TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

साझी विरासत है आजमगढ़ की तासीर, एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा

seema
Published on: 15 Nov 2019 12:52 PM IST
साझी विरासत है आजमगढ़ की तासीर, एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा
X
साझी विरासत है आजमगढ़ की तासीर, एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा

संदीप अस्थाना

आजमगढ़। जिले में हमेशा हिन्दू-मुस्लिम मिल-जुलकर एकता व अखंडता के गीत गाते रहे हैं। इसी का परिणाम रहा है कि यहां पर कभी दंगे नहीं हुए। सच बात तो यह है कि साझी विरासत ही आजमगढ़ की तासीर है। देश के सिखों ने जब उबाल खाया था तो भी इस जिले का सिख खामोशी से साथ-साथ रहा था और जब इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद देश के सिखों पर कहर बरपाया गया तो भी इस जिले का सिख पूरी तरह से सुरक्षित रहा था। जिले में सिखों की एक बड़ी जमात है और सिख समुदाय का ऐतिहासिक चरणपादुका गुरुद्वारा जिले के निजामाबाद कस्बे में स्थित है। इसी तरह से अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद जब कई जगहों पर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए, इन दंगों में दोनों समुदायों के तमाम लोग मारे गए तथा तमाम मंदिर व मस्जिद तोड़ दिए गए, उस वक्त भी इस जिले में दोनों समुदायों के बीच हल्की सी टकराहट भी नहीं हुई।

यह भी पढ़ें : कश्मीरी युवकों की उमड़ी भीड़, पाक को मिला करारा जवाब

नब्बे के दशक में शहर के शिब्ली नेशनल पीजी कालेेज में वन्देमातरम को लेकर दोनों समुदाय के छात्रों के बीच तनाव की स्थिति बनी मगर बड़े लोगों ने हस्तक्षेप करके मामला शांत करा दिया। उसी दौरान मामूली बात को लेकर जिले के मुबारकपुर कस्बे में शिया-सुन्नी के बीच दंगा हुआ। असलियत सबको पता है कि यह धार्मिक दंगा नहीं था। मुस्लिम समुदाय के दो अलग विचारधाराओं के लोगों के बीच आपसी झगड़े को लेकर यह स्थिति बनी। इस दंगे ने रेशमनगरी के नाम से पहचाने जाने वाले मुबारकपुर को पूरी तरह से बर्बाद करके रख दिया। विश्वविख्यात बनारसी साडिय़ां बनाने वाले जिले के मुबारकपुर कस्बे के हथकरघा उद्योग से जुड़े जो व्यापारी काफी संपन्न हुआ करते थे, वे रोटी-रोजी को मोहताज हो गये।

कुछ खास है जिले की माटी में

इस जिले की माटी में ऐसा कुछ खास तो है ही, जो महर्षि दुर्वासा, महर्षि दत्तात्रेय, चन्द्रमा ऋषि जैसे महामुनियों ने इस जिले को अपनी तपोस्थली के लिए चुना। यहीं पर महाराज जन्मेजय ने सर्पयज्ञ किया। इसी जिले के भैरो स्थान पर भगवान भोले शंकर की पत्नी सती के पिता दक्ष ने महायज्ञ रचाया और अपमान होने के कारण उसी हवनकुंड में कूदकर मां सती भस्म हुई। यहां की माटी में कुछ खास होने का ही असर है कि महापंडित राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या प्रसाद उपाध्याय हरिऔध, पं.श्यामनारायण पांडेय, पं.लक्ष्मीनारायण मिश्र, कैफी आजमी, अल्लामा शिब्ली नोमानी जैसी विभूतियां यहीं पर पैदा हुई। सब मिलाकर यहां की माटी में हमेशा ही अमन का गीत गाया गया है और आज भी यहां के लोग वही गीत गाते चले जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र की राजनीति पर बोले- बीजेपी के दिग्गज, आखिरी ओवर में तय होगी हार जीत

मुस्लिम आबादी के बीच सुरक्षित हैं मंदिर

इस जिले में मुस्लिम आबादी के बीच कई मंदिर हैं। यह मंदिर हमेशा सुरक्षित थे और आज भी पूरी तरह से सुरक्षित हैं। शहर के कुरैशिया कालेज के दोनों तरफ मुस्लिम आबादी के बीच स्थित मंदिर हमेशा महफूज रहा है। शहर के टेढिय़ा मस्जिद के पास से निकली गली में मुस्लिम आबादी के बीच एक मुस्लिम के मकान से सटे राधाकृष्ण मंदिर में हर रोज पूजा होती है। इस इलाके में हिन्दू परिवार न के बराबर हैं। इसके बावजूद इस मंदिर को लेकर कभी कोई विवाद नहीं हुआ। इसी तरह से शहर के जालन्धरी व तकिया मुहल्ले में मुस्लिम आबादी के बीच हिन्दू देवी-देवताओं के कई मंदिर मौजूद हैं और कभी इन मंदिरों पर खरोंच तक नहीं आई और न ही इन मंदिरों में जाने वाले श्रद्धालुओं से किसी का कोई विवाद हुआ।

एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा

आजमगढ़ शहर में एक ही परिसर में मंदिर, मस्जिद व गुरुदारा स्थित है। आमजन की आस्था का प्रतीक यह पवित्र धर्मस्थलियों का संगम शहर के बि_लघाट पर स्थित है। यहां हिन्दू पूजा-पाठ व मुसलमान नमाज अता करते हैं। साथ ही सिख समुदाय के लोग अपने धार्मिक क्रियाकलाप करते रहते हैं। खंडहर हो चुका यह स्थल कब और किसने बनवाया, इसका कोई रिकॉर्ड किसी के पास नहीं है। फिलहाल यह तय है कि सैकड़ों वर्ष पहले किसी समुदाय के किसी एक ही व्यक्ति ने इसका निर्माण कराया होगा। धार्मिक एकता का प्रतीक यह स्थल इस जिलेे की सोच व तहजीब का जीता-जागता उदाहरण है।

दुर्गा पूजा कमेटियों में होते हैं मुसलमान

जिले में कई ऐसी दुर्गा पूजा कमेटियां हैं, जिनमें मुसलमान सक्रिय सदस्य व पदाधिकारी हैं। ये मुसलमान दशहरा के मौके पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और खुलकर चंदा भी देते हैं। कलेक्टरी चौराहे पर जो दुर्गा पूजा कमेटी थी, उसमें कुमार साव, बाढ़ू साव व युनूस मियां ही प्रमुख थे। युनूस मियां बरसों इस कमेटी के अध्यक्ष रहे। इन लोगों के बूढ़ा हो जाने और इसके कई सक्रिय सदस्यों का निधन हो जाने के कारण कुछ वर्षों से यह पूजा पंडाल नहीं बन रहा है। इसी तरह से जिले के रानी की सराय कस्बे की सबसे अग्रणी दुर्गापूजा कमेटी आजाद दल के अबू तालिब उर्फ मुन्ना भाई वर्षों तक पदाधिकारी रहे। वह बढ़-चढ़कर अपनी भूमिका निभाते थे। अपने समय के पदाधिकारियों व सदस्यों के निष्क्रिय हो जाने व उम्र अधिक हो जाने के कारण अब उतना समय नहीं दे पाते हैं। वह कहते हैं कि हिन्दू-मुसलमान के बीच विवाद कहां है। हम सब तो एक ही गुलशन के फूल हैं। विवाद तो नेता अपने राजनीतिक फायदे के लिए पैदा करते हैं। दोनों समुदाय का आम आदमी तो हमेशा सुकून से रहना चाहता है।

हिन्दू रखता है रोजा, मुस्लिम महिलाएं करवा चौथ

जिले में ऐसे हिन्दुओं की कोई कमी नहीं है जो रमजान के महीने में रोजा रखते हैं। इसके साथ ही कई ऐसी मुस्लिम महिलाएं हैं, जो अपने पति की लम्बी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। शहर के सिधारी मुहल्ले की रहने वाली एक मुस्लिम महिला का कहना है कि वह लम्बे समय से करवा चौथ का व्रत रख रही हैं। इससे उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है। इसके साथ ही वह हर धनतेरस को हिन्दुओं की तरह खरीददारी करना नहीं भूलती। धनतेरस पर वह चांदी के सिक्के खरीदती हैं।

हिन्दू करता है मस्जिद की हिफाजत

आजमगढ़ जिले में कई ऐसी मस्जिद हैं, जिनकी हिफाजत हिन्दू समुदाय के लोग करते हैं। शहर के सिविल लाइन इलाके के नगर पालिका चौराहे से भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष स्व.श्यामबहादुर सिंह के मकान की ओर जाने वाले मार्ग को ही ले लीजिए। इस मस्जिद के ठीक पीछे स्व.श्यामबहादुर सिंह का मकान है। यह मस्जिद चारों तरफ से हिन्दू आबादी के बीच घिरी हुई हैै। इस मस्जिद के 400 मीटर के दायरे में एक भी मुसलमान का मकान नहीं है। बावजूद इसके मस्जिद में मौलवी रहते हैं। वह जुमा की नमाज पढ़ाते हैं। आसपास के दुकानदार, राहगीर, कलेक्टरी कचहरी के वादकारी आदि यहां आकर नमाज अता करते हैं। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष का मकान होने के कारण यहां भाजपाइयों का आना-जाना बराबर लगा रहता है। मुख्यमंत्री रहते कल्याण सिंह भी यहां आए थे। अयोध्या का ढांचा भी विघ्वंस हुआ। बावजूद इसके इस मस्जिद पर कभी खरोंच तक नहीं आई। इसी तरह से शहर से सटे परानापुर में जिले के अधिकांश बड़े नेताओं ने अपना आलीशान मकान बनवा लिया है। शहर के धनाड्य लोग भी यहीं मकान बनवाकर रहते हैं। परानापुर में जहां पर मस्जिद स्थित है, उसके डेढ़ किमी की आबादी के बीच केवल दो मुस्लिम परिवार रहता है। यह दोनों मुस्लिम परिवार और यह मस्जिद हमेशा, हर परिस्थिति में सुरक्षित रही है।



\
seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story