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शोध में हुआ बड़ा खुलासा: हेपेटाइटिस की दवा लेने वाले कोरोना से सुरक्षित
पूरी दुनिया में कोरोना के संक्रमण के बीच वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसकी वैक्सीन खोजने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
नई दिल्ली: पूरी दुनिया में कोरोना के संक्रमण के बीच वैज्ञानिक और शोधकर्ता इसकी वैक्सीन खोजने की कोशिश में जुटे हुए हैं। कई वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के दौर में पहुंच गई हैं और उसके बेहतर नतीजे दिख रहे हैं। मरीजों पर कई दवाओं का भी अच्छा असर दिख रहा है। अब हरियाणा के रोहतक पीजीआई में किए गए शोध में नया खुलासा हुआ है। शोध से पता चला है कि हेपेटाइटिस की दवा कोरोना मरीजों के इलाज में काफी कारगर साबित हुई है।
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पंद्रह सौ मरीजों पर किया गया शोध
दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए हेपेटाइटिस की दवा काफी मददगार मानी गई है। हेपेटाइटिस की दवा का सेवन करने वाले मरीज कोरोना वायरस के खतरे से पूरी तरह सुरक्षित रहे। इसी कड़ी में रोहतक पीजीआई के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग और नेशनल वायरल हेपेटाइटिस सेंट्रल प्रोग्राम के मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर में करीब 1500 मरीजों पर शोध किया गया है।
ऐसे मरीजों में नहीं मिला संक्रमण
गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख और सीनियर प्रोफेसर डॉक्टर प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि इस रिसर्च के दौरान पंद्रह सौ मरीजों की मार्च से जुलाई तक हेल्थ मॉनिटरिंग की गई। ये मरीज ऐसे थे जो हेपेटाइटिस बी और सी का इलाज करा रहे थे। मरीजों की मॉनिटरिंग से निष्कर्ष निकला है कि हेपेटाइटिस की दवा कोराना के संक्रमण से बचाव करने में कारगर साबित हुई है।
डॉक्टर मल्होत्रा ने बताया कि हेपेटाइटिस की दवा लेने वाले ये पंद्रह सौ मरीज कोरोना से संक्रमित नहीं हुए। इनमें कोरोना के हल्के लक्षण भी नहीं पाए गए। उन्होंने कहा कि हमने 15 सौ मरीजों पर इस बाबत अध्ययन किया है और अगर स्वास्थ्य मंत्रालय बड़े स्तर पर इस संबंध में ट्रायल करे तो इसके सकारात्मक नतीजे सामने आएंगे।
यह काम्बिनेशन है कारगर
शोधकर्ताओं ने बताया कि काला पीलिया के शिकार होने वाले मरीजों के इलाज के लिए लेडिपसविर और डसाबूविर के साथ सोफासबूबिर का कॉम्बिनेशन दिया जाता है। यह कॉन्बिनेशन कोरोना मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर की तुलना में ज्यादा बेहतर है।
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अब बड़े स्तर पर ट्रायल की तैयारी
जानकारों का कहना है कि कोरोना मरीजों के इलाज में अब इसका ट्रायल करने की तैयारी की जा रही है। रोहतक पीजीआई ने इंटॉक्स प्राइवेट लिमिटेड और काउंसिल फॉर साइंटिफिक एंड इंस्ट्रीयल रिसर्च नेशनल केमिकल लैबोरेट्री के साथ मिलकर बड़े स्तर पर इसका ट्रायल करने की योजना बनाई है। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को प्रस्ताव भी भेजा गया है। माना जा रहा है कि इस ट्रायल के सकारात्मक नतीजे मिलेंगे और इससे कोरोना मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी।
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