किसान आंदोलन:अमित शाह बोले- कोई भी दुष्प्रचार हमारी एकता को नहीं तोड़ सकता

हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे? रिहाना ने हैशटैग #FarmersProtest के साथ यह ट्वीट किया था। वहीं, पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने कहा था कि हम भारत में किसानों के प्रदर्शन में एकजुटता से खड़े हैं।

suman
Published on: 3 Feb 2021 3:14 PM GMT
किसान आंदोलन:अमित शाह बोले- कोई भी दुष्प्रचार हमारी एकता को नहीं तोड़ सकता
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किसान आंदोलन: अमित शाह बोले- कोई भी दुष्प्रचार हमारी एकता को नहीं तोड़ सकता

नई दिल्ली : पिछले कई महीने से दिल्ली सीमा पर नए कृषि कानून को लेकर किसान धरने पर बैठे है और कई दौर की बातचीत के बावजूद किसान अपनी बातों पर अड़े है। सरकार और किसानों की बातचीत हर बार विफल होती रही है।इस आंदोलन को लेकर अब सियासी घमासान तेज हो गया है।

कोई प्रोपेगेंडा देश की एकता को नहीं तोड़ सकता

इसी बीच गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि कोई प्रोपेगेंडा देश की एकता को नहीं तोड़ सकता। एकजुट होकर प्रगति की ओर चलेंगे। कोई भी दुष्प्रचार भारत को ऊंचाइयों तक जाने से नहीं रोक सकता। गृहमंत्री ने ये बातें विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव के ट्वीट पर लिखी हैं।

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प्रोपेगेंडा भारत के भाग्य का फैसला नहीं कर सकता

गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा, 'कोई भी प्रोपेगेंडा भारत की एकता को नहीं डिगा सकता है! कोई भी प्रचार भारत को नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने से नहीं रोक सकता है! प्रोपेगेंडा भारत के भाग्य का फैसला नहीं कर सकता है। भारत प्रगति के लिए एकजुट है। उन्होंने हैशटैग का भी जिक्र किया है।#IndiaAgainstPropaganda #IndiaTogether।

amit shah

किसान आंदोलन से जुड़ी खबर शेयर

बता दें कि किसान आंदोलन को लेकर विदेशी हस्तियों ने भी टिप्पणी की है. पॉप स्टार रिहाना ने अपने ट्विटर पर किसान आंदोलन से जुड़ी खबर शेयर करते हुए लिखा था कि हम इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे? रिहाना ने हैशटैग #FarmersProtest के साथ यह ट्वीट किया था। वहीं, पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने कहा था कि हम भारत में किसानों के प्रदर्शन में एकजुटता से खड़े हैं।

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गैर-जिम्मेदाराना हरकत

इनके ट्वीट्स पर विदेश मंत्रालय ने सख्त तेवर दिखाया और इसे गैर-जिम्मेदाराना हरकत ठहराया। इस संबंध में विदेश मंत्रालय ने कहा, 'इस तरह के मामलों पर टिप्पणी करने से पहले हम आग्रह करते हैं कि तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों की उचित समझ की जाए। भारत की संसद ने पूर्ण बहस और चर्चा के बाद कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी कानून पारित किए।

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