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Manipur News: मणिपुर में आखिर हो क्या रहा है ?
Manipur News: इस साल फरवरी में मणिपुर सरकार ने कई गांवों को बेदखली के लिए अधिसूचित किया था। सरकार ने कहा था कि चुराचांदपुर - खौपुम संरक्षित जंगल पर अतिक्रमण कर रहे थे।सरकार ने 2021 के बाद बने सभी घरों को अवैध और बेदखली के लिए उत्तरदायी घोषित किया।
Manipur News: मणिपुर अशांत है। सरकार ने राज्य के चुराचांदपुर में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है और इंटरनेट सेवाओं और बड़ी सभाओं को रोक दिया है। यहां गांव की जमीन को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित किए जाने का विरोध किया जा रहा है। आलम ये है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को 28 अप्रैल को जहां एक कार्यक्रम में शामिल होना था, उस जगह पर भीड़ ने हमला करके वहां आग लगा दी। इसके बाद चुराचंदपुर जिले के न्यू लमका टाउन में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं हैं। जहां आगजनी हुई वह जगह न्यू लमका टाउन में सद्भावना मंडप है जहां भीड़ ने हमला करके करीब 100 कुर्सियों और अन्य उपकरणों में आग लगा दी थी।
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क्यों हो रहा विरोध
स्थानीय लोगों का आरोप है कि राज्य सरकार ने निवासियों से परामर्श किए बिना आदिवासी पहाड़ी क्षेत्रों के एक बड़े हिस्से को सरकारी भूमि घोषित कर दिया है। निर्णय लेने की प्रक्रिया से स्वदेशी समुदायों को बाहर रखा जाना स्थानीय जनजातियों को नागवार गुजरा है। आरोप है कि एक के बाद एक कई सरकारों ने प्राकृतिक संसाधनों को नियंत्रित करने के लिए जनजातीय समुदायों को भूमि हड़पने का काम किया है और जनजातियों को जबरन विस्थापित किया है। इसके परिणामस्वरूप गरीबी, सामाजिक अशांति और सांस्कृतिक पहचान का नुकसान हुआ है।
मणिपुर सरकार का कदम
इस साल फरवरी में मणिपुर सरकार ने कई गांवों को बेदखली के लिए अधिसूचित किया था। सरकार ने कहा था कि चुराचांदपुर - खौपुम संरक्षित जंगल पर अतिक्रमण कर रहे थे।सरकार ने 2021 के बाद बने सभी घरों को अवैध और बेदखली के लिए उत्तरदायी घोषित किया। सरकार द्वारा बेदखली अभियान चलाने और क्षेत्र में "अवैध अप्रवासियों" की पहचान करने की मांग के बाद, आदिवासी निकायों ने पूरे राज्य के साथ-साथ दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया।
- 15 फरवरी को चुराचंदपुर के उपायुक्त ने कथित तौर पर जिले के चुराचांदपुर और मुलनुआम उप-मंडलों के कई गांवों में "अवैध प्रवासियों" की पहचान करने के लिए एक सत्यापन अभियान का आदेश दिया।
- 20 फरवरी को मणिपुर के वन विभाग ने राज्य पुलिस की मदद से चुराचंदपुर जिले के कुकी आदिवासी गांव के सोंगजैंग के निवासियों को बेदखल कर दिया। उसी दिन चुराचांदपुर के कुंगपिनाओसेन गांव को जमीन खाली करने की सूचना दे दी गई थी।
- वन विभाग ने के सोंगजैंग गांव पर भी बुलडोज़र चला दिया, यह कहते हुए कि अधिकांश घर 2021 के बाद बने थे। गूगल मैप्स के आधार पर बताया गया कि गाँव को अवैध रूप से चुराचंदपुर-खौपुम संरक्षित क्षेत्र में स्थापित किया गया था, गूगल मैप्स में 2021 से पहले निर्मित केवल दो या तीन संरचनाएँ / घर दिखाए गए थे। अधिकांश आवास 2021 के बाद बनाए गए पाए गए।
कांगपोकपी में हिंसक प्रदर्शन
मार्च में स्वदेशी जनजातीय नेताओं के फोरम (आईटीएलएफ) और कुकी छात्र संगठन (केएसओ) ने चुराचंदपुर, उखरुल, कांगपोकपी, टेंग्नौपाल और जिरिबाम के पहाड़ी जिलों में रैलियां कीं। कांगपोकपी में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े जिसके बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा पथराव किया गया। इस घटना में पांच लोग घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों का दावा है कि सरकार को कई ज्ञापन सौंपने के बावजूद सरकार ने लोगों की दुर्दशा को दूर करने की इच्छा या ईमानदारी का कोई संकेत नहीं दिखाया है।