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CAA पर फंसी बीजेपी: बंगाल और असम में विपरीत हालात, जानें क्या करेगी सरकार

पश्चिम बंगाल के साथ ही असम में भी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने वाले हैं। दोनों राज्यों में सीएए को लेकर विपरीत परिस्थितियां है। जहां बंगाल में इसे लेकर डिमांड हो रही है तो वहीं असम में इसे लेकर बवाल हो चुका है।

Shreya
Published on: 17 Dec 2020 8:37 AM GMT
CAA पर फंसी बीजेपी: बंगाल और असम में विपरीत हालात, जानें क्या करेगी सरकार
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CAA पर फंसी बीजेपी: बंगाल और असम में विपरीत हालात, जानें क्या करेगी सरकार

नई दिल्ली: अगले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Elections 2021) होने वाले हैं। चुनाव को अब छह महीने से भी कम समय बचा है। जैसे जैसे चुनाव का समय पास आ रहा है वैसे ही वैसे राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की मांग भी तेजी होती जा रही है। बीजेपी की तरफ से राज्य में अगले साल की शुरुआत के साथ ही यानी जनवरी महीने से सीएए लागू करने की बात कही गई है। वोट के लिहाज से देखा जाए तो यह भारतीय जनता पार्टी के लिए फायदे का सौदा होने वाला है। हालांकि इस राह पर चलना इतना आसान नहीं होगा।

बीजेपी के सामने है ये चुनौती

दरअसल, पश्चिम बंगाल के साथ ही असम में भी विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने वाले हैं। असम में बीते पांच साल से भाजपा की सरकार है और यहां पर सत्ता में बने रखने की कवायद पार्टी को करनी है। लेकिन नागरिक संशोधन कानून (CAA) को लेकर असम में जमकर बवाल देखने को मिला था। वहीं अगर अगर पार्टी की तरफ से सीएए की बात आगे बढ़ाई गई तो हालात प्रतिकूल भी हो सकते हैं, जो कि जाहिर तौर पर पार्टी के लिए अच्छी बात नहीं है। यही वजह है कि सीएए को लेकर बीजेपी बंगाल और असम के बीच फंसती नजर आ रह है।

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amit shah (फोटो- सोशल मीडिया)

सीएए से फंस रही है पार्टी

एक तरफ तो बीजेपी को बंगाल में ममता सरकार को सत्ता से हटाकर खुद काबिज होना है तो वहीं असम सरकार में उसे सत्ता पर बने रहने की भी चुनौती है। बीजेपी के लिए सीएए एक ऐसा जंजाल बना हुआ है, जिसे वो बंगाल में इनकार भी नहीं कर सकती और असम में इसे लागू करने का खतरा भी नहीं उठा सकती है। बता दें कि केंद्र की मोदी सरकार ने 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पास कराया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून भी बन गया है, लेकिन अब तक इसे अमलीजामा पहनाने के नियम नहीं बना पाई है।

क्या कदम उठा सकती है सरकार?

ऐसे में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने कहा कि ऐसे में सरकार नागरिकता देने के लिए तकनीकी तौर पर फेज वाइज कानून लागू करने की प्रक्रिया अपना सकती है। इससे कोई परेशानी भी सामने नहीं आएगी। हालांकि इस कानून को लागू करने से पहले सरकार को इसके नियम नोटिफाई करने होंगे, साथ ही राज्य में कितने लोग ऐसे हैं, जो कानून के तहत नागरिकता चाहते हैं या इसके लिए आवेदन किया है, उनके भी आंकड़े जुटाने होंगे।

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बंगाल में कानून लागू करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध

कहा जा रहा है कि अगर सरकार बंगाल में जनवरी से नागरिक संशोधन कानून (CAA) को लागू करना चाहती है तो इस पर उसे तुरंत काम शुरू करना होगा। वहीं इस संबंध में बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैय्यद जफर इस्लाम ने कहा कि इस कानून को लागू करने के लिए पार्टी और सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि संसदीय समिति द्वारा सीएए की प्रक्रिया तैयार की जाएगी और उसके बाद लोगों को नागरिकता प्रदान करने की दिशा में काम शुरू हो जाएगा।

kailash vijayvargiya (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद ही यह तय किया जाएगा कि सरकार इस कानून को देश में एक साथ लागू करेगी या फिर इसे फेज वाइज लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत में सम्मान के साथ रहने का हक देकर रहेगी। बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय कई बार कह चुके हैं कि पश्चिम बंगाल में सीएए जनवरी से लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

वहीं बीजेपी नेता और असम सरकार में मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने इंटरव्यू के दौरान कहा था कि असम में अब सीएए मुद्दा नहीं रह गया है। इसका चुनाव में कोई असर देखने को नहीं मिलेगा। हालांकि कुछ राजनीतिक पार्टियों या नेताओं द्वारा भाषणों में इसका जिक्र जरूर किया जा सकता है। लेकिन असम के लोग विकास के मुद्दे पर वोट करेंगे।

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