीं हो सकता।

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Journalist & Director - Newstrack.com

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