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संघर्ष ने बना दिया आर्मी अफसर, बालबांका अपने बुलंद इरादों से पहुंचा मंजिल तक

बिहार के आरा निवासी 28 वर्षीय बालबांका तिवारी ने अपने सपनों को सच कर दिखाया है। बीते शनिवार को बालबांका तिवारी इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट हुए हैं। पास खड़ी बालबांका की मां मुन्नी देवी ने अपने आंसुओं को रोकते हुए कहा, ''मेरे बेटे ने बहुत ज्यादा संघर्ष किया है।

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Published on: 15 Dec 2020 1:42 PM GMT
संघर्ष ने बना दिया आर्मी अफसर, बालबांका अपने बुलंद इरादों से पहुंचा मंजिल तक
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बालबांका तिवारी कहते हैं कि महामारी और अपनी ट्रेनिंग शेड्यूल के चलते वो अपनी बेटी के जन्म पर घर नहीं जा पाए, लेकिन उनका सपना सच साबित हुआ।

नई दिल्ली: जिंदगी में कुछ हासिल करना है, तो उसके लिए दृढ़-निश्चय करना सबसे पहला चरण है। यही वो चरण है जो आपको पहले चरण से अंतिम चरण यानी आपके उद्देश्य तक ले जाएगा। बिहार के आरा निवासी 28 वर्षीय बालबांका तिवारी ने इस कथन को सच कर दिखाया है। बीते शनिवार को बालबांका तिवारी इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएट हुए हैं। बालबांका का भारतीय सेना में सफर एक सिपाही से एक ऑफिसर तक का है। अपने बुलंद उद्देश्यों के दम पर आज बालबांका में सपनों के मुकाम को हासिल कर लिया है।

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16 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया

बालबांका तिवारी कहते हैं कि महामारी और अपनी ट्रेनिंग शेड्यूल के चलते वो अपनी बेटी के जन्म पर घर नहीं जा पाए, लेकिन उनका सपना सच साबित हुआ। पास खड़ी बालबांका की मां मुन्नी देवी ने अपने आंसुओं को रोकते हुए कहा, ''मेरे बेटे ने बहुत ज्यादा संघर्ष किया है। उसने 16 साल की उम्र में काम करना शुरू कर दिया था, जिससे परिवार का सहयोग कर सके और सिर्फ 50-100 रुपये के लिए दिन के 12-12 घंटे काम करता था।''

आरा के सुंदरपुर बारजा गांव के रहने वाले बालबांका तिवारी ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि वह अपने जीवट और भरोसे के बल पर यहां तक पहुंचे हैं। ''12वीं की पढ़ाई के बाद मैंने आरा छोड़ दिया और ओडिशा के राउरकेला चला गया।

आगे बताते हुए शुरुआत में मैंने आयरन स्प्रिंग और रॉड काटने वाली फैक्ट्री में काम किया। फिर उसके बाद नमकीन फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया। लेकिन, मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता रहा और कभी भी आर्मी जॉइन करने के अपने सपने को नहीं छोड़ा।'

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एक जवान के तौर पर काम किया

ग्रेजुएट हुए बालबांका तिवारी ने कहा कि आर्मी जॉइन करने की प्रेरणा उनको अपने एक रिश्तेदार से मिली, जो आर्मी में जवान थे। बालबांका ने कहा, ''गांव में उन्हें जिस तरह का सम्मान मिलता था, उसे देखकर मैं वशीभूत था।"

आगे बताते हुए साल 2012 में बालबांका तिवारी ने भोपाल स्थित आर्मी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स सेंटर का एंट्रेस एग्जाम अपने दूसरे प्रयास में क्वालिफाई कर लिया और अगले पांच साल उन्होंने एक जवान के तौर पर काम किया।

फिर आर्मी सर्विस के दौरान ही बालबांका ने आर्मी कैडेट कॉलेज (ACC) की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। ACC आर्मी के सैनिकों को ऑफिसर रैंक तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करती है। बालबांका ने तैयारी करते हुए ACC का एंट्रेस एग्जाम 2017 में पास कर लिया।

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