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भौकाली नाई! करोड़ों की रखते हैं कारें, अंबानी जैसी इनकी लाइफ
क्या आपने कभी सुना है कि लोगों के बाल काटने वाला कहीं का अरबपति भी हो सकता है। लेकिन हम आपको बताने जा रहें है एक ऐसे इंसान के बारे में जो महंगी-महंगी कारों जैसे मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी का शौक रखता है।
नई दिल्ली : क्या आपने कभी सुना है कि लोगों के बाल काटने वाला कहीं का अरबपति भी हो सकता है। लेकिन हम आपको बताने जा रहें है एक ऐसे इंसान के बारे में जो महंगी-महंगी कारों जैसे मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी जैसी का शौक रखता है। और तो और इसी के साथ इन्हें बेंगलूरु के जाने माने अरबपतियों में भी गिना जाता है। इनका नाम है रमेश बाबू।
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100 रुपये में काटते हैं बाल
जीं हां रमेश बाबू आज भी अपनी दुकान पर लोगों के बाल काटते हैं। आपको बता दें कि सन् 2017 में रमेश बाबू ने एक ब्रांड न्यू मर्सिडीज एस-600 खरीदी थी। इस गाड़ी की कीमत 3.2 करोड़ रुपये है। रमेश बेंगलूरु के बहुत फेमस बार्बर हैं। और मात्र 100 रुपये में लोगों के बाल काटते हैं।
रमेश बाबू बहुत ही सादे तरीके से जीवन व्यतीत करते है। रमेश बाबू के गैराज में सफेद रंग की रोल्स रॉयस घोस्ट है। इसके साथ ही इनके पास बीएमडब्ल्यू 7-सीरीज, मर्सिडीज-बेंज ई-क्लास, मर्सिडीज-बेंज वियानो, बीएमडब्ल्यू 5-सीरीज, होंडा एकॉर्ड, होंडा सीआर-वी और एक टोयोटा कैमरी भी है। इन गाड़ियों में से रमेश अपनी दुकान पर जाने के लिए रोल्स रॉयस का इस्तेमाल करते हैं।
एक हिसाब से देखा जाए तो रमेश के पास कई और बहुत महंगी कारें हैं। इसके अलावा उनकी सिर्फ एक दुकान ही नहीं है बल्कि दूसरा बिजनेस भी है। रमेश का कार रेंटल बिजनेस है। जिसे रमेश टूर एंड ट्रेवल्स के नाम से जानते हैं।
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रमेश अपने अमीर क्लाइंट्स को हाई-एंड कारें रेंट पर देती हैं। इन अमीर क्लाइंट्स में सलमान खान, आमिर खान और एश्वर्या राय जैसे कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज भी शामिल हैं। इनके बाद रमेश की कंपनी राजनीति और उद्योगपतियों को भी कार किराए पर देती है।
अब बताते हैं रमेश की कहानी
आपको बता दें कि रमेश की कहानी बहुत प्रेरणादायक और संघर्षशील भी है। रमेश बाबू ने अपने पिता की मौत के बाद उनके हेयर सैलून का कामकाज संभाला और जैसे ही वे हेयर सैलून को संभालने लगे तो रमेश ने खर्च में कटौती की और इस प्रक्रिया में उन्होंने बहुत पैसे बचाए।
रमेश ने सन् 1994 में उन्होंने अपनी पहली कार मारुति ओम्नी खरीदी। इसके बाद रमेश ने इसे किराए पर देना शुरू कर दिया और इससे उनकी कमाई में भी वृध्दि होने लगी थी। इसके बाद सन् 2004 में रमेश के पास गैराज में लगभग 7 कारें थीं और वह उन सभी को अपने किराए के व्यापार के लिए उपयोग में लाने लगे। इसी तरह से रमेश बाबू ने धीरे-धीरे करके जीवन के दुख के समय को दूर करके सुख की चादर पर कदम रखा।
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