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सरकार का बड़ा ऐलान: करोड़ों के लिए खुशी की खबर, अब नहीं होगी परेशानी
प्रकाश जावडे़कर ने कहा, सरकार पीडीएस की सहायता से देश के 80 करोड़ लोगों की मदद करेगी। किसी जरूरी सामान की कमी नहीं होने देंगे। राज्य सरकारें भी लोगों की मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा, जान बचाने के लिए लॉकडाउन की जरूरत, तीन महीने का राशन दिया जाएगा।
नई दिल्ली: पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने 80 करोड़ लोगों को कम दरों पर अनाज देने का निर्णय किया है। कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सरकार ने 80 करोड़ लोगों को 27 रुपये किलोग्राम वाला गेहूं सिर्फ 2 रुपये प्रति किलोग्राम में और 37 रुपये किलोग्राम वाला चावल केवल 3 रुपये प्रति किलोग्राम में देने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'सरकार ने राज्य सरकारों को 3 महीने का एडवांस सामान खरीदने को कहा है।'
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तीन महीने का राशन दिया जाएगा
बता दें कि प्रकाश जावडे़कर ने कहा, सरकार पीडीएस की सहायता से देश के 80 करोड़ लोगों की मदद करेगी। किसी जरूरी सामान की कमी नहीं होने देंगे। राज्य सरकारें भी लोगों की मदद कर रही हैं। उन्होंने कहा, जान बचाने के लिए लॉकडाउन की जरूरत, तीन महीने का राशन दिया जाएगा। लोगों को जरूरत की चीजें मिलती रहेंगी, अफवाहों से बचने की जरूरत है।
जीं हां इससे पहले, उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को कहा कि 75 करोड़ बेनिफिशियरी पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के जरिए एक बार में 6 महीने का राशन ले सकते हैं।
बढ़ते हुए कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने ये फैसला लिया है। इस पर आपको बता दें कि सरकार के पास 435 लाख टन सरप्लस अनाज है। इसमें 272.19 लाख टन चावल, 162.79 लाख टन गेहूं है।
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केंद्र सरकार पीडीएस सिस्टम के तहत देश भर के 5 लाख राशन दुकानों पर बेनिफिशियरी को 5 किलोग्राम सब्सिडाइज्ड अनाज हर महीने देती है। इस पर सरकार को सालाना 1.4 लाख करोड़ रुपये खर्च आता है।
इसके साथ ही नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत राशन दुकानों के जरिए अनाज सब्सिडाइज्ड रेट पर मिलता है. 3 रुपये प्रति किलोग्राम चावल, 2 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूं और 1 रुपये प्रति किलोग्राम कॉर्स अनाज बेचती है।
कोरोना से अर्थव्यवस्था का रोना
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में किए गए लॉकडाउन पर विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अर्थव्यवस्था को 120 अरब डॉलर (करीब 9 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है। यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार प्रतिशत के बराबर है।