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स्कूलों पर बड़ा ऐलान: अब आया ये फरमान, बदला सरकार का ये फैसला

कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की वजह से देश में सारे स्कूल-कॉलेज शिक्षण संस्थान बीते 5 महीने से बंद हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी काफी प्रभाव पड़ रहा है।

Newstrack
Published on: 6 Aug 2020 11:53 AM IST
स्कूलों पर बड़ा ऐलान: अब आया ये फरमान, बदला सरकार का ये फैसला
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स्कूलों पर बड़ा ऐलान: अब आया ये फरमान, बदला सरकार का ये फैसला

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण की वजह से देश में सारे स्कूल-कॉलेज शिक्षण संस्थान बीते 5 महीने से बंद हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई पर भी काफी प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में पैरेंट्स पर बच्चों की फीस का बोझ भी पड़ रहा है, जिसके चलते कई राज्यों में पैरेंट्स ने विरोध प्रदर्शन भी किया गया, तो कई जगह ये मामला इतना ज्यादा बढ़ गया कि कोर्ट में भी पहुंचा गया।

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पेरेंट्स से ट्यूशन फीस

स्कूलों और पैरेंट्स की इस उलझते किस्से के लेकर एक मामले में अब गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को बदल दिया है, जिसमें दोबारा खोले जाने तक स्कूलों पर ट्यूशन फीस लेने पर प्रतिबंध लगाया था। अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि निजी स्कूल ट्यूशन फीस ले सकेंगे।

बात ये है कि गुजरात सरकार ने 16 जुलाई को आदेश जारी किया था कि निजी स्कूल हालात सामान्य होने तक पेरेंट्स से ट्यूशन फीस नहीं वसूल सकेंगे।

स्कूल फीस स्कूल फीस

लेकिन अब गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस जेबी पारदिलवाला की डिविजन बैंच ने अपने फैसले में कहा, बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने और स्कूलों को चलाए रखने के लिए एक संतुलन की जरूरत है।

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कई छोटे स्कूल हमेशा के लिए बंद

ऐसे में गुजरात हाईकोर्ट के अनुसार, स्कूलों को ट्यूशन फीस वसूलने पर प्रतिबंध से कई छोटे स्कूल हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं। साथ ही स्कूलों को भी ये समझना होगा कि पेरेंट्स मौजूदा समय में आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।

इन्ही सब की वजह से कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि प्राइवेट अनएडेड स्कूलों और पेरेंट्स के हितों की रक्षा के लिए संतुलन स्थापित करे।

इस मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोरोना वायरस की वजह से उपजे हालात को देखते हुए सभी स्टेकहोल्डर्स को जिम्मेदारी बराबरी से बांटने की जरूरत है।

वहीं इस लड़ाई को एकजुट होकर ही लड़े जाने की जरूरत है। अगर छोटे स्कूल बंद हो जाते हैं तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स को बड़े स्कूलों का रुख करना होगा जहां फीस भी ज्यादा होगी।

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