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भूंकप के दौरान चांद पर ये काम करते हैं अंतरिक्ष यात्री, जानिए मानव मिशन के राज

चंद्रमा पर इंसान के पहुंचने के 50 साल पूरे हो चुके हैं। भारत समेत कई देश चांद पर नए मिशन भेजने की तैयारी में जुटे हैं। भारत ने आज यानी सोमवार को चंद्रयान 2 लाॅन्च किया है। ऐसे में चंद्रमा पर पहुंचने वाले नासा के मिशन की 50वीं सालगिरह पर उसकी यादें दुनिया भर में ताजा हो रही हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 22 July 2019 3:12 PM IST
भूंकप के दौरान चांद पर ये काम करते हैं अंतरिक्ष यात्री, जानिए मानव मिशन के राज
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नई दिल्ली: चंद्रमा पर इंसान के पहुंचने के 50 साल पूरे हो चुके हैं। भारत समेत कई देश चांद पर नए मिशन भेजने की तैयारी में जुटे हैं। भारत ने आज यानी सोमवार को चंद्रयान 2 लाॅन्च किया है। ऐसे में चंद्रमा पर पहुंचने वाले नासा के मिशन की 50वीं सालगिरह पर उसकी यादें दुनिया भर में ताजा हो रही हैं।

देश और दुनिया के वैज्ञानिक साइंस और प्रयोग की मदद से चांद पर पहुंचने के नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। आज भारत भी चांद की ओर चंद्रयान-2 लॉन्च कर अंतरिक्ष की दुनिया में इतिहास रच दिया है। चंद्रयान 2 सिर्फ 48 दिनों के भीतर 6 सितंबर को ही चांद पर पहुंचेगा और इसरो एक और उपलब्धि हासिल कर लेगा।

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सबसे पहले चांद पर नासा का अपोलो-11 स्पेस मिशन पर पहुंचा था जिसमें अपोलो 11 के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने 20 जुलाई, 1969 को चांद की सतह पर अपना पहला कदम रखा। यह पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

20 जुलाई 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ईगल नाम के लैंडर से अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन चांद की सतह पर उतारे थे। इनके साथ मिशेल कॉलिंस नाम के एक और तीसरे शख्स थे। वह चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर से चक्कर लगा रहे थे। चांद पर पहला कदम नील आर्मस्ट्रांग ने रखा और बज एल्ड्रिन ने अमेरिकी झंडा फहराया। ये दोनों 21 घंटे 36 मिनट तक चांद पर मौजूद रहे। इन लोगों ने चांद की तस्वीरें ली थी। साथ ही वहां की मिट्टी और पत्थर के सैंपल भी लिए थे।

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आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से मंगलयान लॉन्च कर अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में भारत ने भी एक नया अध्याय लिख दिया था। ऐसा करने वाला भारत तीसरा देश बन गया। 5 नवंबर 2013 को 2 बजकर 39 मिनट पर पहुंचीं, PSLV C-25 मार्स ऑर्बिटर नाम के उपग्रह को लेकर अंतरिक्ष रवाना हो गया था।

नासा ने एक बार फिर 19 नवंबर 1969 को इंट्रेपिड नामक लैंडर से अंतरिक्ष यात्री चार्ल्स पीट कॉनरैड और एलेन बीन को चांद की सतह पर भेजा। ये लोग जिस जगह उतरे थे उसे 'ओशन ऑफ स्टॉर्म' कहा जाता है। इन अंतरिक्ष यात्रियों ने इस जगह पर पहली बार चांद पर भूकंप को रिकॉर्ड किया था। ये लोग 1 दिन 7 घंटे 31 मिनट तक चांद पर रहे। इस दौरान 7.45 घंटे यान से बाहर रहे।

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चांद पर छोड़ दिए दो गोल्फ बॉल

फरवरी 1971 को नासा ने एंटेरेस नामक लैंडर से अमेरिकी एस्ट्रोनॉट एलन बी. शेफर्ड और एडगर मिशेल को चांद की सतह पर उतारा था। चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर को स्टुअर्ट रूसा उड़ा रहे थे। दोनों वैज्ञानिक चांद पर 1 दिन 9 घंटे 30 मिनट रहे। इस दौरान, दोनों 9.21 घंटे यान से बाहर रहे। शेफर्ड सतह छोड़ने से पहले वहां 2 गोल्फ बॉल छोड़ कर आए थे।

11 दिसंबर 1972 को चैलेंजर लैंडर से अमेरिकी एस्ट्रोनॉट यूजीन सरनैन और हैरिसन जैक स्मिट को चांद की सतह पर 'टॉरस-लिट्रो' नामक स्थान पर उतारे थे और इनके साथी रोनाल्ड इवंस ऑर्बिटर उड़ा रहे थे। दोनों वैज्ञानिक चांद पर 3 दिन 2 घंटे और 59 मिनट रहे। इस दौरान दोनों 22 घंटे 4 मिनट यान से बाहर रहे। इस तरह चांद पर सबसे ज्यादा वक्त इन्होंने ही बिताया था।

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अमेरिकी एस्ट्रोनॉट जॉन यंग और चार्ल्स ड्यूक ने 21 अप्रैल 1972 को ओरियन लैंडर से चांद की सतह पर 'डेसकार्टेस हाइलैंड्स' नामक स्थान पर उतारे। इनके तीसरे साथी थॉमस मैटिंग्ली चांद के चारों तरफ ऑर्बिटर में चक्कर लगा रहे थे। दोनों वैज्ञानिकों ने चांद पर 2 दिन 23 घंटे और 2 मिनट रुके थे। इस दौरान, दोनों 20 घंटे 14 मिनट यान से बाहर रहे। इस मिशन में चांद पर पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों ने 27 किमी रोवर चलाया था।

Dharmendra kumar

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