×

किसान आंदोलन में खामोशी बड़ा संकेत और ये बड़ा हमला...

गाजियाबाद में धरनास्थल यूपी गेट पर सन्नाटा लोगों को चौंका रहा है। टेंटों के बाहर और अंदर सूनी खाट ठंडे हुक्के के बीच कुल सौ प्रदर्शनकारी। क्या किसान निराश हो गए या लड़ाई छोड़ दी।

Dharmendra kumar
Published on: 16 Feb 2021 9:49 PM IST
किसान आंदोलन में खामोशी बड़ा संकेत और ये बड़ा हमला...
X
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मुखर होकर किसान आंदोलन पर हमला करते हुए कहा है कि दलाल नहीं चाहते किसानों के जीवन में बदलाव आए।

रामकृष्ण वाजपेयी

किसान आंदोलन का केंद्र बन रहे गाजीपुर बार्डर पर खामोशी पसरी है। सैकड़ों किसानों से आबाद रहने वाले धरना केंद्र और आधुनिक किसान गांव का आभास कराने वाले टैंट, चारपाई कुर्सी खाली हैं। ऐसी खबरें आ रही हैं कि धरना स्थल पर सौ से भी कम किसान बचे हैं। ये खामोशी किसानों की आगे की लड़ाई में आंदोलन को देशव्यापी करने पर फोकस करने के लिए महापंचायतों में जुट जाना है।

हालांकि किसानों की आगे की लड़ाई कठिन हो सकती है क्योंकि पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल को अब आंदोलन खटकने लगा है। उधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मुखर होकर किसान आंदोलन पर हमला करते हुए कहा है कि दलाल नहीं चाहते किसानों के जीवन में बदलाव आए। हम उन्हें अराजकता नहीं फैलाने देंगे। ये चेतावनी है लेकिन किसान महापंचायत लखनऊ की सरजमीं में काकोरी तक पहुंच चुकी है। ये आने वाले समय में बड़े आंदोलन के पहले की खामोशी प्रतीत हो रही है।

केंद्र सरकार से किसानों को हटाने की मांग

इस बीच नेशनल हाइवे अथारिटी आफ इंडिया ने भी किसानों के खिलाफ मोर्चा खोल कर केंद्र सरकार से किसानों को हटाने की मांग रख दी है। अथाॅरिटी का कहना है कि किसान सड़कों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और बिजली की चोरी कर रहे हैं किसानों के आंदोलन से अथारिटी की सड़क निर्माण की तमाम योजनाएं लटक गयी हैं। जिससे उसे भारी क्षति उठानी पड़ रही है।

Farmers Movement

ये भी पढ़ें..LAC पर अमनः भारत चीन की सेनाओं के पीछे हटने से खुला बातचीत का रास्ता

गाजियाबाद में धरनास्थल यूपी गेट पर सन्नाटा लोगों को चौंका रहा है। टेंटों के बाहर और अंदर सूनी खाट ठंडे हुक्के के बीच कुल सौ प्रदर्शनकारी। क्या किसान निराश हो गए या लड़ाई छोड़ दी। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता राकेश टिकैत कहते हैं सरकार के तीनों कृषि कानून लागू हुए तो नया ट्रेंड भूख पर व्यापार का होगा। इंसान ही नहीं कुत्ते-बंदर भी भूखे मरेंगे। इसीलिए यह लड़ाई चल रही है। लड़ाई को तोड़ने व कमजोर करने के लिए किसानों को हरियाणा, पंजाब, यूपी और जाति के भेद पर बांटने का प्रयास किया जाएगा। टिकैत का कहना है न हमारा पंच बदलेगा न मंच। सिंघु बॉर्डर आज भी हमारा मंच है। वहीं 40 सदस्य कमेटी के नेता हमारे पंच हैं।

ये भी पढ़ें..मूसलाधार बारिश का अलर्ट: इन राज्यों में 3 दिन जमकर बरसेंगे बादल, ऐसा होगा मौसम

18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन

भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा है कि 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन के दौरान दिन में 12 बजे से चार बजे तक रेल रोको कार्यक्रम चलेगा। किसान बीच रास्ते में रेल नहीं रोकेंगे, स्टेशन पर ही तीन चार-घंटे के लिए रेल रोकी जाएगी। किसान इंजन पर फूल चढ़ाकर रेल रोकेंगे और यात्रियों को चाय नश्ता कराएंगे। इस दौरान यात्रियों को देश में बढ़ रही महंगाई और अन्नदाताओं की समस्याओं से अवगत कराएंगे। किसान सरकार को यह संदेश देंगे कि यह आंदोलन देश भर में फैल चुका है।

Farmers Protest

किसान आंदोलन को लेकर पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस परेशान

इस बीच यह भी खबरें आ रही हैं कि किसान आंदोलन को लेकर पंजाब में अकाली दल और कांग्रेस परेशान हैं उन्हें आंदोलन अब रास नहीं आ रहा है। क्योंकि चुनाव से महज एक साल दूर खड़े पंजाब में उन्हें आशंका सताने लगी है कि पिछले चुनाव में धूम मचाने वाली आम आदमी पार्टी कहीं किसानों को साथ जोड़ने में सफल न हो जाए।

ये भी पढ़ें..पेट्रोल बम से दहला अमृतसर: धार्मिक स्थल को बनाया निशाना, पुलिस हाई अलर्ट पर

रविवार को पंजाब के बड़े इलाके में निकाय चुनाव हुए हैं जिसके नतीजे 17 फरवरी को आ जाएंगे। ये नतीजे वर्तमान हालात में राजनीतिक दलों की सियासी जमीन तय कर देंगे। अब देखना यह होगा कि अलगाववादी ताकतों, एनएचएआई और राजनीतिक दलों की लामबंदी के बीच किसान आंदोलन कहां तक और कितनी दूर तक जा पाता है।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story