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रामलला के हक में SC का फैसला , इसके बाद भी इन-इन पर चलेगा अभी भी मुकदमा
कई दशक पुराने व देश सबसे बड़े विवादित अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया । अब अयोध्या में विवादित भूमि को मंदिर बनाने के लिए दे दिया है और इसी शहर में एक 'प्रमुख' स्थान पर मस्जिद के लिए भी जमीन दी जाएगी। इस केस में वादी भगवान रामचंद्र के बालस्वरूप 'रामलला' को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक दिया गया है।
जयपुर: कई दशक पुराने व देश सबसे बड़े विवादित अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया । अब अयोध्या में विवादित भूमि को मंदिर बनाने के लिए दे दिया है और इसी शहर में एक 'प्रमुख' स्थान पर मस्जिद के लिए भी जमीन दी जाएगी। इस केस में वादी भगवान रामचंद्र के बालस्वरूप 'रामलला' को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक दिया गया है।
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इस मामले पर सबने खुशी जाहिर की, लेकिन एक शख्स जिनका इस आंदोलन में मुख्य योगदान था वो है लाल कृष्ण आडवाणी। उनके खिलाफ अब भी आरोप जारी है। फैसले के बाद आडवाणी ने कहा कि- खुशी की बात है 'अब जब अयोध्या में लंबे समय से चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद का अंत हो गया है, समय आ गया है कि सभी विवाद और तीखेपन को पीछे छोड़ दें और सांप्रदायिक सहमति और शांति को गले लगाएं. इस अंत की ओर, मैं हमारे विविध समाज के सभी वर्गों से भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने की अपील करता हूं।
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रामजन्म भूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सबने मान लिया है। लेकिन अब भी अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह के साथ 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा जारी है। कानूनी विद्वानों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ढांचा विध्वंस मामले में दर्ज मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उसमें आरोपी व्यक्ति पर मुकदमा चलेगा।
हिंदू महासभा के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि बाबरी मस्जिद ढांचा विध्वंस मामले में मुकदमे का कानूनी पहलू पहले जैसा रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्रिमिनल कोर्ट में जो कानूनी कार्यवाही चल रही है, वह जारी रहेगी।
ये हैं आरोपी
सीबीआई ने बाबरी मस्जिद को ढहाने के मामले की जांच अपने हाथ में ली थी, जिसमें नफरत भरे भाषण देने को लेकर लाल कृष्ण आडवाणी, अशोक सिंघल, विनय कटियार, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, मुरली मनोहर जोशी, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया के खिलाफ मामला दर्ज है। इनमें से सुनवाई के दौरान आचार्य गिरिराज किशोर एवं अशोक सिंहल का निधन हो गया है। दोनों को छोड़कर अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। जो यथावत चलेगा।
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इसमें भी आएगा जल्द फैसला
लखनऊ की एक विशेष सीबीआई अदालत में चल रहे अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के आपराधिक मामले में फैसला अप्रैल 2020 तक आने की संभावना है। विशेष सीबीआई अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत और गवाही पेश करने की आखिरी तारीख 24 दिसंबर तय की है. 29 सितंबर, 2019 को आरेाप तय किये जाने के बाद अदालत द्वारा बार-बार आदेश जारी करने के बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के खिलाफ गवाह नहीं लाने पर हाल ही में अभियोजन पक्ष को फटकार लगायी गयी थी. पांच अक्टूबर को सेशन कोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सभी गवाहों को 24 दिसंबर, 2019 तक पेश करना होगा और यह तारीख (इस मामले में) आखिरी कार्य दिवस होगा. बीजेपी नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, उमा भारती और मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ सुनवाई 25 मई, 2017 को लखनऊ की इस विशेष अदालत में शुरू हुई थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 से निचली अदालत को दो साल में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को फिर निर्देश दिया कि इस मामले में नौ महीने में फैसला सुना दिया जाए।