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भारत में ऐसा मंदिर जिसकी दीवारें वर्षों से बोलती हैं, बहुत सारे रहस्यों से है भरा
जम्मू के कठुआ जिले में जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में सदियों बाद भी रंगों में वही चमक और कूची का बोलता हुनर बेहद हैरान कर देता है। वर्षों पुराने इस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत कालीन दृश्यों की पूरी शृंखला को बखूबी उकेरा गया है।
जम्मू। जम्मू के कठुआ जिले में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जो बहुत ही रोचक है। ये जिला मुख्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में सदियों बाद भी रंगों में वही चमक और कूची का बोलता हुनर बेहद हैरान कर देता है। वर्षों पुराने इस मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत कालीन दृश्यों की पूरी शृंखला को बखूबी उकेरा गया है। देखा ही मानों पूरी रामायण का सचित्र वर्णन खुद ब खुद होने लगता है। राम मंदिर की दीवार ऐसी लगती है कि पूरा सार खुद ही बोल रही हो।
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राजस्थानी चित्रकला की झलक
कठुआ से कुछ दूरी पर स्थित इस मंदिर के मुख्यद्वार पर लिखे अक्षरों के मुताबिक, मंदिर का निर्माण विक्रमी संवत 1957 में शुरू हुआ, जिसे विक्रमी संवत 1962 में अंजाम तक पहुंचाया गया। इस सुमवां राम मंदिर की दीवारों पर की गई पेंटिंग दुर्लभ श्रेणी की हैं। इसमें रंगों की चमक और चित्रकला की शैली इसे कई मायने में खास बनाती है।
यहां के विश्व प्रसिद्ध बसोहली चित्रकला समेत विभिन्न कलाओं का मिश्रण है। जबकि इसमें बसोहली के अलावा कांगड़ा, गुलेर, चंबा और राजस्थानी चित्रकला की झलक साफ दिखाई देती है। बता दें, इसे दुर्लभ फ्यूजन कहा जा सकता है। वहीं वॉल पेंटिंग की बात करें, तो यह म्यूरल पेटिंग है, जिसे अंदर की दीवारों पर किया जाता है।
फोटो-सोशल मीडिया
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दीवारों पर वॉल पेटिंग
दरअसल सुमवां गांव का ये श्री राम मंदिर परिसर दो भागों में बंटा हुआ है। इसके प्रवेशद्वार के हिस्से में सराय है जबकि तो दूसरा भाग श्रीराम मंदिर के ढांचे का है। इसमें प्रवेशद्वार वाला हिस्सा दो मंजिला है, जिसमें सराय हुआ करती थी। बता दें, आज भी झरोखे, अलग-अलग कमरे मौजूद हैं। दूसरे भाग में मंदिर हैं जिसकी दीवारों पर वॉल पेटिंग और केंद्र में मूर्तियां स्थापित हैं।
वहीं मंदिर के मुख्यद्वार पर दी गई जानकारी के मुताबिक, इसका निर्माण जैलदार फूला ने करवाया था जिसे जैलदार कान सिंह ने संकल्प और मंदिर स्थापना उपरांत बुल्लो पंडित के सुपुर्द कर दिया। वहीं सुमवां राम मंदिर का इमारती ढांचा और वॉल पेंटिंग्स दोनों ही ऐतिहासिक धरोहर का जीता-जागता सबूत हैं।
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