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250 करोड़ का होटल मात्र 7.50 करोड़ में बेच डाला, अब इस पूर्व मंत्री की बढ़ी मुसीबतें

प्राप्त जानकारी के अनुसार 2004 में वाजपेयी सरकार के विनिवेश मंत्रालय ने उदयपुर के सबसे शानदार होटल लक्ष्मी विलास पैलेस को केवल 7.5 करोड़ का डिसइनवेस्टमेंट करते हुए ललित ग्रुप को बेच दिया था।

Newstrack
Published on: 17 Sep 2020 5:24 AM GMT
250 करोड़ का होटल मात्र 7.50 करोड़ में बेच डाला, अब इस पूर्व मंत्री की बढ़ी मुसीबतें
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इस पूरे प्रकरण की जांच यूपीए सरकार ने नहीं कराई। बाद में एक सूचना के आधार पर 13 अगस्त 2014 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

नई दिल्ली: आज की सबसे बड़ी खबर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विनिवेश मंत्री रहे अरुण शौरी को लेकर आ रही है। दरअसल राजस्थान की सीबीआई कोर्ट ने उदयपुर के होटल लक्ष्मी विलास के इन्वेस्टमेंट में एनडीए की पहली सरकार को दोषी करार देते हुए विनिवेश मंत्री रहे अरुण शौरी के खिलाफ गिरफ्तारी वांरट जारी कर कोर्ट में तलब किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 2004 में वाजपेयी सरकार के विनिवेश मंत्रालय ने उदयपुर के सबसे शानदार होटल लक्ष्मी विलास पैलेस को केवल 7.5 करोड़ का डिसइनवेस्टमेंट करते हुए ललित ग्रुप को बेच दिया था। जिसके बाद उदयपुर में काफी हो हल्ला मचा था, इसकी वजह ये थी कि उस वक्त इतने बड़े होटल की इतनी कम कीमत लगाने पर हर कोई हैरान था।

Arun Shauri अरुण शौरी की फोटो(सोशल मीडिया)

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13 अगस्त 2014 को दर्ज हुआ था केस

इस पूरे प्रकरण की जांच यूपीए सरकार ने नहीं कराई। बाद में एक सूचना के आधार पर 13 अगस्त 2014 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

उस वक्त सीबीआई का कहना था कि उसे जांच में कुछ भी गलत नहीं मिला है। बाद में उसने इसी तर्क के आधार पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दिया, लेकिन जब ये मामला कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट को कुछ गड़बड़ होने का अंदेशा था।

उस वक्त कोर्ट ने यह कहते हुए सीबीआई की दलील को ख़ारिज कर दिया कि सीबीआई ने अपनी जांच में पाया है कि जमीन की कीमत 151 करोड़ बनती है तो फिर जांच में क्लोजर रिपोर्ट कैसे लग सकती है।

Arun अरुण शौरी की फोटो(सोशल मीडिया)

सीबीआई जांच पर उठे थे सवाल

उसके बाद दोबारा से सीबीआई जोधपुर कोर्ट ने सीबीआई को इस केस की पुन: जांच करने के फरमान सुनाया था।

लेकिन सीबीआई ने एक बार पुन: क्लोजर रिपोर्ट लगा दिया।

दोबारा से इस केस में नाराजगी जताते हुए सीबीआई कोर्ट ने सीबीआई को डांट लगाते हुए उसकी भूमिका पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया और कहा कि जिन तथ्यों को आपने लिखा है उस पर जांच का रिपोर्ट दीजिए।

जिसके बाद सीबीआई ने तीसरी बार इस केस की जांच की थी। जांच रिपोर्ट में बताया कि मंत्री और अफसरों के पद का दुरुपयोग किया गया है और जमीन की डीएलसी 500 से लेकर 1000 रुपये के मध्य थी।

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जांच में सरकार को 244 करोड़ के नुकसान का चला था पता

इसके बावजूद इसे कम दाम पर बेचा गया जिसकी वजह से सरकार को लगभग 244 करोड़ रुपए का भारी नुकसान उठाना पड़ा है।

जिसके बाद सीबीआई की फाइनल रिपोर्ट पर कोर्ट ने उस वक्त के विनिवेश मंत्री रहे अरुण शौरी, तत्कालीन विनिवेश सचिव प्रदीप बैंजल, मैसर्स लजार्ड इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर आशीष गुहा, भारत होटल की निदेशक ज्योत्सना सुरी के विरुद्ध धारा 120 बी 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम धारा 13 डी के अंतर्गत अपराध पाया है और सभी आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब कर कोर्ट में पेश होने को कहा है।

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