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जानिए कैसे और कहां बनता है भारत रत्न, पढ़ें सम्मान से जुड़े विवाद
देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जब भारत रत्न देने की बात आयी तो उन्होंने जोर देकर मना कर दिया। वजह यह दी गयी है कि जो सेलेक्शन कमेटी का हिस्सा होते हैं, उन्हें यह सम्मान नहीं दिया जाता। हालांकि, उन्हें मरणोपरांत साल 1992 में भारत रत्न से नवाजा गया।
नई दिल्ली: आज पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, भारतीय जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख (मरणोपरांत) और मशहूर कवि, गायक और गीतकार भूपेन हजारिका (मरणोपरांत) को भारत रत्न दिया जाएगा। इन तीनों विशिष्ट शख्सियतों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में देश को अमूल्य योगदान देने की वजह से भारत रत्न दिया जाएगा।
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क्या होता है भारत रत्न?
- भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- यह सम्मान राष्ट्रीय सेवा के लिए दिया जाता है।
- इन सेवाओं में कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल शामिल है।
- इस सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी।
- अन्य अलंकरणों के समान इस सम्मान को भी नाम के साथ पदवी के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता।
- शुरू में इस सम्मान को मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, यह प्रावधान 1955 में बाद में जोड़ा गया।
- बाद में 13 व्यक्तियों को यह सम्मान मरणोपरांत प्रदान किया गया।
- सुभाष चन्द्र बोस को घोषित सम्मान वापस लिए जाने के उपरान्त मरणोपरांत सम्मान पाने वालों की संख्या 12 मानी जा सकती है।
- एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।
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कैसे बनता है भारत रत्न?
- मूल रूप में इस सम्मान के पदक का डिजाइन 35 मिमि गोलाकार स्वर्ण मैडल था।
- इसमें सामने सूर्य बना था, ऊपर हिन्दी में भारत रत्न लिखा था और नीचे पुष्प हार था और पीछे की तरफ़ राष्ट्रीय चिह्न और मोटो था।
- फिर इस पदक के डिज़ाइन को बदल कर तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया।
- इसके नीचे चांदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है।
हो चुका है विवाद
- साल 1992 में नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।
- मगर उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण पुरस्कार के मरणोपरांत स्वरूप को लेकर प्रश्न उठाया गया था।
- इसीलिए भारत सरकार ने यह सम्मान वापस ले लिया। उक्त सम्मान वापस लिये जाने का यह एकमेव उदाहरण है।
- देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को जब भारत रत्न देने की बात आयी तो उन्होंने जोर देकर मना कर दिया।
- वजह यह दी गयी है कि जो सेलेक्शन कमेटी का हिस्सा होते हैं, उन्हें यह सम्मान नहीं दिया जाता। हालांकि, उन्हें मरणोपरांत साल 1992 में भारत रत्न से नवाजा गया।
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